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Thursday, 30 April 2020

Approved List of Contractors

Approved list of Contractors (ठेकेदारों के अनुमोदित सूची) पैरा 1215E,1216E


रेलवे मंडल स्तर पर एवं मुख्यालय स्तर पर निर्धारित राशि के लिए कार्य संपन्न करवाने के लिए ठेकेदारों की एक अनुमोदित सूची रखती है।

साधारणतः किसी निर्माण कार्य या सप्लाई का निष्पादन ऐसे किसी ठेकेदार को नहीं दिया जाना चाहिए जिसकी योग्यता और वित्तीय हैसियत के बारे में पहले से जांच ना कर लिया गया हो और उन्हें संतोषजनक न पाया गया हो। इस प्रयोजन के लिए रेलवे के मुख्यालय और मंडल कार्यालयों में अनुमोदित ठेकेदारों की सूची रखी जानी चाहिए अन्य ठेकेदारों जिन्होंने संतोषजनक काम किया हो ,को वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी अथवा मंडल अधिकारी के नाम से सूची में शामिल किया जा सकता है।

 रेलवे के मुख्यालय तथा मंडल कार्यालयों में अनुमोदित ठेकेदारों की सूची बनाई जाए तथा उसका रखरखाव किया जाए जहां इच्छुक ठेकेदार नीचे उल्लिखित प्रक्रिया का पालन करते हुए रेलवे कार्य शुरू करेंगे।

  • वर्ष में एक बार विज्ञापन आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार करके इच्छुक ठेकेदारों को विभिन्न श्रेणियों के लिए अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए आमंत्रित किया जाए ।अनुमोदित सूची में पहले से शामिल ठेकेदार तथा जिन ठेकेदारों ने रेलों पर संतोषजनक कार्य निष्पादित किया है तथा इसके द्वारा वे भविष्य में कार्य के आवंटन के लिए योग्य हो गए हैं को भी अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए आमंत्रित किया जाए।
  • पंजीकरण के लिए मूल आवश्यकता निर्धारित की जाए और पंजीकरण के लिए चयन में स्वविवेक और मध्यस्थता को कम करने के लिए इसे लोकप्रिय बनाया जाए।
  • जहां अपेक्षित हो ,स्वतंत्र तथा सक्षम एजेंसी के रूप में संतोषजनक ढंग से कार्य निष्पादित करने के लिए इच्छुक ठेकेदारों की क्षमता, रेलवे की कार्यों के संतोषजनक निष्पादन के लिए उनकी वित्तीय सक्षमता, विशेषज्ञता का क्षेत्र ,पिछला अनुभव व्यक्तिगत रूप से अथवा सक्षम तथा अर्हक/प्राधिकृत इंजीनियरों /पर्यवेक्षकों के माध्यम से कार्य का पर्यवेक्षण करने की समर्थता की जांच की जाए तथा उन्हें सूची में रखने से पूर्व जांच पड़ताल की जाए।
  • ऐसे पंजीकृत निविदाओं के लिए लेखन शुल्क तथा उन्हें नोटिस भेजने की लागत के रूप में ₹2000 की वार्षिक फीस प्रभावित की जाए।
  • अनुमोदित सूची में रखने के लिए ठेकेदारों का चयन वैल्यू स्लैबों वाली समिति द्वारा किया जाए तथा स्वीकारकर्ता प्राधिकारी द्वारा स्वीकार की जाए ।स्वीकृति के लिए  समिति तथा प्राधिकारी की संरचना रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए गए अनुसार होगी।
  • अनुमोदित ठेकेदारों की सूची की गोपनीय सरकारी रिकॉर्ड मानी जाए तथा सूची में रखे गए ठेकेदारों के नाम की जानकारी अन्य ठेकेदारों को नहीं होनी चाहिए इसे साफ तथा सुस्पष्ट तरीके से अपडेड रखा जाय।
  • 7.5 करोड़ तक के कार्यों के लिए ठेकेदारों को पंजीकृत किया जाएगा ठीक उसी तरह सीमित निविदा में 7.5 करोड़ तक के कार्यों को सम्मिलित किया जाता है।
  • अनुमोदित सूची में ठेकेदार 3 साल तक के लिए वैध रहेगा।
  • इस लिस्ट में से नाम हटाने और जोड़ने के लिए  प्रत्येक वर्ष समीक्षा की जाएगी जो जुलाई से प्रभावित होगा।अगर कोई छः महीने के अंदर नाम हटाया गया हो या जोड़ा गया हो तो वो 1st जनवरी और 1st जुलाई से प्रभावित होगी।
  • ओपन लाइन एवं निर्माण संगठन (construction organization) दोनों जगह अलग-अलग अनुमोदित सूची होगा।
  • ओपन लाइन में वर्ग 'बी', 'सी' की कैटेगरी के अनुमोदित ठेकेदारों की सूची का मेंटेन मंडल स्तर पर होगा एवं 'ए' श्रेणी के लिए एक कॉमन लिस्ट होगा जो जोन में होगा । ठीक उसी तरह निर्माण क्षेत्रों के लिए 'बी' 'सी' श्रेणी के ठेकेदारों के अनुमोदित सूची का मेंटेन Dy.CE(C) कार्यालय में होगा एवं 'ए' श्रेणी के ठेकेदारों की सूची का मेंटेन का मुख्यालय में यानी CAO/C,GM/C कार्यालय में होगा।
  • अनुमोदित सूची में पंजीकरण के लिए ठेकेदारों से राशि ली जाएगी जो नॉन रिफंडेबल होगी। यह राशि इस प्रकार होगी 'सी' कैटेगरी के लिए ₹15,000 हजार,'बी' कैटेगरी के लिए ₹20,000 हजार एवं 'ए' कैटेगरी के लिए ₹ 30,000 हजार।



