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Tuesday, 26 May 2020

Differences between RECT and PECT

Differences between RECT and PECT



RECT SURVEY
PECT SURVEY
1.Full Form:-Reconnaissance       Engineering cum Traffic   Survey

1.Full Form:-Preliminary Engineering                          cum  Traffic  Survey
                  
2.इंजीनियरिंग सर्वेक्षण किसी क्षेत्र का रफ एवम्‌ रैपिड जाँच है।
2. यह सर्वेक्षण प्रस्तावित लाइन के निर्माण के लिए किया जाता है किंतु संरेखण (Alignment) में अंतिम रुप से खूँटा नहीं गाड़ा जाता है।
3. तकनीकी व्यवहारिकता तथा लगभग लागत मालूम करने के लिए किया जाता है ।
3 .लागत का सही प्राक्कलन ज्ञात करने के लिए किया जाता है ।
4. ये सर्वेक्षण बिना उपकरण के किया जाता है ।
4. प्राथमिक इंजीनियरिंग सर्वेक्षण विस्तृत उपकरणीय जांच है।
5.वह उपकरण जिनसे अनुमानित दूरी और ऊँचाई पता लग सके इस सर्वेक्षण के आधार पर ही यह फैसला किया जाता है कि और अन्वेषण कि जरूरत है कि नहीं।
5.इसमें टोह सर्वेक्षण कि अपेक्षा अधिक विस्तृत अध्ययन किया जाता है ।

Saturday, 2 May 2020

Surveys

सर्वेक्षण (Surveys)

  1. रेलवे नई लाइन, गेज परिवर्तन, दोहरीकरण एवं अन्य यातायात सुविधाओं को विकसित करने से पहले विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण करते हैं।
  2. इस सर्वेक्षण में भौगोलिक क्षेत्र की जांच, उस क्षेत्र के बारे में जानकारी इकट्ठा करना एवं उस क्षेत्र के विवरण का रिकॉर्ड किया जाता है।
  3. ये विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण निम्नलिखित है 
  4. (i)यातायात सर्वेक्षण (Traffic Survey)
         (ii)टोह सर्वेक्षण (Reconnaissance  Survey)
         (iii)प्राथमिक सर्वेक्षण (Preliminary Survey)
         (iv)अंतिम स्थान सर्वेक्षण (Final location Survey)

(i) यातायात सर्वेक्षण :

यातायात सर्वेक्षण यह एक विस्तृत अध्ययन है जो इसलिए किया जाता है कि नई लाइनों के मामले में यातायात की संभावनाओं की भविष्यवाणी की जा सके ताकि सर्वाधिक आशाजनक मार्ग के प्रोजेक्शन में सुविधा हो तथा बनाई जाने वाली लाइन की कोटी निर्धारित की जा सके। साथ ही इसलिए भी कि मौजूदा लाइन पर यातायात की मात्रा का आकलन किया जा सके और यह निर्धारित किया जा सके कि उस लाइन पर कौन-कौन सी यातायात सुविधाएं देनी होगी। यह सर्वेक्षण टोह या प्रारंभिक इंजीनियरी सर्वेक्षणों के साथ साथ किए जाएंगे ताकि सिफारिशें बनाते समय वैकल्पिक प्रस्तावों की तकनीकी व्यवहारिकता तथा लागत को ध्यान में रखा जा सके।


यातायात सर्वेक्षण किसी क्षेत्र या खंड की यातायात संबंधी परिस्थितियों के विस्तृत अध्ययन का नाम है, जो नई लाइन परियोजनाओं, फिर से बिछाए जाने वाली लाइनों ,अमान परिवर्तन योजनाओं ,दोहरी लाइन बिछाने के कार्यों या लाइन की क्षमता से संबंधित अन्य बड़े कार्यों की यातायात संभाव्यता और वित्तीय फलितार्थों का आकलन के लिए किया जाता है।

किसी परियोजना के आर्थिक अध्ययन के बाद ही इस नई परियोजित रेलवे लाइनों या अमान परिवर्तन आदि के बारे में निर्णय लिया जा सकता है। यातायात सर्वेक्षण में यह आकलन करने की कोशिश की जाती है कि पूर्व कल्पनीय भविष्य में कुल कितना यातायात पैदा होने की संभावना है और यह आकलन केचमेंट एरिया तथा रेल और सड़क के बीच कुल यातायात के विभाजन के विशेष संदर्भ में किया जाता है।

अर्जन और संचालन व्यय की संगणना परियोजना के आर्थिक जीवन जोकि 30 वर्ष माना जा सकता है के प्रत्येक वर्ष के लिए की जानी चाहिए ,ताकि वार्षिक नकदी प्रवाह तकनीक (DCF Technique) लागू करते हुए परियोजना का मूल्यांकन करके यह देखा जा सके कि क्या इससे 10% का न्यूनतम स्वीकार्य प्रतिफल मिल जाएगा।

