Wednesday, 27 November 2019

EXPENDITURE ORDER, SUPPLEMENTARY GRANTS, EXCESS GRANTS

व्यय आदेश (EXPENDITURE ORDER)

रेल प्रशासन को मंजूर किये गए आंवटन से किसी सीमा तक अधिक खर्च करने के लिए प्राधिकृत करते हुए जब रेलवे बोर्ड द्वारा आदेश जारी किए जाते हैं तो ऐसे आदेशों को "बजट आदेश" से भिन्न "व्यय आदेश" माना जाना चाहिए।

अर्थात ये आदेश बजट आदेशों से बिल्कुल भिन्न होते हैं और इन्हें रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत आंवटन से अधिक करने की अनुमति देने के लिए जारी किया जाता है।पुनर्विनियोग(Re-apporiation) स्वीकृत करते समय या विभिन्न उपशीर्षों में मंजूर आंवटन का वितरण करने में इन आदेशों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।

वित्त संहिता I पैरा 381 (1996,2015)

अनुपूरक अनुदान (Supplementary Grants)

जब बजट में किसी अनुदान/विनियोग की रकम चालू वर्ष के लिए अपर्याप्त पायी जाती है तो अनुपूरक/विनियोग का एक अनुमान संसद की स्वीकृति के लिए/राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए उसी तरह रेलवे बोर्ड भेजा जाता है जिस तरह रेलवे मूल अनुदान की मांगे/विनियोग भेजे जाते हैं।परंतु न केवल संविधान के अनुच्छेद 113(3) के अधीन बल्कि अनुच्छेद 115(1) और 115(2) के अधीन भी अनुपूरक मांगो के लिए केवल राष्ट्रपति की सिफारिश लेनी होगी।

वित्त संहिता I पैरा 390

अतिरिक्त अनुदान (Excess Grants)

अतिरिक्त अनुदान का संबंध पहले से किये गए उस खर्च से होता है जो वर्ष में खर्च को पूरा करने के लिए संसद से स्वीकृत रकम से अधिक होता है।खर्च में इस आधिक्य के बारे में पूरा स्पष्टीकरण देना चाहिए।

अतिरिक्त अनुदान की मांग लोक लेखा समिति द्वारा रेलों के विनियोग लेखों और नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक की लेखा परीक्षा रिपोर्ट की संवीक्षा के फलस्वरूप की गई सिफारिशों पर आधारित होती है।
अतिरिक्त अनुदान न केवल संविधान के अनुच्छेद 113(3) के अधीन बल्कि अनुच्छेद 115(1) और 115(2) के अधीन भी अतिरिक्त मांगो के लिए केवल राष्ट्रपति की सिफारिश लेनी होगी।

वित्त संहिता I पैरा 391

(1991,95,2000,2004,2012)

Monday, 25 November 2019

Budgetary Review

बजटीय समीक्षा करने के उद्देश्य
वर्ष के दौरान रेलवे बोर्ड से रेल प्रशासनों को जो भी बजट अनुदान मिलता है उस बजट अनुदान से व्यय की प्रगति के मिलान करने के लिए बजटीय समीक्षा की जाती है।बजटीय समीक्षा करने के प्रमुख उद्देश्य है।

  • बजट अनुदान और व्यय की प्रगति का मिलान करना।
  • वास्तविक व्यय जो अब वर्ष के बचे हुए महीनों में होने वाली है इसके लिए संशोधित अनुमान लगाना।
  • रेलवे बोर्ड को इसके लिए सक्षम बनाना।
इसके लिए वर्ष में दो समीक्षा की जाती है

(i)संशोधित प्राक्कलन
(ii)अंतिम आशोधन विवरण

(i) संशोधित प्राक्कलन :- यह समीक्षा नवम्बर माह में की जाती है ।इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाता है।
●बजट अनुपात।
●पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान किया गया व्यय।
●पिछले वित्तीय वर्ष के इसी अवधि के दौरान किया गया व्यय।
●बजट अनुदान

इस समीक्षा में अतिरिक्त बजट अनुदान की आवश्यकता या आवंटित बजट को सरेंडर किया जा सकता है।