कैटेगरी/स्लैब
चयन समिति
स्वीकृत प्राधिकारी
स्वीकृत राशि
वर्ग 'सी
दो JAG अधिकारी एक कार्यकारी  विभाग से एवम एक लेखा विभाग से
मंडल में DRM एवम मंडल से बाहर SAG अधिकारी  
          

(up to ₹ 37.5 lakh)
वर्ग 'बी
उपरोक्त
उपरोक्त
 (more than ₹37.5 lakh and up to ₹1.5 crore)
वर्ग ''
दो SAG अधिकारी एक कार्यकारी विभागसे एवम एक वित्त विभाग से
PHOD  
(more than ₹1.5 crore and upto ₹7.5 crore)




(2000W,2006W,2015W)




Tuesday, 28 April 2020

Exchequer Control



राजकोष नियंत्रण (Exchequer Control) पैरा 540F


राजकोष नियंत्रण एक ऐसी व्यवस्था है ,जिसके द्वारा बजट आवंटन के नगदी अंश में से प्रत्येक संवितरण अधिकारी (disbursing officer )द्वारा किए जाने वाले 'नगदी-निर्गमन' (cash outgo) का समुचित विनियमन (Regulation) किया जाता है।

रेलवे द्वारा किए जाने वाले व्यय को दो श्रेणियों में बांटा गया है।

1. नगद (cash)-70% लगभग
2.समायोजन (Adjustment)- 30% लगभग

पहली श्रेणी में वे सभी लेनदेन आते हैं जो नगद भुगतान या चेक जारी करके पूरे किए जाते हैं । मोटे तौर पर इस श्रेणी में कर्मचारियों और बाहरी व्यक्तियों को किया जानेवाला भुगतान और सप्लाई और सेवाओं के उपलक्ष्य में निपटाए जाने वाले बिल/दावा भी शामिल है।

द्वितीय श्रेणी में समायोजन (adjustment) आता है जिसमें लेखा यूनिटों के आंतरिक लेनदेन होता है जिसमें नगदी का निर्गमन नहीं होता है।

* राजकोष नियंत्रण नगदी निर्गमन पर नियंत्रण रखता है ।

उद्देश्य :- राजकोष नियंत्रण का उद्देश्य है एक ऐसी पद्धति की स्थापना करना जिससे नगदी-निर्गमन (cash outgo) का सही अनुमान हो सके और भुगतान की प्रगति पर यथोचित नियंत्रण रखा जा सके। इस प्रकार यह बजट नियंत्रण का महत्वपूर्ण साधन भी है।

- प्रत्येक लेखा यूनिट अपने नगद आवश्यकता को प्रत्येक महीने के 15th/18th तारीख को मुख्यालय के बुक्स अनुभाग यानि FA&CAO/BOOKS को भेजते हैं।

ये नगद आवश्यकता निम्नलिखित प्रारूप में रहता है।

खंड (segments). 
 रुपये (amounts)
1.राजस्व मांग   
   (a) स्टाफ भुगतान
   (b)अन्य भुगतान


2.कार्य मांग

  (a)पूंजी (capital)
  (b)रेलवे निधि


3.अन्य बजट मदें (Non-Budget Items)



  • सभी लेखा यूनिटों की आवश्यकता को बुक्स अनुभाग में संकलित किया जाता है एवं पूरे मांग के अनुसार महीने के 20वें तारीख तक रेलवे बोर्ड को भेज दिया जाता है।
  •  रेलवे बोर्ड कैश ऑथराइजेशन को प्रथम या दूसरी कार्य दिवस में क्षेत्रीय रेलों को सूचित कर देता है और उसी आधार पर क्षेत्रीय रेल अपनी लेखा यूनिटों को सूचित कर देता है।
  • वर्तमान महीने के आवश्यकता को समीक्षा किया जाएगा एवं अगर अतिरिक्त मांग की आवश्यकता होगी तो रेलवे बोर्ड को 20 तारीख तक सूचित करना होगा साथ में अगले महीने के नगद आवश्यकता भी होगी।
  • बांटे गए नगदी में से अगर रकम किसी यूनिट द्वारा खर्च नहीं हो सका तो उस राशि को मुख्यालय में सरेंडर कर दिया जाता है ताकि किसी दूसरे यूनिट को जिसे आवश्यकता है दिया जा सके। उसी तरह अगर मुख्यालय बुक अनुभाग के पास सरेंडर राशि है तो वह अंतिम कार्य दिवस में रेलवे बोर्ड को भेज देते हैं।

Net Withdrawal (शुद्ध निकासी)

मौजूदा नियमों के तहत, केंद्रीय सरकार के सभी नगद प्राप्तिओं को तुरंत ही आरबीआई (CAS/नागपुर) में जमा किया जाना चाहिए और सभी भुगतान आरबीआई से निकासी के माध्यम से ही किए जाने चाहिए किसी निश्चित अवधि के दौरान जमा और निकासी के बीच का अंतर शुद्ध निकासी (Net Withdrawal) के रूप में जाना जाता है।

 जमा पर निकासी की अधिकता से उत्पन्न नकारात्मक अंतर सरकार के घाटे को बढ़ाता है।


(2000W,2001WO,2015W)





