Friday, 29 May 2020

Works Programme

Works Programme

निर्माण कार्यक्रम क्या है? यह कैसे संकलित किया जाता है?


परिभाषा:
इंजीनियरिंग संहिता अध्याय -VI
रेलों पर परिसंपत्तियों के सृजन(creation),अधिग्रहण (acquisition) और बदलाव (replacement) से संबंधित निवेश निर्णय तीन विभिन्न प्रोग्रामों के जरिए संसाधित किए जाते हैं।

(1) रोलिंग स्टॉक प्रोग्राम (प्लान हेड 21)
(2) मशीनरी एवं प्लांट प्रोग्राम (प्लान हेड 41)
(3) निर्माण कार्यक्रम (विभिन्न प्लान हेड के तहत)

वर्क्स प्रोग्राम के चार चरण है

(1) अग्रिम योजना के भाग के रूप में योजनाओं(स्कीमों) का निरूपण;
(2) बड़ी योजनाओं की छानबीन और स्वीकृति के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत करना ताकि आगामी वर्ष में निष्पादित की जाने वाली परियोजनाओं का चयन किया जा सके;
(3) रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित वित्तीय सीमाओं के अंतर्गत प्रारंभिक निर्माण कार्यक्रम(PWP) तैयार करना और
(4) रेलवे बोर्ड के साथ विचार-विमर्श और अंतिम कार्यक्रम प्रस्तुत करना(FWP)

चरण प्रथम   (अग्रिम योजना)

  • किसी रेलवे का वार्षिक निर्माण कार्यक्रम तैयार करना उस वर्ष का कोई अलग-अलग कार्य नहीं होता है बल्कि मंडल अधिकारी के स्तर से लेकर रेलवे बोर्ड तक की एक अनवरत योजना प्रक्रिया का भाग होता है।
  • मंडल से होने वाले निवेश प्रस्ताव वह होते हैं जिनका उद्देश्य मंडल के ही भीतर परिचालन में सुधार या जमघट (बाधाओं)को समाप्त करना हो।
  • जिन बड़े निवेश प्रस्तावों से क्षेत्रीय रेल प्रणाली या सभी भारतीय रेलों को लाभ पहुंचता हो उन्हें रेल मुख्यालय के स्तर पर अथवा आवश्यक हो तो रेलवे बोर्ड के स्तर पर समन्वित और योजनाबद्ध किया जाना चाहिए।
  • नई लाइनों, आमान परिवर्तनों, दोहरी लाइन बिछाने और लाइन क्षमता से संबंधित अन्य निर्माण कार्यों के लिए जो 5 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाले हो, विस्तृत यातायात और इंजीनियरी सर्वेक्षण किए जाने चाहिए।
  • नए मार्शलिंग यार्डों, माल टर्मिनलों और यातायात यार्डों आदि के प्रस्ताव के संबंध में, कार्य अध्ययन दलों को चाहिए कि अपेक्षित अतिरिक्त सुविधाओं के लिए स्कीमें बनाने से पहले वास्तविक कार्यप्रणाली का अध्ययन कर लें ।
  • रेट ऑफ रिटर्न 10% और उससे अधिक होना चाहिए।
  • जब किसी सामान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कई कार्य करने हो तो समग्र रूप से संपूर्ण योजना का वित्तीय फलितार्थ या औचित्य तैयार किए जाने चाहिए।
  • यदि किसी विस्तृत योजना में दो रेले शामिल हो, तो ऐसे मामले में रेलवे बोर्ड के विचारार्थ लागत का एक संयुक्त प्राक्कलन तैयार किया जाना चाहिए ।जिस रेलवे के क्षेत्र में कार्य का बड़ा भाग आता हो, उसे चाहिए कि लागत और वित्तीय फलितार्थ के संयुक्त आँकड़े रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत करने के लिए, संलग्न  रेलवे से आंकड़े प्राप्त करें।

चरण द्वितीय (बड़ी योजनाओं की छानबीन)

  • 20 लाख रुपये या अधिक की लागत वाली सभी स्कीमें विस्तृत रूप से तैयार की जानी चाहिए और निम्नलिखित बातों के पूरे ब्यौरे सहित रेलवे बोर्ड को भेजी जानी चाहिए।
(i) तकनीकी विशेषताएं
(ii) ब्यौरेवार लागत
(iii) प्राप्त होने वाले संभावित लाभ
(iv) वित्तीय फलितार्थ
(v) प्रत्येक प्रस्ताव का मानचित्र
  • रेल प्रशासन को स्पष्ट रूप से प्रत्येक स्कीम का उल्लेख करना चाहिए और इस बात की पुष्टि करनी चाहिए कि प्रस्ताव द्वारा उद्देश्य की पूर्ण रूप से पूर्ति होती है और परियोजना का दायरा और लागत यथासंभव पूरे छानबीन के बाद तय किए गए हैं, जिसमें वित्तीय फलितार्थों का मूल्यांकन भी सम्मिलित है।
  • बोर्ड द्वारा योजनाओं की छानबीन हो जाने के पश्चात रेल प्रशासनों को बताया जाना चाहिए कि प्रस्तावों को निर्माण कार्यक्रम में सम्मिलित करने के लिए संशोधन पूर्वक या ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया गया है।
  • 20 लाख रुपये या इससे अधिक की लागत वाले रेल पर नवीनकरण के सभी प्रस्तावों में (i) यातायात का घनत्व (ii) ट्रैक की आयु (iii) रेलपथ संघटकों (components) की स्थिति होनी चाहिए। ये प्रारंभिक छानबीन रेलवे बोर्ड द्वारा रेल पथ सामग्री की उपलब्धता, पहले से स्वीकृत निर्माण कार्यों की प्रगति और अन्य तकनीकी बातों को ध्यान में रखकर की जाती है।

