Monday, 12 October 2020

On Cost

On Cost

परिभाषा:

रेलवे कार्यशाला में किसी उत्पाद या सेवा के पूरा होने के लिए आवश्यक व्यय किया जाता है लेकिन, जो सीधे तौर पर उत्पाद या सेवा को आवंटित नहीं किया जा सकता है बल्कि तार्किक आधार पर विभाजित किया जाता है उसे "ऑन कॉस्ट" के रूप में जाना जाता है।

दूसरे शब्दों में किसी कार्य पर लेबर और सामग्रियों के रूप में किए जाने वाले प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses) के अतिरिक्त किए गए व्यय जिससे किसी कार्य और उत्पादन पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभृत नहीं किया जा सकता है वह ऑन कॉस्ट के रूप में जाना जाता है।

रेलवे कार्यशालाओं में ऑन-कॉस्ट को तीन भागों में बांटा गया है-

(1) प्रो-फॉर्मा ऑन-कॉस्ट
(2) जनरल ऑन- कॉस्ट
(3) शॉप ऑन-कॉस्ट

प्रो-फॉर्मा ऑन कॉस्ट

शब्द "प्रो फार्म" ऑनकोस्ट जिसे आमतौर पर "इनडायरेक्ट चार्ज" अप्रत्यक्ष प्रभार के रूप में जाना जाता है, का उद्देश्य सभी ऑन कॉस्ट को शामिल करना है, जो रेलवे कार्यशालाओं में किए गए काम की लागत में शामिल नहीं है, लेकिन जिसे वाणिज्यिक लागत में शामिल किया जाना है। इसमें या तो वैसे कार्य व्यय है जिसे अंतिम शीर्ष को प्रभृत किया गया है (जैसे सामान्य अधीक्षण, मूल्यह्रास) या रेलवे के कार्य व्यय में नहीं शामिल किए गए शुल्क है।

इस प्रकार  प्रो-फॉर्मा ऑनकोस्ट जो अंतिम शीर्ष में शामिल है निम्न है-

  1. जोनल मुख्यालय के कार्यालय में रोलिंग स्टॉक प्रबंधन के खर्च का हिस्सा और कार्यशालाओं के मैकेनिकल विभाग के कार्यालयों की स्थापना व्यय।
  2. सामान्य अधीक्षण व्यय सभी सेवा विभागों जैसे वित्त,कार्मिक और सामग्री प्रबंधन के अधिकारियों और सुरक्षा विभाग और चिकित्सा सेवाओं की कार्यालय स्थापना व्यय।
  3. गैर-पेंशन योग्य कर्मचारियों के संबंध में भविष्य निधि में सरकार का योगदान।
  4. गैर-पेंशन भोगी कर्मचारियों के संबंध में भविष्य निधि में ग्रेजुएटी और विशेष योगदान।
  5. पेंशन भोगी कर्मचारियों के संबंध में पेंशन देयताएं।
  6. कामगार मुआवजा अधिनियम के तहत भुगतान ।
  7. पौधे और इमारतों का मूल्यह्रास।
  8. निर्माण और मरम्मत की लागत के अलावा अन्य मशीनरी और संयंत्र की लागत जिसका निर्माण और मरम्मत बिल्डिंग यार्ड के लिए है।
  9. कार्यशाला कर्मचारियों की शैक्षणिक सुविधाएं।
  10. पूरे कार्यशाला में बिजली की रोशनी के रखरखाव पर हुए खर्च समस्त फिटिंग,लैंप,स्विच और मुख्य वितरण बोर्डों से केवल या वायरिंग की लागत।
* व्यय कि वह मदें जो कार्य व्यय को चार्ज नहीं किया जाता है (i)न्यू माइनर वर्क्स (ii) कुल लागत पर ब्याज (चाहे वह कैपिटल, डीएफ या राजस्व जो सभी अचल संपत्तियों पर लगाया हो।)

जनरल ऑन-कॉस्ट

जनरल ऑन-कॉस्ट उन सभी ऑन कॉस्ट को दर्शाता है जो "प्रोफॉर्मा ऑनकोस्ट" के अलावा एक कार्यशाला के भीतर एक से अधिक शॉप या विभाग के लिए खर्च किया जाता है। जनरल ऑन कॉस्ट में निम्न मदें शामिल है।