Sunday, 26 April 2020

Line Capacity Work



लाइन क्षमता कार्य 
(2010W) एक्सपेंडिचर 


  • लाइन क्षमता का अर्थ है कि एक सेक्शन में 24 घंटे में चलाई जाने वाली ट्रेनों की संख्या।
  • लाइन क्षमता कार्य का अर्थ है ऐसे निर्माण कार्य जिनसे किसी लाइन अथवा सेक्शन की परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया गया हो।
  • जब कोई सेक्शन लाइन क्षमता के उपयोग का 80 % तक पहुंच जाती है तो उसे परिपूर्णता तक पहुंचने के रूप में माना जाता है।

लाइन क्षमता बढ़ाने का तरीका

  1. मौजूदा मार्शलिंग यार्ड, गुड्स टर्मिनल और यातायात यार्ड को वर्क स्टडी करके नए मार्शलिंग यार्ड या मेजर यार्ड को रीमॉडलिंग के लिए प्रस्ताव देना चाहिए।
  2. दोहरीकरण, कई ट्रैकिंग योजनाओं और गेज परिवर्तन योजनाओं के लिए मास्टर चार्ट तैयार करके मौजूदा क्षमता का ठीक से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  3. यात्री टर्मिनलों के मामले में प्लेटफॉर्म लाइनों ,वाशिंग और स्टेबलिंग लाइनों आदि के ऑक्यूपेशन चार्ट तैयार किया जाना चाहिए।
  4. गुड्स गार्ड और मार्शलिंग यार्ड के मामले में ट्रेन के औसत रुकावट की क्षमता का अध्ययन करना चाहिए।
  5. मौजूदा सुविधाओं के साथ सर्वोत्तम क्षमता पर पहले काम करना चाहिए ।इसके बाद ,यातायात के अनुमानों के आधार पर ,क्षमता की उपलब्धता और संभावित आवश्यकता में अंतर की पहचान की जानी चाहिए और चरणबद्ध तरीके से अपेक्षित क्षमता बनाने के लिए वैकल्पिक समाधानों पर विचार किया जाना चाहिए।

निम्नलिखित विकल्पों पर विचार किया जाएगा

  1. स्पीड (गति ) में सुधार
  2. लंबी ट्रेनों के होने से
  3. ट्रेक्शन के परिवर्तन से (डीजल से ट्रेक्शन)
  4. अतिरिक्त क्रॉसिंग स्टेशनों का प्रावधान
  5. ब्लॉक कार्य को कम करके आदि

  • उपरोक्त संभावनाओं का पता लगाने के बाद, अभी भी क्षमता की  उपलब्धता में अंतर है और संभावित आवश्यकता को समाप्त नहीं किया जा सकता है तो उपर्युक्त चरणों में लाइन दोहरीकरण के विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए।
  • लाइन क्षमता कार्य  रेलवे प्रशासन को आवश्यकतानुसार परिचालन में सुधार करने में सक्षम करेगा।
  • चूँकि चरणबद्ध तरीके से परिवहन सुविधाओं का निर्माण किया जाना है, अतः लाइन कैपेसिटी कार्यों को वार्षिक प्रोग्राम करके वर्क्स प्रोग्राम में शामिल किया जाता है।

Saturday, 25 April 2020

Forms of Works Contracts

ठेकों के प्रकार
ठेकों के निम्नलिखित रूप निर्माण कार्य ठेकों पर लागू करने के लिए है।

I)एक मुश्त ठेके (Lumpsum Contract)
II)अनुसूचित ठेके (Schedule Contract)
III)फुटकर ठेके (Piece Work Contract)
IV)ईपीसी कॉन्ट्रैक्ट (Engineering, Procurement and construction Contract)

I) एक मुश्त ठेके (Lumpsum Contract) पैरा 1205 E-1206E

एकमुश्त ठेका वह ठेका है जिसके अंतर्गत ठेकेदार यथा विनिर्दिष्ट निर्माण कार्य या सामान की सप्लाई एक निश्चित अवधि में और नियत समग्र धनराशि के लिए करता है ।उसे धनराशि प्राप्त होना इस बात पर निर्भर करता है कि वह निर्माण कार्य सामान की सप्लाई विशिष्टों (specifications) के अनुसार ,ठीक समय से पूरा कर दे ,भले ही उसे पूरा करने में उसे वस्तुतः चाहे जितना और चाहे जितनी प्रकार का काम और सामान की सप्लाई करनी पड़े ।

ऐसे ठेकों के मामलों में दरों या कीमतों के एक स्केल पर समझौता किया जा सकता है, ताकि बाद में सक्षम प्राधिकारी के आदेश के अंतर्गत ,यदि यथा विनिर्दिष्ट निर्माण कार्य या सामान की सप्लाई के संबंध में कोई परिवर्तन किया जाए, तो एक मुश्त राशि में उसे स्केल के अनुसार वृद्धि या कमी की जा सके ; या ठेकेदारों द्वारा विशिष्टियों के अनुसार निर्माण कार्य या सामान की सप्लाई न किए जाने पर सक्षम प्राधिकारी के विवेक पर कटौती की जा सके।

II)अनुसूचित ठेका (schedule Contract) 1207 E

अनुसूचित ठेका ऐसा ठेका है जिसके अंतर्गत ठेकेदार यथा विनिर्दिष्ट निर्माण कार्य या सामान की सप्लाई एक निश्चित अवधि में और उस कार्य या सामान की सप्लाई की विभिन्न मदों में से प्रत्येक के लिए निश्चित या कीमतों पर करता है । उसे इसके लिए जो धनराशि प्राप्त होनी है वह इस बात पर निर्भर है कि यथाविनिर्दिष्ट और यथा समय काम या सप्लाई पूरी करने के लिए वस्तुतः कितना और किस प्रकार का कार्य किया गया और सामान सप्लाई किया गया है। ऐसे ठेकों में  स्थूल मात्राओं और नियत यूनिट दरों के आधार पर ठेके की स्थूल राशि दिलाना उपर्युक्त परिभाषा के विपरीत नहीं है

