Sunday, 29 March 2020

Departmental Charges

विभागीय प्रभार (पैरा 1137-E)

(2001W,2004WO,2006W,2015W,
2017-18)

जब रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग द्वारा बाहरी पार्टियों के लिए, जिसमें अन्य रेलों,सरकारी विभाग, सार्वजनिक निकाय (जैसे नगरपालिकाएं,पोर्ट ट्रस्ट आदि) और रेलवे के कर्मचारी के लिए कोई निर्माण कार्य करता है तो उससे विभागीय प्रभार लिया जाता है।निम्न के लागत के लिए ये प्रभार लगाया जाता है।

1.औजार और संयंत्र
2.स्थापना पर्यवेक्षण

         विभागीय प्रभार कार्य की कुल लागत (मजदूर और सामग्री) एवं भूमि की लागत का 12 1/2% (साढ़े बारह प्रतिशत) एक बार लगाया जाएगा। इस प्रभार के लिए अनुमान उचित तरीके से लगाये और संबंधित पार्टी से कुल जमा ले।

           महाप्रबंधक चाहे तो स्वविवेक से विभागीय प्रभारों की वसूली में पूर्ण रूप से अथवा आंशिक रूप से छूट दे सकता है बशर्ते कि:
(क)रेलवे को ऐसी छूट से कोई लाभ होता है-यह जरूरी नहीं है कि वित्तीय लाभ हो।
(ख)प्रत्येक मामले में छूट के लिए कारण दर्ज किए गए हो और छूट की अनुमति वित्त सलाहकार एवम मुख्यलेखाधिकारी की सहमति से दी गई हो।

          औजार एवं संयंत्र और पर्यवेक्षण पर अतिरिक्त प्रभारों के लिए उपगत न होने मात्र से छूट के लिए पर्याप्त औचित्य नहीं होगा।12 1/2% से अधिक विभागीय प्रभार वहाँ लगाया जा सकता है जहाँ किसी पारस्परिक आधार पर अधिक ऊंची कोई दर सरकारी विभागों को प्रभारित हो।

         इमदादी और प्राइवेट साइडिंग के मामले में, यदि पार्टियों द्वारा किसी निर्माण कार्य के किसी भाग को निष्पादित करने की अनुमति दी जाती है तो विभागीय प्रभारों में आंशिक छूट दी जा सकती है।ऐसे मामलों में महाप्रबंधक दस लाख तक छूट दे सकते हैं, इससे ज्यादा के छूट के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा जाना चाहिए।

            

Friday, 27 March 2020

General Charges

1.भारतीय रेलवे में प्रमुख कार्य/परियोजनाओं (Major Works/Projects) के प्रत्येक अनुमान (each estimate)में, कार्य/परियोजना के निष्पादन के लिए लगे कर्मचारियों और कार्यालय व्यय की लागत को कवर करने के लिए "सामान्य प्रभार" शुल्क का प्रावधान है।

2.ये सामान्यतः उस प्रकार के प्रभार है जो नई लाइन शुरू होने से पहले होता है।यह खर्चे मुख्यतया दो भागों में बांटे गए हैं (i) सामान्य प्रभार-स्थापना (ii) सामान्य प्रभार-स्थापना से भिन्न।

3.प्रथम के अंर्तगत निर्देश और सामान्य लेखा परीक्षा और लेखे, सिविल इंजीनियरिंग, बिजली विभाग, आदि की स्थापना का खर्च जो उस कार्य पर प्रभृत है, शामिल किया जाता है।

4.द्वितीय के अंतर्गत संयंत्र निर्माण, उपकरण, कार्यालय व्यय,अस्थायी रिहायशी क्वार्टर, भण्डार व सामान्य प्रभार, नकदी/भंडार की हानी आदि और लाईन खोलने से पूर्व परिचालन व्यय आते हैं।

5.यह व्यय साधारण तौर पर प्राक्कलन में अन्य मदों पर खर्च के कुछ प्रतिशत के आधार पर लगाये जाते हैं।यह निक्षेप कार्य (deposit works) पर भी लागू होता है।परंतु निक्षेप कार्य पर इनको लगाते समय अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।क्योंकि इनमें कमी-बेशी से व्यर्थ की आलोचना होती है, इसलिए ऐसे कार्यों पर सामान्य प्रभार का अनुमान,पिछले अनुभव के आधार पर करना चाहिए।यह खर्चे विभागीय प्रभार(departmental charges) से पूर्णतया भिन्न है।