  1. कार्यशाला के कर्मचारियों की छुट्टी, बीमार, चोटिल और छुट्टी का भुगतान जिसकी मजदूरी किसी शॉप से नहीं ली जाती है जैसे की यार्ड स्थापना।
  2. वेज, ओवरटाइम कर्मचारियों का जो किसी शॉप से संलग्न नहीं है जैसे वर्कशॉप अप्रेंटिस, टूल कीपर।
  3. माल ढुलाई शुल्क जो सीधे किसी कार्य को आवंटित नहीं किए जा सकते हैं।
  4. विद्युत पावर, जिसे शॉपों को आवंटित करना संभव नहीं है।
  5. हाइड्रोलिक और न्यूमेटिक पावर और गैस जो शॉपों को आवंटित नहीं किया जा सकता है।
  6. कार्यशाला के कर्मचारियों को नोटिस के एवज में दी जाने वाली मजदूरी का भुगतान जिसे शॉपों को नहीं दिया जा सकता है।
  7. चोरी या गुम हुए सामानों का प्रतिस्थापन।
  8. प्रशिक्षुओं के स्कूल और छात्रावास पर व्यय।
  9. क्रेन और शंटिंग इंजन, लॉरी, ऑटो ट्रक पर किए गए खर्च जो कार्यशाला के उपयोग के लिए प्रदान किए गए जो शॉप ऑन पोस्ट के लिए प्रभार्य नहीं है।
  10. केंद्रीय पंपिंग प्लांट का कार्य व्यय।
  11. प्रायोगिक कार्य, जब उचित रूप से सीधे जॉब पर प्रभावित ना हो।
  12. पानी का शुल्क जो शॉपों को आवंटित नहीं किया जा सकता है।
  13. यार्ड और शंटर्स में सामान्य लेबर का मजदूरी और ओवर टाइम।
  14. कार्यशाला में स्वच्छता व्यवस्था।
  15. मैसेंजर की मजदूरी,वर्दी आदि जब शॉपों को आवंटित नहीं किया जा सकता है।
  16. सामान्य उपभोग के लिए स्टोर जो शॉपों को आवंटित नहीं किया जा सकता।
  17. मेसरूम का रखरखाव।
  18. यार्ड लाइटिंग।

शॉप ऑन-कॉस्ट

शॉप ऑन कॉस्ट में एक लेखा इकाई के भीतर होने वाले सभी ऑनकोस्ट शामिल होते हैं जैसे की एक शॉप, एक विभाग, एक अनुभाग का व्यय।शॉप ऑन कॉस्ट के निम्नलिखित उदाहरण है।

  1. विशेष शॉप से संबंधित कार्यशाला प्रशिक्षुओं की मजदूरी,ओवरटाइम इसके अतिरिक्त जब चार्ज मैन, मिस्त्री, अकुशल श्रमिक को प्रत्यक्ष रुप से काम पर ना लगाया गया हो तथा टैलीमैन, स्टोर मैन,बॉयलर, शॉप क्लर्क का व्यय।
  2. छुट्टी वेतन, निष्क्रिय समय, चोट, बीमारी, अवकाश दिवस का वेतन, यात्रा भत्ता, खेलकूद में भाग लेने वाले एवं  स्वैच्छिक कार्य में भाग लेने वाले कर्मचारियों का वेतन आदि पर व्यय।
  3. शॉप के रद्दी सामान जिससे किसी काम को आवंटित नहीं किया जा सकता है।
  4. शॉपों में प्रयुक्त स्टेशनरी और फार्म।
  5. प्रायोगिक कार्य के मामले में दोषपूर्ण और खराब किए गए कार्य।
  6. बिजली शुल्क चाहे बिजली न्यूमेटिक, गैस या हाइड्रॉलिक हो जिसे सीधे शॉपों को आवंटित किया जा सकता है।
  7. स्वचालित मशीनों के ऑपरेटरों का वेतन जिससे अन्यथा आवंटित नहीं किया गया।
  8. शॉप में कार्यरत यांत्रिक परिवहन पर लगे कर्मचारियों की मजदूरी ओवरटाइम।
  9. सभी सामान्य मजदूर एवं ट्रांसपोर्ट लेबर के मजदूरी और ओवरटाइम।
  10. हथौड़ा चलाने वाले का व्यय।
  11. मास्टर रोल और टाइम सीट के बीच छोटे अंतर।
  12. शॉप के उपयोग के लिए उपभोग्य भंडार जैसे स्नेहक तेल,एसिड आदि।
  13. कोयले और कोक का शुल्क।
  14. शॉप में लाइटिंग चार्ज।
  15. काम करने के लिए शाख।
  16. सस्पेंसन भत्ता।
  17. शॉप मैसेंजर का मजदूरी।
  18. क्रेन और शंटिंग इंजन का कार्य व्यय,लॉरी, ऑटो ट्रक जो शॉप को प्रभारित किया जा सकता है।
  19. छोटे टूल्स।