III)फुटकर ठेका (Piecework Contract) 1208 E

इसका अर्थ है वह ठेका जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य सामान की केवल यूनिट दरों और कीमतों के बारे में करार किया जाता है ,लेकिन इस बात का जिक्र नहीं किया जाता है कि कुल कितना निर्माण कार्य या सामान सप्लाई किया जाना है या कितनी अवधि में किया जाना है ।जोनल कॉन्ट्रैक्ट (क्षेत्रीय ठेके) रेलवे में इसी कोटि में आते हैं।

नोट :-फुटकर निर्माण कार्य के ठेके की उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार:

  1. रेलवे इस बात का संकेत दे सकती है कि उसका अधिक से अधिक कितने मूल्य का ऑर्डर देने का इरादा है ,लेकिन ठेकेदार निर्माण कार्य या सप्लाई की एक यूनिट से अधिक आर्डर प्राप्त करने का दावा नहीं कर सकता है।
  2. ठेके का निष्पादन हो जाने के बाद निर्माण कार्य या सप्लाई के लिए आर्डर दिए जा सकते हैं,
  3. प्रगति की रफ्तार चाहे विनिर्दिष्ट ना की जाए ,लेकिन यदि यह संतोषजनक नहीं है तो ठेका समाप्त किया जा सकता है।
  4. नए निर्माण कार्य, मौजूदा संरचना में परिवर्तन, विशेष मरम्मत कार्य और निर्माण सामग्री की सप्लाई लेकिन शर्त यह है कि ऐसे प्रत्येक निर्माण कार्य का ठेका ₹2 लाख से अधिक ना हो।
  5. साधारण मरम्मत और अनुरक्षण के कार्य और
  6. आवश्यक ईट ,चूना, बालू आदि सामग्री की ढुलाई।
IV)ईपीसी कॉन्ट्रैक्ट (Engineering, Procurement, construction)

इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन ठेके प्राइवेट सेक्टरों में प्रयोग किया जाता है जहां बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाओं का कार्य होता है ।ईपीसी अनुबंध के तहत एक ठेकेदार को एक निश्चित तारीख तक एक निश्चित मूल्य लिए एक पूर्ण अनुबंध देने की आवश्यकता होती है। इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कॉन्टेक्टर प्रोजेक्ट के विवरण इंजीनियरिंग डिजाइन को पूरा करेगा, आवश्यक सभी उपकरणों और सामग्रियों की खरीद करेगा और फिर अपनी ग्राहकों को कार्य सुविधा देने के लिए निर्माण करेगा। कंपनियां जो ईपीसी प्रोजेक्ट देती है उन्हें आमतौर पर ईपीसी ठेकेदारों के रूप में जाना जाता है।

Thursday, 23 April 2020

Performance Guarantee

Performance Guarantee (standard GCC Clause 16(4)

परफॉर्मेंस गारंटी प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है।


  • जो भी सफल निविदाकार है वह परफॉर्मेंस गारंटी एल ओ ए (Letter of Acceptance)जारी होने के 21 दिन के भीतर प्रस्तुत करेंगे ।
  • 21 दिन के बाद एवं 60 दिन तक पीजी प्रस्तुत करने की समय वृद्धि अधिकृत प्राधिकारी द्वारा दिया जा सकता है जो निविदा अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत है।
  • 22वें दिन से 60 वें दिन तक, इस बीच में अगर ठेकेदार द्वारा पीजी प्रस्तुत किया जाता है तो 22 वें दिन से लेकर जिस दिन पीजी प्रस्तुत किया गया 12% प्रति वर्ष की दर से ब्याज ठेकेदार पर प्रभावित होगा। अगर संयोगवश 60 वें दिन संबंधित कार्यालय में अवकाश रहेगा तो अगले दिन पीजी स्वीकार्य होगा।
  • अगर निविदा का 60 में दिन के बाद भी अपेक्षित पीजी प्रस्तुत नहीं करता है तो अनुबंध को समाप्त कर दिया जाएगा और ईएमडी जब्त कर ली जाएगी। यदि निविदाकार ईएमडी प्रस्तुत नहीं किया हो क्योंकि उनका पंजीकरण स्टार्टअप के रूप में डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत है के साथ हो तो विभाग को सूचित कर दिया जाएगा।
  • असफल ठेकेदार को उस कार्य के पुनः प्रस्ताव(Re-tender) के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
  • सफल बोली दाता (ठेकेदार )कांटेक्ट वैल्यू के 5% पीजी निम्नलिखित में से किसी भी रूप में प्रस्तुत करेंगे
i) नगद जमा
ii) अपरिवर्तनीय बैंक गारंटी
iii) सरकारी प्रतिभूति सहित बाजार मूल्य से 5% स्टेट लोन बॉन्ड
iv) जमा रसीद ,पे ऑर्डर ,डिमांड ड्राफ्ट और गारंटी बॉन्ड जो किसी राष्ट्रीय कृत बैंक का हो।
v) सभी अनुसूचित बैंकों का जमा रसीद
vi) पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक का डिपॉजिट
vii) राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों में जमा
viii) 12 साल का राष्ट्रीय रक्षा प्रमाण पत्र
ix) 10 वर्ष का राष्ट्रीय रक्षा जमा
x) राष्ट्रीय रक्षा जमा
xi) यूनिट ट्रस्ट प्रमाण पत्र जो बाजार मूल्य से 5% कम हो या उसका अंकित मूल्य जो भी कम हो एफडीआर जो FA&CAO के नाम से हो स्वीकृत है।
  • कार्य के दौरान अनुबंध मूल्य में 25% तक कमी बेशी होने पर पी जी के वैल्यू में कोई कमी बेशी नहीं होगी अगर 25% से ज्यादा कमी बेशी हो रही है तो अतिरिक्त उस मूल्य का 5% पीजी ज्यादा होने पर लिया जाएगा एवं कमी होने पर ठेकेदार को लौटा दिया जाएगा।
  • भौतिक रूप से कार्य समाप्त होने के बाद एवं अधिकृत प्राधिकारी द्वारा जारी 'समापन प्रमाण पत्र' जिसमें यह कहा गया हो  कि ठेकेदार ने सभी तरह से संतोषजनक ढंग से काम पूरा किया है एवं  ठेकेदार को पीजी जारी किया जा सकता है ।
  • काम शुरू होने के बाद ,जब भी अनुबंध को रद्द या वापस किया जाएगा
(अ)सिक्युरिटी डिपॉजिट (SD) को जब्त कर लिया जाएगा।
(ब)परफॉर्मेंस गारंटी को नगदी (भुना) करवा लिया जाएगा
(स)असफल ठेकेदार के शेष कार्य बिना जोखिम और लागत के स्वतंत्र रूप से किया जाएगा ।इसके लिए शेष कार्य का फ्रेश टेंडर निकाला जाएगा ।
(द)असफल ठेकेदार को शेष कार्य के निष्पादन के लिए निविदा में भाग लेने से वंचित किया जाएगा।