Monday, 9 March 2020

Traffic book


ट्रैफिक बुक

सोर्स-अकाउंट कोड वॉल्यूम-2 चैप्टर -32

ट्रैफिक बुक (यातायात बही) सभी आयों का वह संकलन है जिसमें निर्धारित हेडों यथा कोचिंग,गुड्स और विविध आमदनी के अधीन किसी रेलवे के स्थानीय (Local) और सीधे (Through) दोनों प्रकार के सम्पूर्ण यातायात आयों को चाहे वह स्टेशन पर हुआ हो या अन्यत्र जैसे की यातायात लेखा कार्यालयों में उसे एकत्रित करके लेखाबद्ध किया जाता है ।  

      यह बुक इन आय की प्राप्ति की प्रगति, अन्य रेलवे के साथ यातायात के आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप हुए आय का विभाजन (Apportionment of Earning) और निजी कंपनियों (एनजीआर, एसपीवी आदि सहित जेवी) के डिपॉज़िट में हुई प्रगति एवं शेष राशि के निपटान में हुए  प्रगति का रेकॉर्ड रखता है ।

 

ट्रैफिक बुक (यातायात बही) के चार भाग होते हैं ।

(a) स्टेशन लेखा (station account)

(b) एडजस्टमेंट या विभाजन पत्र या सीएएस(CAS- Centralized Apportionment System) के माध्यम से हुए मैट्रिक्स के आधार पर विभाजन का शुद्ध परिणाम (Adjustment or Division Sheets or Net Result of Apportionment on the basis of Matrix generated through CAS)

(c) अपनी रेलवे की आय ( Home Railway Earnings)

(d) आमदनी का सार और शेषों का विवरण (Abstract of Earnings and statement of Balance)

ट्रैफिक बुक पार्ट A

·         इसमें एक ज़ोनल रेलवे के स्टेशनों पर अर्जित कमाई, जिसकी प्राप्ति के लिए घरेलू रेलवे जिम्मेदार है, को भाग ए में शामिल किया जाता है

·         इसे कोचिंग और गुड्स यातायात के लिए अलग-अलग फॉर्म ए 3203 में रखा जाना चाहिए।

·         सभी स्टेशनों के नाम जो यातायात के लिए खुले हैं (कोचिंग या गुड्स, जैसा भी मामला हो) अधिमानतः सुविधाजनक समूहों में मुद्रित किए जाने चाहिए, आमतौर पर रेलवे पर उनकी भौगोलिक स्थिति के क्रम में होता है

·         ट्रैफिक बुक पार्ट ए में पोस्टिंग सुविधाजनक रूप में वर्गीकृत किए हुए विभिन्न हेडों के अधीन रेलवे स्टेशनों के जाँचे गए स्टेशन बैलेंस शीट से किया जाता है । स्टेशन बैलेंस शीट स्टेशन मास्टर का व्यक्तिगत खाता होता है।   

·         ट्रैफिक बुक भाग ए में पोस्टिंग सिस्टम द्वारा तैयार की गई बैलेंस शीट या स्टेशनों पर मैन्युअल रूप से तैयार की गई बैलेंस शीट के साथ-साथ कंप्यूटरीकृत सिस्टम या मैन्युअल रूप से आयोजित आंतरिक जांच के दौरान ट्रैफिक अकाउंट कार्यालय द्वारा किए गए परिवर्तनों से की जाएगी।

·         कंप्यूटरीकृत प्रणाली के माध्यम से स्टेशन बैलेंस शीट फ्रीज होने पर, ट्रैफिक बुक भाग ए तैयार किया जाएगा।

·         डेबिट साइड में पोस्टिंग- कोचिंग,गुड्स और विविध से हुए आमदनी चाहे वह लोकल हुआ हो या सीधे

·         क्रेडिट साइड में पोस्टिंग- नकद", "वाउचर" या "ट्रांसफर", (ट्रांसफर - इस शीर्ष में "बैलेंस शीट ट्रांसफर" और "बुक ट्रांसफर" शामिल रहता है )

·         क्लोजिंग बैलेन्स- वैसे आय जो प्राप्त नहीं हुआ है। अर्थात डेबिट और क्रेडिट के अंतर को क्लोजिंग बैलेन्स कहा जाता है जिसे अगले महीने के अकाउंट में अग्रेषित किया जाता है।

·         ट्रैफिक बुक, भाग ए में पोस्टिंग के सत्यापन के दौरान देखी गई सभी त्रुटियों, जिसमें स्टेशन बैलेंस शीट के आंकड़ों में सुधार शामिल है, को ट्रैफिक बुक में "एडजस्टमेंट बैलेंस शीट" के माध्यम से ठीक किया जाता है

