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Wednesday, 16 September 2020
Viability Gap Funding
VIABILITY GAP FUNDING.
इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership) के सपोर्ट के लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा 2005 में एक योजना लाई गई जिसे वायबिलिटी गैप फंडिंग कहते हैं।
इस योजना के तहत भारत सरकार ने अपनी वायबिलिटी गैप फण्ड (व्यवहार्यता अंतर निधि) से पूंजीगत अनुदान के रूप में परियोजना की लागत के 20% की वायबिलिटी गैप को आर्थिक रूप से समर्थन करने का प्रावधान किया है।
यह योजना भारत सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा ली गई सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं के लिए सीमित है।जहाँ निजी क्षेत्र का चयन खुली प्रतिस्पर्धात्मक सार्वजनिक बोली के माध्यम से किया जाता है।
साथ ही परियोजना का स्वामित्व करने वाली राज्य सरकार या उसकी एजेंसियों भी अपने बजट से अतिरिक्त अनुदान प्रदान कर सकती है, जो परियोजना की कुल लागत का 20% से अधिक न हो।
इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के विकास के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है और इसे सार्वजनिक वित्त पोषण से बाहर नहीं किया जा सकता है।इसी तरह ऐसी परियोजनाओं केवल स्टैंड के आधार पर वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं है, क्योंकि उनके पास परियोजनाओं के लिए एक लंबी अवधि होती है और सीमित वित्तीय रिटर्न् होता है।इसलिए वे निजी क्षेत्र के लिए आकर्षक नहीं है।
इस परियोजना के अंतर्गत रोड, पोर्ट,एयरपोर्ट, रेलवे,वाटर वे,शहरी ट्रांसपोर्ट, पावर,वाटर सप्लाई,अन्य भौतिक संरचना शहरी क्षेत्रों में पर्यटन क्षेत्र आएंगे।सरकार इसमें सार्वजनिक कल्याण वाले नए क्षेत्र भी जोड़े हैं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य।
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