Tuesday, 21 April 2020

Advance to Contractor (ठेकेदारों को अग्रिम)


  • भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग कोड अध्याय 12 पैरा 1264 E
  • कार्यालयों का यह कर्तव्य होगा कि जहां तक संभव हो अग्रिम राशि ना दें और वे ऐसी प्रणाली बनाने का प्रयास करें जिसमें जितना काम वस्तुतः हुआ है, उसके लिए भुगतान के अलावा और कोई भुगतान न किया जाए।
  • हालांकि महाप्रबंधक अपनी शक्तियों के प्रत्यायोजन में पूंजीगत गहनता वाले तथा विशिष्ट प्रकृति के निर्माण कार्य जिनके अनुमानित मूल्य 50 करोड़ से अधिक है स्वीकृति दे सकते हैं।
  • यह अग्रिम चार प्रकार के हैं।

I जुटाव अग्रिम (Mobilisation Advance)

यह संविदा के मूल्य के 10 % तक होगा और इसका भुगतान दो चरणों में किया जाएगा। 

चरण-I-- संविदा करार पर हस्ताक्षर करने पर संविदा मूल्य का 5%

चरण-II-- स्थल कर्मचारियों , कार्यालय स्थापित करने, उपस्कर लाने और निर्माण कार्य को वस्तुतः प्रारंभ करने पर 5%

अग्रिम के इन दो चरणों में भुगतान क्रमशः संविदा हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद और प्रबंध करने के समय किया जाएगा।

II मशीन और उपस्कर के लिए अग्रिम (Advances against Machinery and Equipment)

  • यह अग्रिम कार्यस्थल पर लाई गई नई मशीनरी और उपकरण के बदले अनुबंध मूल्य के अधिकतम 10% सीमित होगी साथ ही यह अग्रिम उपकरण के खरीद मूल्य के 75% तक सीमित रहेगी।
  • यह तभी देय होगी जब तक उपर्युक्त बोर्ड के माध्यम से यह राष्ट्रपति को हाइपोथैकेटेड (दृष्टि बंधक) कर दी जाए या विकल्पतः रेलों को स्वीकार्य किसी रूप में भारतीय स्टेट बैंक से या भारत के किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से संयंत्र और उपस्कर की पूरी लागत के लिए एक अप्रतिसंग्रहनिय  बैंक गारंटी दी जाए।
  • यह सिर्फ नई मशीनरी के लिए दी जाएगी जो मशीन साइट पर लाया जाएगा।
  • इस संयत्र और उपस्कर की पूरी मूल्य के लिएअपेक्षित पूरी अवधि के लिए बीमा कराया जाना होगा ।
  • यह अग्रिम पुरानी मशीन और संयंत्र पर नहीं दिया जाएगा।
  • यह संयंत्र और उपस्कर इंजीनियर की लिखित अनुमति के बिना कार्यस्थल पर नहीं हटाया जाएगा।
III संविदा के निष्पादन के दौरान निर्माण कार्यों की प्रगति में तेजी लाने के लिए अग्रिम

  • इस अग्रिम का निर्धारण मूल्य के आधार पर विनिश्चय किया जाता है। यह प्रत्येक निविदा के मेरिट के आधार पर तय होगा।
  • इसे संबद्ध प्रमुख वित्त सलाहकार के परामर्श से PCE की सिफारिशों पर महाप्रबंधक द्वारा मंजूर किया जाएगा ।
  •  यह अग्रिम संविदा मूल्य के अधिकतम 5% तक दिया जाएगा।

IV असाधारण मामलों में अग्रिम (Advances in exceptional cases)

  • 50 करोड़ से कम मूल्य की ऐसी ही संविदाओं के संबंध में महाप्रबंधकों को आपवादिक मामलों में ₹20 लाख तक अग्रिम स्वीकृत करने का अधिकार प्राप्त है।
  • यदि वे प्रभारी मुख्य इंजीनियर (PCE)द्वारा संस्तुत और सम्बद्ध वित्त के परामर्श से (PFA)प्रत्येक स्थिति में गुण दोष की परिस्थितियों पर नजर रखते हुए परम आवश्यक समझते हो।