Friday, 18 September 2020

Lease and License

 Lease & License


लीज और लाइसेंस-


लीज:- 1.उपयोगकर्ता एवं मालिक के बीच एक समझौता है जिसमें उपयोगकर्ता संपत्ति के उपयोग के बदले में एक निर्धारित किराया का भुगतान करता है।


2. संपत्ति अधिनियम 1882 के हस्तांतरण की धारा 105 के अनुसार "पूर्व निर्धारित समय तक संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार" सम्पत्ति के मालिक द्वारा संपत्ति के उपयोगकर्ता को दी जाती है।


लाइसेंस:- 1. लाइसेंस के बिना किसी तीसरे पक्ष द्वारा बौद्धिक संपदा का उपयोग करना नियम का उल्लंघन है।

2. भारतीय सुविधा अधिनियम 1882 की धारा 52 के अनुसार लाइसेंस,लाइसेंसधारक को संपत्ति के किसी भी हिस्से पर कब्जा करने का अधिकार नहीं देता है बल्कि सीमित अवधि के लिए संपत्ति का उपयोग करने की अनुमति देता है।




लीज

लाइसेंस

  1. पार्टी - मालिक और उपयोगकर्ता

1.पार्टी - लाइसेंसर (जिसने अनुमति दी), लाइसेंसी (जिसे अनुमति दी गई)

  1. एक समय अवधि के लिए पट्टेदार को संपत्ति के अधिग्रहण की अनुमति देता है।

2. लाइसेंसधारी को इस प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी जाती है। 

  1. यह अपरिवर्तनीय है, अर्थात अनुबंध पूरा होने से पहले उसको रद्द नहीं किया जा सकता है।

3. लाइसेंसधारी की इच्छा पर समझौता को पूरा होने से पहले रद्द किया जा सकता है।

  1. इसे लीज रेंट के रूप में जाना जाता है।

4. इसे लाइसेंस फी के रूप में जाना जाता है।

  1. यह हस्तांतरणीय है अर्थात पट्टेदार तीसरे पक्ष को पट्टा हस्तांरित कर सकता है।

5. यह अहस्तांतरणीय है।

  1. उपयोगकर्ता कोई भी सुधार संपत्ति में कर सकता है।

6. लाइसेंसधारी कोई भी सुधार संपत्ति में नहीं कर सकता है।

  1. पट्टेदार के मृत्यु होने पर करार समाप्त नहीं होता है।

7.  इसमें समाप्त हो जाता है।


Wednesday, 16 September 2020

Viability Gap Funding

VIABILITY GAP FUNDING.


  1. इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership) के सपोर्ट के लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा 2005 में एक योजना लाई गई जिसे वायबिलिटी गैप फंडिंग कहते हैं।
  2. इस योजना के तहत भारत सरकार ने अपनी वायबिलिटी गैप फण्ड (व्यवहार्यता अंतर निधि) से पूंजीगत अनुदान के रूप में परियोजना की लागत के 20% की वायबिलिटी गैप को आर्थिक रूप से समर्थन करने का प्रावधान किया है।
  3. यह योजना भारत सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा ली गई सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं के लिए सीमित है।जहाँ निजी क्षेत्र का चयन खुली प्रतिस्पर्धात्मक सार्वजनिक बोली के माध्यम से किया जाता है।
  4. साथ ही परियोजना का स्वामित्व करने वाली राज्य सरकार या उसकी एजेंसियों भी अपने बजट से अतिरिक्त अनुदान प्रदान कर सकती है, जो परियोजना की कुल लागत का 20% से अधिक न हो।
  5. इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के विकास के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है और इसे सार्वजनिक वित्त पोषण से बाहर नहीं किया जा सकता है।इसी तरह ऐसी परियोजनाओं केवल स्टैंड के आधार पर वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं है, क्योंकि उनके पास परियोजनाओं के लिए एक लंबी अवधि होती है और सीमित वित्तीय रिटर्न् होता है।इसलिए वे निजी क्षेत्र के लिए आकर्षक नहीं है।
  6. इस परियोजना के अंतर्गत रोड, पोर्ट,एयरपोर्ट, रेलवे,वाटर वे,शहरी ट्रांसपोर्ट, पावर,वाटर सप्लाई,अन्य भौतिक संरचना शहरी क्षेत्रों में पर्यटन क्षेत्र आएंगे।सरकार इसमें सार्वजनिक कल्याण वाले नए क्षेत्र भी जोड़े हैं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य।

