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Monday, 20 July 2020

Difference Between Demand Recoverable and Bills Recoverable


Difference Between Demand Recoverable and Bills Recoverable.



वसूली योग्य मांग (Demand Recoverable)
बिल्स वसूली (Bills Recoverable)
1. वसूली योग्य मांग की शुरुआत रेलवे में 01.04.1988 से हुआ है।
1. बिल्स वसूली रेलवे में शुरू से ही है।
2. वसूली योग्य मांग यातायात उचन्त का एक भाग है अतः इसकी वसूली से यातायात उचन्त में कमी आती है जिससे परिचालन अनुपात बेहतर होता है।
2. बिल्स वसूली से राजस्व मांग में कमी आती है जिससे भी परिचालन अनुपात बेहतर होता है।
3. इसके प्रचालन का प्रमुख उद्देश्य है रेंट, लीज प्रभार बिल्डिंग का, ब्याज एवं अनुरक्षण प्रभार साइडिंगों का प्राइवेट पार्टियों से वसूल कर रेलवे के खाते में लाना।
3. इसके प्रचालन का प्रमुख उद्देश्य है जल, बिजली,कर्मचारी प्रभार प्राइवेट पार्टियों से वसूल कर रेलवे के खाते में लाना।
4. यह सरकारी और वाणिज्यिक लेखा को जोड़ने के लिए एक लिंक हेड है।
4. यह लिंक हेड नहीं है।
5.जब रेलवे बिल्स तैयार करती है तो-

वसूली योग्य मांग………..Dr.
To "Z" आय…………...Cr. 
5.जब रेलवे बिल्स तैयार करती है तो-

संबंधित राजस्व मांग……….Dr.
To चेक एंड बिल्स………...Cr.
6.जब पार्टी से भुगतान प्राप्त हो जाती है तो-
Remittance into Bank……….Dr.
To Demand Recovarable…...Cr.
6.जब पार्टी से वसुली हो जाती है तो-

Remittance into Bank………….Dr.
To Concerned Revenue Demand..Cr.
7. यह विविध आय का भाग है।
7. यह विविध आय भाग नहीं है, क्योंकि यह पार्टी से वसूली के पहले ही राजस्व व्यय के मांग में कम कर के लेखा में दिखाया गया है (सिर्फ पानी एवं बिजली प्रभार को छोड़कर)


(2000W,2016W,2017-18 Books & Budget)

Saturday, 18 July 2020

Bills Recoverable


Bills Recoverable (बिल्स वसूली)

पैरा 1138-लेखा संहिता I

  1. रेलवे द्वारा किसी पार्टी या व्यक्तियों को (जो रेलवे से संबंधित नहीं है) की गई सेवा, दी गई सामग्री या कोई अन्य प्रयोजन के लिए जो रकम वसूली की जाती है उसे बिल्स वसूली कहते हैं।
  2. रेलवे द्वारा अन्य पार्टियों को विभिन्न प्रकार की सेवा दी जाती है जैसे जमीन का किराया, बिल्डिंग किराया किंतु बिल्स वसूली के अंतर्गत दो सेवाएं में मुख्य रूप से आती है (i)वाणिज्य कर्मचारी/अन्य रेल कर्मचारी जो प्राइवेट साइडिंग पर कार्य कर रहा है।(ii) अन्य पार्टियों के बैगन का अनुरक्षण प्रभार।
  3. चूंकि रेलवे अपने कर्मचारियों को वेतन पहले ही दे दी होती है, अतः इसकी वसूली सुचारू रूप से हो इसके लिए एक रजिस्टर रखना चाहिए (1139-A-I) एवं प्रत्येक पार्टी के लिए अलग-अलग पृष्ठ खोलना चाहिए।
  4. रजिस्टर को मासिक रूप से समीक्षा करनी चाहिए जिसमें यह देखना चाहिए कि सभी पार्टियों से ठीक से वसूली हो रही है कि नहीं।
  5. लेखा अधिकारी का कर्तव्य होगा कि बिल की वसूली समुचित तरीके से वह यह सुनिश्चित करें इसके लिए संबंधित कार्यकारी अधिकारी को समय-समय पर ध्यान आकर्षित करें।

जनरल इंट्री

1.जब पार्टी से वसूली के लिए बिल्स तैयार किया जाता है तो-

संबंधित राजस्व शीर्ष..........................Dr.
To चेक एंड बिल्स............................Cr.

2.जब पार्टी से धन की वसूली हो जाती है तो-
Remittance into Bank(RIB).........Dr.
To Concerned Revenue Demand..Cr.

