Liquidated Damages
परिभाषा-रेलवे में किसी कार्य या सप्लाई में देरी की वजह से रेलवे को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जो चार्जेज ठेकेदार पर रेलवे द्वारा लगाया जाता है , उसे लिक्विडिटी डैमेज कहा जाता है।
सोर्स-GCC वर्क्स क्लॉज 17-B
- GCC वर्क्स क्लॉज 17 एवं 17 A में निर्धारित कारणों जैसे कि फ़ोर्स मेज्योर क्लॉज एव कॉन्ट्रैक्ट के समय में एक्सटेंशन के कारणों के अलावा अन्य कारणों के कारण देरी होने पर लिक्विडिटी डैमेज लगाया जाता है।
- कार्यों का अनुबंध मूल्य-कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य एवं अन्य कोई सप्लीमेंटरी कार्य (अनुपूरक कार्य) आदेश का मूल्य सहित।
- लिक्विडिटी डैमेज कुल अनुबंध मूल्य का 5% से अधिक नही होगा।
- लिक्विडिटी डैमेज का दर रेल के इंजीनियर के द्वारा तय किया जाएगा जो 0.05% से 0.30% कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का होगा जो साप्ताहिक या सप्ताह के भाग के रूप में तय किया जाएगा।
- यदि रेलवे इस बात से संतुष्ट नहीं है कि ठेकेदार द्वारा किया गया कार्य अनुमत्त समय के भीतर नहीं किया जा सकता है तो रेलवे , उस संबंध में उपलब्ध किसी भी अन्य अधिकार या उपाय पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ठेकेदार की जमा राशि को जब्त करने और क्लॉज 62 के तहत अनुबंध को रद्द करने का हकदार होगा, चाहे ऐसी चूक से वास्तविक क्षति हुई हो या नहीं।
- स्टोर कॉन्ट्रैक्ट के मामले में 0.5% स्टोर वैल्यू का होगा जो साप्ताहिक होगा एवं अधिकतम स्टोर वैल्यू का 10% होगा।