Letter of Credit
- भारतीय रेल ने 01.04.2018 से सप्लायरों/ठेकेदारों के भुगतान के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है जिसे लेटर ऑफ क्रेडिट कहते हैं।
- यह सप्लाई/कार्य के सभी अनुबंधों के भुगतान के लिए लागू है।
- सप्लाई/कार्य के अनुबंध के भुगतान में पारदर्शिता एवं व्यापार करने में आसानी हो इसके लिए भारतीय रेल द्वारा लेटर ऑफ क्रेडिट को अपनाया गया है।
- लेटर ऑफ क्रेडिट 10 लाख मूल्य से ऊपर के सभी टेंडर पर लागू है।
- टेंडर की शर्तों में ही लेटर ऑफ क्रेडिट के माध्यम से भुगतान की शर्त दिया जाएगा, जो ठेकेदार को विकल्प के तौर पर उपलब्ध होगा।
- लेटर ऑफ क्रेडिट के संचालन एवं जारी करने में आकस्मिक व्यय ठेकेदार द्वारा वहन किया जाएगा।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लेटर ऑफ क्रेडिट के मूल्य एवं एल सी के नियम और शर्तों के आकलन के लिए अधिकृत किया गया है।
- जब ठेकेदार द्वारा बिल सबमिट किया जाएगा तो बिल को निर्धारित नियम के अनुसार जांच कर उस बिल के विरुद्ध डी ए (Document of Authorisation) जारी किया जाएगा।
- लेखा अधिकारी DA जारी करने के लिए उत्तरदायित्व हैं,वो ये भी सुनिश्चित करेंगे कि जो बिल ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत किया गया है वो डुप्लीकेट नहीं है एवं बिल IPAS (Integrated Pay Roll & Accounting System) एवं IREPS (Indian Railway E-Procurement System) के माध्यम से प्रस्तुत हुआ है।
- लेटर ऑफ क्रेडिट के लिए विक्रेता 0.15% व्यय वहन करेगा।
लेटर ऑफ क्रेडिट इस तरह कार्य करेगा।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया विक्रेता को LC जारी करेगा।
- रेलवे कार्य/सप्लाई की समाप्ति पर DA ठेकेदार को जारी करेगा।
- विक्रेता/ठेकेदार DA को अपने बैंकर के सामने भुगतान के लिए उपस्थित करेगा ।
- बैंकर विक्रेता/ठेकेदार को भुगतान जारी करने के बाद DA को रेलवे के बैंकर SBI को भेजेगा।
- रेलवे के बैंकर(SBI) हस्ताक्षर को सत्यापन करने के बाद, आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी किए गए मूल DA और आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी विनिमय बिल के विरुद्ध आपूर्तिकर्ता/ठेकेदार बैंक को प्रतिपूर्ति करेगा।
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