*उपरोक्त जनरल इंट्री वेतन के मामले में है।

Wednesday, 17 June 2020

Reserve Bank Deposits


Reserve Bank Deposits

  1. इसका मूल नाम डिपॉजिट विद रिजर्व बैंक है,एवं उसका मेजर हेड 8675 है।
  2. यह रेलवे का सेंट्रल फण्ड है,जिसका मुख्यालय नागपुर में है।
  3. यह शीर्ष (Head) केवल इसलिए खोला गया है कि:- (क) ज्ञापन (mema) जो रिज़र्व बैंक से वित्तीय सलाहकार और मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा बैंक को सूचित लेन-देन के लिए प्राप्त किया जाता है या अन्य लेखा अधिकारियों (सिविल, डिफेंस,पोस्ट और टेलीग्राफ) सूचित लेनदेन की मंजूरी में प्राप्त होता है।(ख)चेक एवम बिल (cheques and bills) तथा धन प्रेषणों (remittances) के समाशोधन (clearance) का रिकॉर्ड रखने के लिए।
  4. बैंक से प्राप्त होने वाली प्रत्येक सूचना की शुद्ध राशि उपर्युक्त किसी एक या एक से अधिक शीर्षों (जिनमें की लेन-देन पहले पहल दर्ज़ किये गए हों के विलोमतः क्रेडिट/डेबिट खाते डालकर "रिजर्व बैंक निक्षेप" शीर्ष के डेबिट/क्रेडिट खाते लिखी जाएगी।
  5. इस शीर्ष के तहत शेष को 31 मार्च के अंत में "सरकारी खाते" (Government) में रखकर बंद कर दिया जाता है।

Differences between RBS & RBD



Differences between RBS & RBD 


रिजर्व बैंक सस्पेंस (RBS)
रिजर्व बैंक डिपोजिट (RBD)
1.यह केवल आवक (Inward) लेन-देन के लिए संचालित किया जाता है ।
1.यह आवक और जावक (Inward & Outward) दोनो लेन-देन के लिए संचालित किया जाता है ।
2.यह अन्य लेखाधिकारी (पी & टी, रक्षा,सिविल) आदि के लिए संचालित होता है।
2.यह सभी प्रकार के लेन-देन अर्थात चेक और बिल्स,RIB,दुसरे विभाग के लेन-देन के समायोजन के लिए संचालित होता है।
3.यह एक सस्पेंस प्रकृति के खाते हैं ।
3.यह फाइनल हेड प्रकृति के खाते हैं ।
4.इस हेड के तहत लेन-देन को रिजर्व बैंक डिपोजिट में समायोजित करके सफाया किया जाता है ।
4. इस हेड के संचालन के बाद लेन-देन समाप्त हो जाता है
5. 31 मार्च के बाद इस हेड का बकाया विविध जमा राजस्व (MAR)एवम जमा विविध(Deposit Misc.)जैसा भी लेन-देन को जमा कर समाप्त किया जाता है।
5.इस हेड का बकाया 31 मार्च के बाद “सरकारी खाते” को भेज दिया जाता है।

Tuesday, 9 June 2020

E-Recon


E-Recon

  • पूर्ण रूप-Electronic Reconciliation
  • यह एक ऑनलाइन स्थानांतरण लेनदेन(Transfer Transaction) वेब आधारित पोर्टल है जिसका शुरुआत 01.04 2011 को रेलवे में हुआ।
  • शुरुआत में यह स्वतंत्र पोर्टल के रूप में कार्य करता था अप्रैल 2019 से इसे IPAS मॉड्यूल पर लाया गया है।