उपर्युक्त अग्रिम निम्नलिखित शर्तों के अधीन है-
  1. अग्रिम पर ब्याज देय होगा, ब्याज की दर रेलवे बोर्ड द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में सूचित कर दिया जाएगा ।यह उस वित्तीय वर्ष में खोले गए निविदाओं के लिए लागू होगा।
  2. मशीनरी और उपकरण के विरुद्ध स्वीकृत  अग्रिम के लिए जो अपरिवर्तनीय बैंक गारंटी के विरुद्ध स्वीकार्य है स्वीकृत अग्रिम के 110 प्रतिशत बैंक गारंटी के रूप में जमा करना होगा ।बैंक गारंटी भारत के राष्ट्रीयकृत बैंक या भारतीय स्टेट बैंक से रेलवे को स्वीकार्य होगी।
  3. वसूली तब प्रारंभ की जाएगी जब निष्पादित कार्य (executed work) का मूल्य मूल अनुबंध मूल्य का 15% तक पहुंच जाए।
  4. वसूली तब समाप्त होगी जब निष्पादित कार्य का मूल्य मूल अनुबंध मूल्य के 85% तक पहुंच जाएगा।
  5. किस्त की राशि प्रत्येक ऑन अकाउंट बिल से प्रो रेटा के आधार पर काटी जाएगी।
  6. अग्रिम राशि प्रदान करना मुख्यतः रेलवे के अपने हित में हो।
  7. एक ही निर्माण के लिए विभिन्न अधिकारियों से अग्रिम राशि नहीं ली जा सकती है।
  8. इन अग्रिमों के भुगतान और वसूली की जिम्मेदारी का लेखा जोखा लेखा कार्यालय की होगी।
  9. इस बात के लिए संभव पूर्वोपाय (necessary precautions) किए जाएं कि सरकार को किसी प्रकार के हानि की संभावना ना हो और यह प्रणाली बहुत सामान्य ना बन जाए अथवा उससे अधिक जारी ना हो जितनी कार्य की समुचित प्रकृति के लिए नितांत आवश्यक है।

ब्याज की वसूली (Method of Recovery of interest)

  • ब्याज की अदायगी अग्रिम के भुगतान के तारीख से ऑन अकाउंट बिल के तारीख तक की जाएगी।
  • यथा अनुपात मूलधन की वसूली सहित ऑन अकाउंट बिल में पूर्णतया समायोजित की जाएगी।
  • इसमें किसी भी प्रकार से कमी होने के मामले में ब्याज की वसूली की जाएगी तथा अगला ऑन अकाउंट बिल में अग्रेषित किया जाएगा।
  • ऐसे अग्रिमों  के लिए बैंक गारंटी में स्पष्ट तौर से स्वीकृत अग्रिम का 110% कवर होगा (जिसमें मूलधन और ब्याज कवर हो)


Sunday, 19 April 2020

Security Deposit ( जमानत की रकम)


  1. जमानत की रकम सफल निविदाकार से ठेके को उचित ढंग से पूरा करने के प्रमाण के रूप में जमा कराई जाती है।
  2. जमानत की रकम निविदा के मूल्य के 5% जमा कराई जाती है। 
  3. जमानत की रकम को ठेकेदार द्वारा प्रथम ऑन अकाउंट बिल से पहले नगद में जमा किया जा सकता है या जमा रसीद जो अनुसूचित बैंक का हो या ठेकेदार के रनिंग बिलों से 6% की दर से वसूला जा सकता है जब तक की पूरा जमानत की रकम वसूल ना हो जाए।
  4. डिफॉल्ट ठेकेदार के मामले में रेलवे लंबित भुगतान की राशि को रिटेंड (बरकरार) रख सकता है। जो राशि बरकरार रखी गई है (जिसमें परफॉर्मेंस गारंटी भी है ) वह निविदा के मूल्य के 10% से ज्यादा नहीं हो सकता है।
  5. अगर निविदा का मूल्य 50 करोड़ या उससे ज्यादा हो तो जमानत की रकम को अनुसूचित बैंक द्वारा जारी किए गए बॉन्ड को भी जमा किया जा सकता है निविदा दस्तावेज पर कार्यवाही शुरू होने के बाद किंतु प्रथम ऑन अकाउंट बिल से पहले करना होगा। आगे बैंक गारंटी की वैलिडिटी को समय-समय पर बढ़ाया जाएगा यह जीसीसी के क्लॉज 17 एक्सटेंशन ऑफ कॉन्ट्रैक्ट गारंटीड पर निर्भर है।
  6. अगर जमानत की रकम को जमा रसीद , बैंक गारंटी बॉन्ड के रूप में पूरा जमा कर दिया गया हो तो ठेकेदार के बयाने की रकम को रेलवे द्वारा वापस कर दिया जाएगा।
  7. भौतिक रूप से कार्य समाप्ति होने पर एवं अधिकृत अधिकारी द्वारा प्रमाणित होने के बाद जमानत की रकम को वापस कर दिया जाएगा।
Refund of Security Deposit.