(ii)अंतिम आशोधन विवरण:-यह विवरण प्रत्येक अनुदान के सम्बंध में रेल प्रशासन द्वारा बनाया जाता है।और रेलवे बोर्ड को हर वर्ष 21 फरवरी तक प्रस्तुत किया जाता है।इस विवरण का उद्देश्य यह है कि वर्तमान वित्त वर्ष में कितने अतिरिक्त आंवटन की आवश्यकता है और कितनी निधियां सरेंडर करना है।

इस विवरण में प्रत्येक अनुदान शीर्षों के अंतर्गत अतिरिक्त आंवटन स्वीकृत और प्रभृत (Voted & Charged) और सरेंडर बजट आदेशों के अनुसार दिखाए जाते हैं और इसके समर्थन में रेलवे बोर्ड के द्वारा जारी आदेशों के अनुसार पर्याप्त स्पष्टीकरण दिया जाता है।

बाद में यदि कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन करना आवश्यक हो तो उसके बारे में हर वर्ष 20 मार्च से पहले सूचना भेज देनी चाहिए ताकि जहाँ तक सम्भव हो, राष्ट्रपति  मंजूरी प्रदान कर सके और आवंटन से जितना अधिक खर्च प्रत्याशित हो उसके लिए रेल प्रशासन वर्ष के 31 मार्च से पहले समय पर पुनर्विनियोग की मंजूरी दे सके।

Saturday, 23 November 2019

Proportionate Budget allotment

आनुपातिक बजट आंवटन

परिभाषा:-वर्ष के दौरान जो भी बजट मिलता है उसे बारह महीनों में बांट दिया जाता है।जिससे बजट आंवटन और महीने के वास्तविक कार्य-संचालन व्यय(Actual Working Expenditure) के बीच तुलना की जा सके।इसी तुलनात्मक अध्ययन के लिए आनुपातिक बजट आंवटन तैयार किया जाता है।

उद्देश्य:-खर्च के नियंत्रण व प्रगति की समीक्षा के उद्देश्य से वर्ष के बजट आंवटन से मासिक आनुपातिक बजट आंवटन तैयार किया जाता है।इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह आवश्यक है की आकलन को प्रभावित करने वाले सभी तत्वों या विशेष लक्षणों को ध्यान में रखा जाए।यह एक प्रकार का व्यय नियंत्रण का उपकरण भी है।

इसके लिए उत्तरदायित्व तत्व जिसमें निहित है:- बजट की आवंटित राशि में से होने वाले व्यय पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी यद्यपि उस प्राधिकारी की है जिसके लिए उक्त आवंटित राशि को व्यय करने के लिए रखा गया है।
               लेकिन प्रशासन का वित्त सलाहकार होने के नाते लेखा अधिकारी की यह ड्यूटी है कि वह इस प्रकार के नियंत्रण के प्रयोग में नियत्रंण प्राधिकारियों की हर सम्भव मदद करे।इसके लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए व्यय के प्रत्येक उपशीर्ष के अंतर्गत अनुमानित क्रमिक व्यय का हिसाब लगाया जाता है।
(i) पिछले वर्ष से आकंड़ों को आगे लाना।
(ii) सभी व्यय चाहे नकद हो या समायोजन द्वारा हो,जिसकी देयता पहले से ही है परंतु आवधिक स्वरूप के कारण या सप्लाई की प्राप्ति पर या अन्य कोई कारण जिस वजह से वर्ष के दौरान समान रूप से वितरित नहीं किया जा सकता हो।
(iii) ऐसे व्यय जो निश्चित है और पूरे वर्ष के लिए समान रूप से वितरित किया जा सकता है।
(iv) अन्य व्यय जो वर्ष के दौरान सम्भावित है किंतु जिसकी देयताएं अभी होनी है।
(v)नए और असम्भावित व्यय को पूरा करने के लिए कुछ राशि को रिजर्व के रूप में रखने की आवश्यकता होती है।

कुछ सम्भावित व्यय के उदाहरण

वेतन वृद्धि,बोनस भुगतान संविदा भुगतान 

हालांकि पिछले वर्ष के वास्तविक आँकड़े इस वर्ष का अनुमान का आधार बन सकता है।इस तरह विस्तृत अनुमान और मासिक वित्तीय समीक्षाएं कर व्यय की प्रगति पर निगरानी रखी जा सकती है।