चरण तृतीय (प्रारंभिक निर्माण कार्यक्रम तैयार करना PWP)

  • इस बात को  सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी  प्रधानतः PCE (Principal chief engineer) रेलवे मुख्य इंजीनियर की होगी की विभिन्न विभागों द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव हर प्रकार से पूर्ण है और सही-सही तैयार किया गया है।
  • बोर्ड द्वारा बताई गई सीमाओं के भीतर समग्र प्राथमिकताएं भी उसी के द्वारा महाप्रबंधक और अन्य विभागाध्यक्षों के परामर्श से नियत की जाएगी। वह प्रारंभिक और अंतिम निर्माण कार्यक्रम को तैयार करने उसे समय पर प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • रेलवे बोर्ड को चाहिए कि प्रत्येक वर्ष लगभग जून/जुलाई में प्रत्येक रेलवे को सूचित कर दें कि प्रत्येक योजना शीर्ष के संबंध में कुल कितने परिव्यय के भीतर रेलवे द्वारा निर्माण कार्यक्रम तैयार किया जाए।
  • रेल द्वारा आगामी वर्ष का प्रारंभिक निर्माण कार्यक्रम रेलवे बोर्ड को सितंबर के प्रथम सप्ताह तक या बोर्ड ने उससे पहले की कोई तारीख निर्धारित की हो तो उस तारीख तक प्रस्तुत कर दिया जाना चाहिए। प्रत्येक निर्माण कार्य का समुचित वित्तिय मूल्यांकन प्रमुख वित्त सलाहकार की टिप्पणियों सहित प्रारंभिक कार्यक्रम में दिया जाना चाहिए।
  • चालू निर्माण कार्यों (works in progress) को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • परियोजना लागत ,मात्रा और चालू कीमत दरों की दृष्टि से पक्के आंकड़ों पर आधारित होनी चाहिए और यदि परियोजना की प्रारंभिक तैयारी और निर्माण कार्यक्रम में इसको सम्मिलित किए जाने के समय के बीच की अवधि में कीमतों में कोई वृद्धि होती है तो माल-भाड़ा और किराए में वृद्धि के अतिरिक्त मजदूरी के और सामग्री के मूल्यों में हुए परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए प्राक्कलन को अपडेट किया जाना चाहिए।
  • किसी भी अन्य वृद्धि, जैसे परियोजना के दायरे में परिवर्तन के कारण होने वाली वृद्धि की अनुमति पूर्व कारण प्रस्तुत करके रेलवे बोर्ड की स्वीकृति लिए बिना नहीं दी जाएगी।
  • प्रत्येक निवेश प्रस्ताव के साथ एक विस्तृत प्लान संलग्न होना चाहिए जिसमें यातायात की आवश्यकताओं  के अनुरूप परियोजना का कार्यक्रम दिखाया गया हो तथा वर्ष के लिए प्रस्तावित वित्तीय परिव्यय इस परियोजना कार्यक्रम के अनुसार होना चाहिए, जिससे कि रेलवे बोर्ड कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए वस्तुतः धन की नियतन की व्यवस्था कर सके।

चरण चतुर्थ (अंतिम निर्माण कार्यक्रम FWP)


  • पृथक पृथक रेलों के कार्यक्रमों की जांच करने और महाप्रबंधकों के साथ विचार विमर्श करने के पश्चात रेलवे बोर्ड उन निर्माण कार्यों का विनिश्चय करेगा कि आगामी वर्ष के दौरान हाथ में लिए जाने चाहिए और और जो अंतिम निर्माण कार्यक्रम में शामिल किए जाने चाहिए।
  • क्षेत्रीय रेलवे रेलवे बोर्ड के विनिश्चय के परिणाम स्वरूप अपने निर्माण कार्यक्रमों को अशोधित करेंगे और रेलवे बोर्ड को अपना अंतिम निर्माण कार्यक्रम अनुबंधित तारीख तक भेजेंगे।
  • मांग सकल व्यय (Gross Expenditure) के लिए होगी और जमा और वसूलियों (credits and recoveries ) मांगों को फुटनोट के रूप में दिखाई जाएगी।





3 comments:

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