I) निविदा के अंतिम भुगतान के बाद।
II) अंतिम सप्लीमेंट्री अनुबंध पर हस्ताक्षर या इंजीनियर द्वारा जारी प्रमाण पत्र जिसमें यह लिखा हो कि ठेकेदार पर कोई दावा (claim) नहीं है।
III) रखरखाव अवधि के समाप्ति के बाद जारी प्रमाण पत्र के आधार पर।

Earnest Money Deposite

Earnest Money Deposited (बयाने की रकम) पैरा 1241 E
  • बयाने की रकम उन सभी इच्छुक ठेकेदारों से ली जाती है जो टेंडर लेना चाहता है। 
  • सभी प्रकार के टेंडर के लिए यह लिया जाता है। 
  • बयाने की रकम लेने का उद्देश्य यह  है की यदि ठेकेदार को टेंडर मंजूर होने के बाद निर्धारित समय के भीतर टेंडर का काम शुरू न कर पाए या निर्धारित जमानत की रकम (SD) नहीं  जमा कर पाए तो उस से होने वाले नुकसान की भरपाई किया जा सके या तब तक के लिए काफी हो जब तक की ठेकेदार का दे राशियों (sum due) से काफी गारंटी ना हो जाये।
  • ब्याने की रकम को BID SECURITY भी कहा जाता है । 

ब्याने  की रकम किसी भी कार्य  के लिए इस प्रकार  है - 

कार्य का वैल्यू      

ब्याने की रकम

एक करोड़ तक के कार्य के लिए

प्राक्कलित मूल्य का 2%

एक करोड़ से ज्यादा मूल्य के  प्राक्कलित कार्य के लिए

2 लाख एवं एक करोड़ से ज्यादा मूल्य का  0.5% , एवं अधिकतम 1 करोड़

 



  • यह निविदा के साथ भुगतान किया जाना चाहिए तथा इसके बिना निविदा को अस्वीकार कर दिया जाता है।
  • कोई फार्म जो DIPP (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन) से स्टार्ट अप के रूप में पंजीकृत होगा उसे ईएमडी जमा करने से छूट दी जाएगी।
  • लेबर कोपरेटिव सोसाइटी निर्धारित ब्याने की रकम के 50% तक ही जमा करेगी । 
  • निविदादाता के उसके प्रस्ताव को निर्धारित समय जो नियम के तहत है  के भीतर, अपना प्रस्ताव वापस लेने अथवा उसके निविदा स्वीकार करने के पश्चात संविदा के निष्पादन में असफल होने के मामले में बयाने की पूरी राशि जप्त कर ली जाएगी । 
  • सफल निविदाकार के बयाने की राशि को जमानत की राशि में बदल दिया जाएगा एवं सभी असफल निविदाकार को ईएमडी की रकम वापस कर दिया जाएगा ।रेलवे वापस होने वाले ईएमडी पर किसी प्रकार का ब्याज का भुगतान नहीं करेगी।
  • ईएमडी नगद के रूप में ई पेमेंट गेटवे के माध्यम से जमा किया जाएगा या बैंक गारंटी बॉन्ड के रूप में या निविदा दस्तावेज में जो निर्देश दिया गया है उस आधार पर जमा किया जाएगा।
  • अगर बैंक गारंटी के रूप में जमा किया जाए तो उसे IREPS पर स्कैन कॉपी अपलोड करना होता है एवं आरिजिनल बैंक गारंटी 5 कार्य दिवस के भीतर संबन्धित कार्यालय मे देना होता है । 
  • बैंक गारंटी बॉन्ड बोली  लगाने के लिए जो समय निर्धारित है उसके 90 दिन बाद तक के लिए वैध होगा । 
  • बीड सेकुरिटी को राउंड फिगर 100 में होना चाहिए और यह टेंडर के सभी मोड्स पर लागू होना चाहिए । 


(2004WO,2006 WO, 2012WO,2016WO,2017-18W)

Sunday, 12 April 2020

Completion Report

1.समापन रिपोर्ट क्या है ? (5)

2.समापन रिपोर्ट की जाँच के प्रमुख बिंदु ? (5)

1. परियोजना के कार्य की समाप्ति पर जिसके लिए पहले से ही प्राक्कलन स्वीकृत है के लिए एक रिपोर्ट तैयार किया जाता है जिसे "समापन रिपोर्ट" कहते हैं । इसे फॉर्म E 1706 में तैयार किया जाता है, जिसमें निर्मित किए गए निर्माण कार्यों की लागत का पिछले स्वीकृत प्राक्कलन में दी गई लागत से मिलान करना है एवं कमी बेशी और बचत के बारे में विस्तृत व्याख्या करना है।
     
          समापन रिपोर्ट में निम्नलिखित के लिए संक्षिप्त स्पष्टीकरण भी दिए जाने चाहिए :-
(i) प्रत्येक उप निर्माण कार्य के अंतर्गत प्राक्कलित प्रावधान के ऊपर कम से कम 10% या 25,000 इनमें से जो भी कम हो का आधिक्य, और
(ii) किसी भी उप निर्माण कार्य के अंतर्गत कम से कम 20% या 1 लाख रुपए इनमें से जो भी कम हो ,की बचत।

नोट:- यदि कमी बेशी स्वीकृत प्राक्कलन के 5 % के भीतर हो तो निर्माण रजिस्टरों में महाप्रबंधक अपनी सक्षमता के अंतर्गत संबंधित उप मुख्य इंजीनियर को निर्माण कार्यों की समापन रिपोर्ट को अनुमोदित करने की अधिकार शक्ति दे सकते हैं।