Para 508 to 511 वित्त संहिता I

Short note 2012,2016 Books & Budget


Friday, 22 November 2019

Public Account of India

भारत का लोक लेखा

  • भारत का लोक लेखा यह भारत सरकार की एक निधि है,जिसका गठन अनुच्छेद266(2) के अंतर्गत किया गया है।
  • इस निधि के अंतर्गत भारत सरकार एक बैंकर के रूप में कार्य कर रही है।अर्थात इस निधि में रकम जनता का है पर भारत सरकार के अधीन है।
  • इस निधि के दो मुख्य भाग हैं (i) ऋण और जमा शीर्ष (ii) प्रेषण शीर्ष (Remittance Heads)
  • पहला भाग का संबंध समेकित निधि से संबंध रखने वाले "ऋण शीर्षों" को छोड़कर अन्य ऋण के प्राप्तियों और भुगतान से संबंधित है।जिसमें धन की अदायगी की देयता भारत सरकार की होती है और भुगतान की गई राशियों की वसूली का अधिकार भी उसे होता है।जैसे अंशदायी और गैर अंशदायी प्रोविडेंट फण्ड,स्टाफ बेनिफिट फण्ड और रेलवे के फण्ड (DF,DRF ,etc.)
  • दूसरे भाग का संबंध केवल समायोजन (Adjustment) शीर्षों से है ।जैसे विभिन्न लेखा शीर्षों के बीच अंतरण (जैसे कि पहले एक लेखा अधिकारी के खाते में दिखाए गए किन्तु अंतिम रूप से दूसरे के खातों में भेज दिया गया)
  • भारत के लोक लेखा को एक इस उदाहरण से समझा जा सकता है जैसे NPS में जो रकम की कटौती हो रही है वो रकम अभी भारत सरकार के पास है पर वह जनता का है समय आने पर भुगतान करना होता है।उसी प्रकार पी एफ की कटौती ।

Thursday, 21 November 2019

CONTINGENCY FUND


  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार आकस्मिकता निधि का गठन किया गया है।
  • यह निधि अग्रदाय प्रकृति ( Imprest Nature) के हैं।अर्थात इस निधि से धन खर्च करने के बाद पुनः प्रतिपूर्ति किया जाता है।
  • इस निधि से खर्च आकस्मिक कार्यों या ऐसी नई सेवा पर किया जाता है जिसका प्रावधान बजट में नहीं किया गया है।
  • इस निधि से खर्च करने के बाद संसद से स्वीकृति लेकर उतनी ही राशि से समेकित निधि से प्रतिपूर्ति किया जाता है।
  • रेल के संबंध में इस तरह के व्यय वित्त आयुक्त के अधिकार में है।रेलों द्वारा अपेक्षित अग्रिमों के सम्बन्ध में आवदेन-पत्र वित्त आयुक्त रेलवे को भेजे जाएंगे।जिनमें निम्नलिखित ब्यौरा दिया जायेगा। 
  • (i) होने वाले व्यय का संक्षिप्त विवरण ।(ii) वे परिस्थियां जिनके कारण बजट में इस ख़र्च का प्रावधान नहीं की जा सकी।(iii) इस खर्च को रोकना सम्भव क्यों नहीं है।(iv) पूरे साल या उसके कुछ भाग के लिए, जैसी भी स्थिति हो,प्रस्ताव की पूरी लागत देते हुए, निधि से अग्रिम देने के लिए अपेक्षित रकम और (v) वह अनुदान या विनियोग जिसके अधीन अनुपूरक व्यवस्था पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
  • अग्रिम की मंजूरी के आदेश की एक प्रति जिसमें रकम,वह अनुदान या विनियोग जिससे यह संबंधित है तथा उप-शीर्षवार संक्षिप्त विवरण और जिस खर्च को पूरा करने के लिए यह किया गया है उसके विनियोगों की यूनिटें दिखाई जाएगी जिसे संबंधित लेखा परीक्षा अधिकारी को भेजी जाएगी।इसके अलावा वित्त आयुक्त रेलवे द्वारा ऐसे आदेशों की प्रतियां अपर उप नियंत्रक महालेखापरीक्षक (रेलवे) को भेजी जाएगी।