·         एडजस्टमेंट बैलेंस शीट:- "एडजस्टमेंट बैलेंस शीट" एक पूरक ट्रैफिक बुक है जिसे ट्रैफिक बुक, भाग ए के समान रूप में तैयार किया जाता है, ताकि पहले से पोस्ट किए गए आंकड़ों में बार-बार बदलाव से बचने के लिए प्रत्येक स्टेशन के आंकड़ों से संबंधित सभी त्रुटियों को एकत्र किया जा सके।

·         ट्रैफिक बुक भाग ए, पूरा होने के बाद, प्रत्येक शीर्ष के तहत कुल योग को ट्रैफिक बुक, भाग सी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए

 

ट्रैफिक बुक पार्ट B

·          ट्रैफिक बुक. भाग बी में होम रेलवे, अन्य रेलवे और जमा निजी कंपनियों के बीच सभी यातायात के अदला-बदली के परिणाम स्वरूप बँटवारे से प्राप्त हुए आय होता है ।

·         आय का बंटवारा- जो आय पैसेंजर एवं गुड्स से होता है उसे केंद्रीयकृत विभाजन प्रणाली के आधार पर किया जाता है एवं जो रेलवे उस आय को वसूलती है उसे अन्य रेलवे को समायोजन के आधार पर देने की ज़िम्मेदारी रहती है।

·         जहां शेयरों की गणना केंद्रीयकृत विभाजन प्रणाली के माध्यम से नहीं की जाती है, यानी पार्सल, डाक ढुलाई आदि को मैन्युअल डिवीजन-शीट के अनुसार संबंधित रेलवे के साथ समायोजित किया जाएगा।

·         अतिरिक्त किराया, लगेज , जानवरों और पक्षियों आदि से हुए आय का बँटवारा नहीं किया जाता है, ऐसी आय पूरी तरह से एकत्रित किए गए  रेलवे द्वारा रखी जाती है।

·         पार्सल आय, डाक ढुलाई आदि के मामले में, जहां विभाजन की उपरोक्त विधि का उपयोग नहीं किया जाता है, विभाजन विस्तृत खातों के माध्यम से किया जाता है जिसे "डिवीजन शीट" कहा जाता है।अर्थात पैसेजर एवं गुड्स से हुए आय का विभाजन क्रिस के माध्यम से केंद्रीयकृत विभाजन प्रणाली के आधार पर होता है एवं पार्सल से हुए आय का विभाजन डिवीजन शीट के माध्यम से किया जाता है।

·         इस प्रकार जो भी आय हुआ जिसे होम रेलवे ने प्राप्त किया उसे अन्य रेलवे को देना होता है और इसका पोस्टिंग होम रेलवे डेबिट और अन्य रेलवे को क्रेडिट करके किया जाता है । इसी प्रकार अन्य रेलवे के पास जो होम रेलवे की आय है तो अन्य रेलवे डेबिट और होम रेलवे क्रेडिट करके समायोजन किया जाता है ।   

 

ट्रैफिक बुक पार्ट C

·         ट्रैफिक बुक पार्ट C होम रेलवे के आय का लेजर अकाउंट है ।

·         इसे कोचिंग और गुड्स आय  के लिए अलग-अलग फॉर्म ए 3225 में बनाया जाता है ।

·         इसमें तीन लेजर खाता शामिल हैं, अर्थात्, (1) यातायात खाता, (2) अन्य रेलवे खाता और (3) जमा निजी कंपनी खाता।

·         ट्रैफ़िक आय को उस महीने के खाते में रिकॉर्ड करने के उद्देश्य से, जिससे वे संबंधित हैं और उनकी वसूली की प्रगति को देखने के लिए, ट्रैफ़िक बुक के भाग सी में एक सस्पेंस खाता ट्रैफ़िक खाता संचालित किया जाता है। यह खाता सभी कमाई के लिए डेबटर एवं सभी वसूली के लिए क्रेडिटर होता है । इसलिए, शेष राशि अप्राप्त आय को दर्शाती है।

·         ओपेनिंग बैलेन्स को पिछले महीने की ट्रैफिक बुक, भाग सी से लाया जाता है और भाग ए और लेखा कार्यालय बैलेंस शीट से लिखे गए संबंधित आंकड़ों के साथ जांच की जाती है ।

·         ट्रैफ़िक अकाउंट को  डेबिट एवं आय के अंतिम शीर्षों (जैसे सार एक्स कोचिंग आय, वाई गुड्स आय और ज़ेड विविध अन्य आय) को  क्रेडिट किया जाता है जो की ट्रैफ़िक बुक पार्ट A से लाया जाता है ।