     किसी समापन रिपोर्ट का उद्देश्य वास्तव में निर्मित किए निर्माण कार्यों की लागत का पिछले स्वीकृत प्राक्कलन में दी गई लागत से मिलान करना है ।परियोजना की समापन रिपोर्ट जो लेखा अधिकारी द्वारा विधिवत सत्यापित हो उसी छमाही की समाप्ति के पश्चात जिसमें समापन प्राक्कलन प्रस्तुत किया गया है ,के 18 महीने के भीतर रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत की जानी चाहिए ।इसमें व्यय के विवरण उसी प्रकार दिए जाने चाहिए जैसे की रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत संक्षिप्त प्राक्कलन (Abstract Estimate) में हो और यदि उनमें कोई ठोस आशोधन (Material Modification) किया गया हो तो उसका उल्लेख किया जाना चाहिए ।इसके अतिरिक्त इसमें ऐसी अन्य जानकारी भी दी जानी चाहिए जो रेल प्रशासन के विचार से रेलवे बोर्ड के लिए महत्त्व की हो।
      नवनिर्मित रेलवे लाइनों के मामले में समापन रिपोर्ट के साथ एक तुलनात्मक विवरण भी भेजा जाना चाहिए जिसमें लाइन की यथा प्रत्याशित और समापन लागत के संदर्भ में अपडेट की हुई वित्तीय संभावनाएं दिखाई जाए। यदि समापन रिपोर्ट तैयार करते समय उस अवधि तक आमदनी में मूल प्रत्याशाओं की अपेक्षा भारी परिवर्तन हो चुके हो तो इसमें तथ्य को भी वित्तीय संभावनाओं की रूपरेखा बनाते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।

2. समापन रिपोर्टों की लेखा कार्यालय में जांच करके यह देखा जाना चाहिए कि :-

(i) वे उपयुक्त फार्म तैयार किया गया है या नहीं।
(ii) उनमें में की गई प्रविष्ठियां, स्वीकृत और बुक किए गए परिव्यय वर्क्स रजिस्टर के अनुरूप है या नहीं।
(iii) ऐसे सभी सामग्रियां जो निर्माण- कार्य या कार्यों को प्रभारित थी परंतु उपयोग में नहीं लाई गई भंडारों को वापस कर दी गई हो या अन्यत्र हस्तांतरित कर दी गई हो और कार्य के लेखे में उनके मूल्य को क्रेडिट खाते में लिख दिया गया है।
(iv) प्राक्कलन में उपबंधित निरमुक्त सामग्रियों (credit for the released materials) के लिए जमा की रकम संबंधित निर्माण कार्य के सामने समायोजित कर दी गई हो।
(v) निर्माण कार्य के लेखे में निर्माण कार्य से संबंधित सभी अंतिम बिलों की पोस्टिंग की शुद्धता की जांच की जाए।
(vi) अन्य मदों की अंकगणितीय शुद्धता की जांच।
(vii) यह देखा जाए कि लेखे में आधिक्य (excess) और बचतों (savings) के लिए स्पष्टीकरण संतोषजनक रूप में दिया गया हो।
         सभी समापन रिपोर्टों को लेखा अधिकारी द्वारा शुद्ध रूप में सत्यापित किया जाना चाहिए। लेखा अधिकारी के सत्यापन प्रमाण पत्र रिपोर्ट में प्रदर्शित परिव्यय को स्वीकृति देने वाले प्राधिकारी का उल्लेख किया जाना चाहिए।

2017-18 WO(10)

Thursday, 9 April 2020

Lease & License

लीज:-(1) उपयोगकर्ता एवं मालिक के बीच एक समझौता है जिसमें उपयोगकर्ता संपत्ति के उपयोग के बदले में एक निर्धारित किराया का भुगतान करता है।
(2) संपत्ति अधिनियम 1885 के हस्तांतरण की धारा 105 के अनुसार "पूर्व निर्धारित समय तक संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार" संपत्ति के मालिक द्वारा संपत्ति के उपयोगकर्ता को दी जाती है।

लाइसेंस :-(1) लाइसेंस के बिना किसी तीसरे पक्ष द्वारा बौद्धिक संपदा का उपयोग करना नियम का उल्लंघन है।
(2) भारतीय संविदा अधिनियम 1882 की धारा 52 के अनुसार लाइसेंस ,लाइसेंस धारक को सम्पत्ति के किसी भी हिस्से पर कब्जा करने का अधिकार नहीं देता है बल्कि सीमित अवधि के लिए सम्पत्ति का उपयोग करने की अनुमति देता है।

लीज
1. पार्टी :-मालिक और उपयोगकर्ता।
2. एक समय अवधि के लिए पट्टेदार को संपत्ति के अधिग्रहण की अनुमति देता है।
3. यह अपरिवर्तनीय है अर्थात अनुबंध पूरा होने से पहले उसको रद्द नहीं किया जा सकता है।
4. इसे लीज रेंट के रूप में जाना जाता है।
5. यह हस्तांतरणीय है अर्थात पट्टेदार तीसरे पक्ष को पट्टा हस्तांतरित कर सकता है।
6. उपयोगकर्ता कोई भी सुधार संपत्ति में कर सकता है।
7. पट्टेदार के मृत्यु होने पर करार समाप्त नहीं होता है।

लाइसेंस
1. पार्टी:- लाइसेंसर (जिसने अनुमति दी) लाइसेंसी (जिसे अनुमति दी गई)
2. लाइसेंस धारी को इस प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी जाती है।
3. लाइसेंस धारी की इच्छा पर समझौते को पूरा होने से पहले रद्द किया जा सकता है।
4. इसे लाइसेंस फी के रूप में जाना जाता है।
5. यह अहस्तांतरणीय है।
6. लाइसेंस धारी कोई सुधार संपत्ति में नहीं कर सकता है।
7. इसमें समाप्त हो जाता है।


Exp.2004WO,2015WO