यातायात (वाणिज्य या परिचालन) विभाग के किसी अनुभवी प्रशासी अधिकारी को यातायात सर्वेक्षण का काम नियमतः सौंपा जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए की प्रत्याशित यातायात ,पूंजी लागत और आवर्ती खर्चे (Recurring expenses)  के प्राक्कलन वास्तविक है और परियोजना का वित्तीय मूल्यांकन , प्रत्येक चरण पर निवेश और प्रतिफल के फेजिंग सहित ,यथासंभव सही-सही और काफी वस्तु निष्ठा के साथ किया जाए ,उपयुक्त हैसियत प्रवर वेतनमान (Senior-scale) या प्रशासी ग्रेड (Administration Grade) के किसी लेखा अधिकारी को, जिसे यातायात लागत निर्धारण का अनुभव हो, शुरू से ही यातायात सर्वेक्षणअधिकारी के साथ सहयोजित कर देना चाहिए और वह सर्वेक्षण दल के साथ मिलकर काम करेगा। परियोजना के इंजीनियरी सर्वेक्षणों के इंचार्ज मुख्य इंजीनियर परियोजना के यातायात सर्वेक्षण के समग्र इंचार्ज भी होंगे और यातायात सर्वेक्षण की रिपोर्ट उनके सामान्य मार्ग निर्देशन में तैयार की जाएगी ताकि सुनिश्चित हो सके सबसे अधिक किफायती प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। रेल प्रशासन द्वारा यातायात सर्वेक्षण दल को जो  विचारार्थ विषय सौंपे जाए उनमें यह हिदायत भी दी जाए की किस किस्म के अन्वेषण किए जाएंगे और उनका दायरा क्या होगा। यातायात सर्वेक्षण दल को भी चाहिए कि फील्ड में कार्य होते समय और अवकाश की अवधि में भी समय-समय पर मुख्यालय जाते रहे ताकि वे महाप्रबंधक से और अन्य प्रधान अधिकारियों से परामर्श कर सके और आवश्यकता होने पर मूल विचारार्थ विषयों ,समर्थ प्राधिकारी से अशोधित कर सके। यह इसलिए आवश्यक है कि मुख्य लाइन प्रशासन अन्वेषणअधीन नई लाइन आदि के अभिकल्प निर्धारित कर सकें।

(ii)टोह सर्वेक्षण (Reconnaissance Survey)


"टोह" शब्द का अर्थ है किसी क्षेत्र के ऐसे सभी रफ और रैपिड इन्वेस्टिगेशन (स्थूल और द्रुत अन्वेषण)जो किसी परियोजित रेलवे लाइन के एक अथवा अधिक मार्गों की तकनीकी व्यवहारिकता तथा अनुमानित लागत (approximate cost) मालूम करने के लिए किए जाए। ये अन्वेषण, फील्ड में अधिक सावधानीपूर्वक अन्वेषण किये बिना, भारतीय सर्वेक्षण विभाग के कंटूर मानचित्रों और अन्य उपलब्ध सामग्री की सहायता से की जानेवाली साधारण जांच के आधार पर किये जाते हैं और उनमें केवल ऐसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिनसे अनुमानित दूरियां तथा ऊंचाइयों द्रुत गति से मालूम किया जा सके।

इस सर्वेक्षण में निम्नलिखित जानकारी एकत्रित की जाती है।

(i) हिल्स घाटियों में  पानी का क्षेत्र, जलवायु द्वीप आदि जैसे क्षेत्रों की विशेषताएं।
(ii) मिट्टी की प्रकृति
(iii) क्षेत्र में नदियों की धारा ,उनकी अनुमानित चौड़ाई ,गहराई आदि
(iv) पहाड़ियों एवं झीलों की स्थिति

इस सर्वेक्षण में बैरोमीटर, प्रिजमेटिक कम्पास, द्वीपदीय दूरबीन पेडोमीटर उपकरण की आवश्यकता होती है।

जहां उपयुक्त आकाशी फोटोग्राफ उपलब्ध हो वहां यथा अपेक्षित उपकरणों द्वारा क्षेत्र अन्वेषण से फोटोग्राफी के त्रिविमीय अध्ययनों और स्थल निरीक्षणों से  पर्याप्त रूप से बचा जा सकता है उन्हें छोड़ा जा सकता हैं।

(iii) प्रारंभिक सर्वेक्षण (Preliminary Survey)

इस सर्वेक्षण में उस मार्ग अथवा उन मार्गों की विस्तृत उपकरणनिय जांच की जाती है जो "टोह सर्वेक्षण" के परिणाम स्वरूप चुने गए हो ताकि इस सर्वेक्षण के अधीन परियोजित लाइन की निकटतम संभावित लागत का अनुमान लगाया जा सके। यातायात सर्वेक्षण के साथ इस सर्वेक्षण पर विचार करके जो परिणाम निकले सामान्यतः उसी से यह निश्चय किया जाएगा की लाइन बनाई जाए अथवा नहीं। किंतु निर्माण प्रारंभ करने से पूर्व रेलवे बोर्ड अंतिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण पर आधारित प्राक्कलन की मांग कर सकता है । प्रारंभिक सर्वेक्षण अधिक परिशुद्धता के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि अंतिम मार्ग के संरेखण इस पर निर्भर करता है।

(iv)अंतिम स्थान-निर्धारण सर्वेक्षण (Final location survey)


अंतिम मार्ग निर्धारित सर्वेक्षण, सामान्यतः ये क्रम में नहीं होता है। इसे अंतिम रूप से रेलवे बोर्ड द्वारा तय किया जाता है कि लाइन का निर्माण होगा अथवा नहीं तब ये सर्वेक्षण किया जाता है ।अंतिम मार्ग निर्धारण में अपेक्षित कार्य तथा प्रारंभिक सर्वेक्षण में अपेक्षित कार्य के बीच मुख्य अंतर यह है कि अंतिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण के दौरान अंतिम रूप से चुने गए संरेखण (alignment) में जमीन पर ,थियोडोलाईट और/या इलेक्ट्रॉनिक दूरी मापक उपकरणों से पूरी तरह खूंटी लगा दिए जाने चाहिए, रिपोर्ट पूर्ण होनी चाहिए तथा विस्तृत नक्शे एवं सेक्शन प्रस्तुत किए जाने चाहिए।


इंजीनियरी संहिता अध्याय दो एवं तीन