Tuesday, 19 November 2019

Consolidated Fund

समेकित निधि(Consolidated fund) 

Short notes


  1. सरकारी लेखों का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है (I) भारत की समेकित निधि (2) भारत की आकस्मिकता निधि (3) भारत का लोक लेखा।इसमें भारत की समेकित निधि सभी निधियों में महत्वपूर्ण है।
  2. भारत के संविधान के अनुच्छेद 266(I) के अनुसार इस निधि का सृजन हुआ।
  3. यह एक ऐसा कोष है ,जिसमें भारत सरकार द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से प्राप्त सभी राजस्व,उधार लिया गया धन,सरकार द्वारा दिये गए ऋणों से प्राप्त धन,रेलों के लिए यातायात से होने वाले आमदनी इकट्ठा होता है।
  4. भारत सरकार के जितने भी व्यय है इस निधि से ही किया जाता है सिर्फ असाधारण मदों को छोड़कर।सबसे महत्वपूर्ण बात यह की इस निधि से कोई भी खर्च बिना संसद के अनुमति से नहीं किया जा सकता है।
  5. इस निधि के मुख्यतः तीन प्रभाग है (I) राजस्व (II) पूँजी(III) कर्ज।
  6. प्रथम भाग में करों की आय तथा अन्य व्यय प्राप्तियों से संबंधित हिसाब रखा जाता है,जिससे वर्ष के दौरान बचत या घाटा का शुद्ध परिणाम निकलता है।
  7. द्वितीय भाग में भौतिक किस्म की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करने के उद्देश्य से किये जाने वाले खर्च का हिसाब और पूंजीगत खर्च को संतुलित करने के लिए लगाई जाने वाली प्राप्तियों का हिसाब रखा जाता है।
  8. तृतीय भाग में , जहां तक रेलवे लेखा का संबद्ध है,सरकार द्वारा दिये गए ऋणों और अग्रिमों का हिसाब तथा उन ऋणों की अदायगी और अग्रिमों की वसूलियों का हिसाब रखा जाता है।


BUDGET ORDER

बजट आदेश

संसद द्वारा स्वीकृत अनुदान और राष्ट्रपति द्वारा  स्वीकृत प्रभृत (Charge) ख़र्च के लिए विनियोग बिल पास किया जाता है।बजट स्वीकृत होने के बाद रेलवे बोर्ड द्वारा रेल प्रशासनों और रेलवे बोर्ड के अधीन दूसरे प्राधिकरणों में यथाशीघ्र वितरित कर दिए जाते हैं।
इस तरह वितरित की गयी रकमें "आवंटन" कहलाती है और जिन आदेशों के जरिये आवंटन किये जाते हैं उन्हें "बजट आदेश" कहते हैं।

संसद द्वारा स्वीकृत निधियों से किये गए आवंटन "स्वीकृत"(voted) के रूप में दिखाए जाते हैं और राष्ट्रपति द्वारा नियत आवंटन "प्रभृत"(charged) के रूप में दिखाए जाते हैं।

पैरा संख्या 361 वित्त संहिता I

बजट आदेशों के साथ "अनुदान की मांगे" (Demand for grants) और "मशीनरी, निर्माण और चल स्टॉक कार्यक्रम" के अंतिम संस्करण भेजे जाते हैं जिनमें संचालन व्यय और पूँजी, मूल्य ह्रास निधि(DRF),विकास निधि(DF) के खर्च के लिए रेल प्रशासनों को किये गए बजट आंवटन के वितरण का ब्यौरा रहता है।

किसी रेल प्रशासन को बजट आंवटन इस उद्देश्य से किया जाता है कि उसमें वर्ष के दौरान भुगतान किए जाने वाले या उसके लेखों में समायोजित (adjustment) किये जाने वाले प्रभार ,जिसमें पिछले वर्षों की देयताएं(Liability) भी आ जाएं।यह वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक चालू रहता है।

"व्यपगम के सिद्धांत" (Doctrine of Lapse) के अंतर्गत वर्ष के दौरान खर्च न की गई रकम व्यपगत(Lapse) हो जाएगी और आगामी वर्ष में उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं रहेगी।

पैरा 362 वित्त संहिता I