·         थ्रू ट्रैफिक से होने वाली आय के संबंध में, होम रेलवे, अन्य रेलवे और जमा निजी कंपनियों के बीच विभाजन/बंटवारा ट्रैफिक बुक, भाग B से लाया जाता है । भाग बी में प्राप्त अनुमानित आय का शुद्ध परिणाम इस प्रकार भाग सी में निम्नलिखित तरीके से दर्शाया जाएगा

·         अन्य रेलवे का खाता - अन्य रेलवे जिनके साथ यातायात का आदान-प्रदान होता है और सरकारी खजाने वाले बैंक के साथ यातायात आय के विभाजन से संबंधित सभी लेनदेन इस खाते के माध्यम से पारित किए जाते हैं। "ट्रांसफर रेलवे" द्वारा अन्य रेलवे को किए जाने वाले भुगतान और उनसे प्राप्तियों को ट्रांसफर प्रमाणपत्रों के माध्यम से पोस्ट किया जाना चाहिए ।

·         ट्रैफिक बुक भाग सी का समापन - प्रत्येक शीर्ष कोचिंग, सामान और विविध अन्य, आय के साथ-साथ अन्य रेलवे और जमा निजी कंपनियों के तहत कुल योग को भाग डी में लिखा जाना चाहिए, जहां से मासिक जर्नल प्रविष्टि तैयार की जाती है। जिससे एक जर्नल वाउचर तैयार कर उसे सामान्य पुस्तकों में सम्मिलित किया जाता है।

ट्रैफिक बुक पार्ट D

·         ट्रैफिक बुक पार्ट डी में पार्ट सी के ग्रांड टोटल रहता है ।

·         ट्रैफिक बुक, भाग, डी में मासिक जर्नल प्रविष्टि और दो विवरण शामिल हैं। इसे कोचिंग और माल यातायात के लिए अलग से फॉर्म ए 3233 में रखा जाता है ।

·         स्टेटमेंट नंबर 1- स्थानांतरण प्रमाण पत्र, भुगतान आदेश, आदि द्वारा "अन्य रेलवे" और "जमा निजी कंपनियों" खातों के क्लिएरेन्स का विवरण रहता है।

·         स्टेटमेंट नंबर 2- सामान्य पुस्तकों के साथ ट्रैफिक बुक शेष का मिलान।

·         मेन लेजर के साथ ट्रैफिक बुक शेष की तुलना। कोचिंग और गुड्स ट्रेफिक बुक  के टोटल की तुलना जनरल बुक से की जाती है एवं शेष केवल कैश इन ट्रांज़िट होनी चाहिए ।

·         कैश इन ट्रांज़िट- स्टेशन कैश जिसके लिए स्टेशनों को एक महीने में क्रेडिट की अनुमति दी गई है, लेकिन, जो अगले महीने की तीसरी तारीख के बाद कैश ऑफिस में प्राप्त हुआ है और परिणामस्वरूप अगले महीने में सामान्य पुस्तकों में शामिल किया गया है, उसे कैश इन ट्रांज़िट कहा जाता है।

·         "अन्य रेलवे" और "जमा निजी कंपनियों और "यातायात खाते" के अंतर्गत अंतर, यदि कैश इन ट्रांज़िट में कवर नहीं किया गया है, तो जांच की जानी चाहिए और अगले के महीनों के लिए खातों में सुधार किया जाना चाहिए।

अकाउंट करेंट  

·         रेलवे के बीच यातायात लेनदेन का सेटेलमेंट मासिक होता है और विभाजन के परिणामों के आधार पर किया जाता है।

·         इस उद्देश्य के लिए, प्रत्येक रेलवे द्वारा फॉर्म ए 3238 में मासिक चालू खाता तैयार किया जाता है ।

·         कोचिंग और गुड्स लेनदेन दोनों के लिए केवल एक अकाउंट करेंट तैयार किया जाना चाहिए और रेलवे के पक्ष या विपक्ष में नेट रिजल्ट निकाला जाना चाहिए।

·         जहां होम रेलवे क्रेडिटर  है, खाता चालू डेबटर रेलवे को भेजा जाना चाहिए।

·         अन्य रेलवे के मामले में अकाउंट करेंट के साथ देनदार रेलवे द्वारा स्वीकृति के लिए स्थानांतरण प्रमाणपत्र (Transfer certificate) होना चाहिए।

·         स्थानांतरण प्रमाणपत्र, एक नियम के रूप में, डेबटर रेलवे द्वारा पूर्ण रूप से स्वीकार किया जाएगा, खाते की जांच में देखी गई किसी भी त्रुटि को अगले महीने में समायोजन के लिए क्रेडिटर रेलवे को सूचित किया जाएगा।