उपयोगिता


  • इस पोर्टल के माध्यम से एक रेलवे के एक लेखा यूनिट से दूसरे लेखा यूनिट या एक रेलवे से दूसरे रेलवे के बीच लेखा का समायोजन एवं मिलान ऑनलाइन किया जाता है।
  • यह पोर्टल ऑनलाइन टीसी (Transfer Certificate) एक लेखा यूनिट से दूसरे लेखा यूनिट भेजना, उसे प्राप्त करना जेवी (जनरल वाउचर) बनाना और अपने लेखा को व्यवस्थित करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • अंतरण लेनदेन की दो कैटेगरी है कैश और समायोजन ।
  • कैश लेनदेन co7 के माध्यम से तैयार किया जाता है जबकि समायोजन लेनदेन जनरल वाउचर के माध्यम से तैयार किया जाता है।
  • जो भी नन कैश के आइटम होता है उसे इस पोर्टल पर टीसी बनाने के लिए सूचनाएं दर्ज करना होता है।
  • इसके लिए संबंधित डॉक्यूमेंट अपलोड किया जाता है टीसी बनाते समय समायोजन से संबंधित कॉलम को भरा जाता है जैसे कि कितने रकम की टीसी है कौन से यूनिट या रेलवे का है टीसी डेबिट है या क्रेडिट ।
  • उसके बाद टीसी जनरेट किया जाता है और स्वीकृति के लिए यूनिट को या दूसरे रेलवे का है तो मुख्यालय बुक्स के माध्यम से रेलवे को भेजा जाता है।
  • यूनिट/रेलवे टीसी को अवलोकन करने के पश्चात स्वीकृति प्रदान कर देता है यदि टीसी उस यूनिट से संबंधित नहीं है या उचित वाउचर संलग्न नहीं है तो टीसी को वापस कर दिया जाता है।
  • उदाहरण के लिए फ्यूल,पीएफ,पीओएच, जीएसटी,कॉस्ट ऑफ मटेरियल आदि का समायोजन इस माध्यम से किया जाता है।
 लाभ
1. इरकॉन के माध्यम से अंतरण लेनदेन तय समय पर संपन्न हो जाता है ।

2. इरकॉन से पहले लेखा का मिलान करने के लिए प्रत्येक तिमाही में कर्मचारियों/अधिकारियों के बीच मीटिंग होता था उसमें काफी समय व्यतीत होता था।

3. वाउचर तय समय पर संबंधित यूनिट को प्राप्त हो जाता है।

4. वाउचर लाने ले जाने लेखा का मिलान करने में कर्मचारियों पर जो टीए/डीए का व्यय होता था उसकी बचत।

Monday, 25 November 2019

Budgetary Review

बजटीय समीक्षा करने के उद्देश्य
वर्ष के दौरान रेलवे बोर्ड से रेल प्रशासनों को जो भी बजट अनुदान मिलता है उस बजट अनुदान से व्यय की प्रगति के मिलान करने के लिए बजटीय समीक्षा की जाती है।बजटीय समीक्षा करने के प्रमुख उद्देश्य है।

  • बजट अनुदान और व्यय की प्रगति का मिलान करना।
  • वास्तविक व्यय जो अब वर्ष के बचे हुए महीनों में होने वाली है इसके लिए संशोधित अनुमान लगाना।
  • रेलवे बोर्ड को इसके लिए सक्षम बनाना।
इसके लिए वर्ष में दो समीक्षा की जाती है

(i)संशोधित प्राक्कलन
(ii)अंतिम आशोधन विवरण

(i) संशोधित प्राक्कलन :- यह समीक्षा नवम्बर माह में की जाती है ।इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाता है।
●बजट अनुपात।
●पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान किया गया व्यय।
●पिछले वित्तीय वर्ष के इसी अवधि के दौरान किया गया व्यय।
●बजट अनुदान

इस समीक्षा में अतिरिक्त बजट अनुदान की आवश्यकता या आवंटित बजट को सरेंडर किया जा सकता है।

(ii)अंतिम आशोधन विवरण:-यह विवरण प्रत्येक अनुदान के सम्बंध में रेल प्रशासन द्वारा बनाया जाता है।और रेलवे बोर्ड को हर वर्ष 21 फरवरी तक प्रस्तुत किया जाता है।इस विवरण का उद्देश्य यह है कि वर्तमान वित्त वर्ष में कितने अतिरिक्त आंवटन की आवश्यकता है और कितनी निधियां सरेंडर करना है।

इस विवरण में प्रत्येक अनुदान शीर्षों के अंतर्गत अतिरिक्त आंवटन स्वीकृत और प्रभृत (Voted & Charged) और सरेंडर बजट आदेशों के अनुसार दिखाए जाते हैं और इसके समर्थन में रेलवे बोर्ड के द्वारा जारी आदेशों के अनुसार पर्याप्त स्पष्टीकरण दिया जाता है।

बाद में यदि कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन करना आवश्यक हो तो उसके बारे में हर वर्ष 20 मार्च से पहले सूचना भेज देनी चाहिए ताकि जहाँ तक सम्भव हो, राष्ट्रपति  मंजूरी प्रदान कर सके और आवंटन से जितना अधिक खर्च प्रत्याशित हो उसके लिए रेल प्रशासन वर्ष के 31 मार्च से पहले समय पर पुनर्विनियोग की मंजूरी दे सके।