Friday, 11 September 2020

Wednesday, 2 September 2020

Apportionment of Earnings

Apportionment of Earnings.

 आय का विभाजन

  • जब यातायात के आय से केवल एक रेलवे धन प्राप्त करता है किंतु उस आय को दो या दो से अधिक रेलवे के बीच साझा करता है तो उसे आय का विभाजन (Apportionment of Earnings) कहते हैं।
  • अर्थात आय का विभाजन का अर्थ है कि वह रेलवे जिसने यातायात को बुक कर आमदनी प्राप्त किया एवं उसमें से अन्य रेलवे को भी शेयर दिया।
  • लेखा संहिता द्वितीय  के पैरा 3218 से 3224 में आय के विभाजन के बारे में नियम दिया गया है।
  • आय के विभाजन का मूल सिद्धांत है यात्री द्वारा तय की गई दूरी और माल यातायात के संबंध में तय की गई कुल दूरी।
  • उदाहरण के लिए माना कि कोई यात्री भुवनेश्वर से नई दिल्ली की यात्रा की तो आय में ECOR,ECR,WCR,NCR,NR रेलवे को भी हिस्सा दिया जाएगा।
  • यात्री और गुड्स से आय का विभाजन Computerized Centralized Apportionment System (CAS) के द्वारा किया जाता है।
  • वर्तमान में दो तरीके हैं आय के विभाजन के लिए (i) पैसेंजर और गुड्स आय के विभाजन के मामले में रेलवे बोर्ड केंद्रीकृत एजेंसी को नियुक्त किए हैं जो डिटेल्स में इनवार्ड और आउटवर्ड आय का मैट्रिक्स प्रत्येक रेलवे को शेयर करता है।(ii)पार्सल से कमाई , पोस्टल से कमाई जो अन्य रेलवे द्वारा संकलित किया जाता है उसे विभाजन शीट्स के द्वारा विभाजित किए जाते हैं।
  • ट्रैफिक बुक पार्ट बी में आय के विभाजन से हुई आमदनी को रखा जाता है।

Originating Earning (उत्पन्न आय)

  • ऐसा आय जो यातायात को बुक कर किसी रेलवे द्वारा प्राप्त तो किया जाता है किंतु उसका विभाजन अन्य रेलवे में नहीं किया जाता है।
  • प्रिंटेड कार्ड टिकट से हुई आमदनी का विभाजन नहीं होता है उसे Originating रेलवे द्वारा रखा जाता है।
  • बैलेंक पेपर टिकट से हुई आमदनी का भी विभाजन नहीं होता है और इसे Originating रेलवे द्वारा रखा जाता है।
  • एक्सेस फेयर टिकट से हुई आमदनी का भी विभाजन नहीं होता है।
  • लगेज,जानवर,पक्षी आदि के बुक करने से हुई आय भी Originating रेलवे का होता है।

Tuesday, 1 September 2020

Debt Head Report

Debt Head Report-DHR

ऋण शीर्ष रिपोर्ट 


  • संदर्भ लेखा संहिता प्रथम पैरा 748-752
  • ऋण शीर्षों (Debt Head) जैसे लोन एवं एडवांस, पीएफ, जमा, अंतर सरकार समायोजन(Inter Govt. Adjustment) के अंतर्गत बकाया का रिपोर्ट है, जिसे ऋण शीर्ष रिपोर्ट कहते हैं।
  • यह रिपोर्ट प्रत्येक वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी (FA&CAO) द्वारा रेलवे बोर्ड को 10 सितंबर तक भेज देना चाहिए या रेलवे बोर्ड ने जो तिथि निश्चित की हो।
  • इस रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि  उसी समय सांविधिक लेखा परीक्षक को भी देनी चाहिए।
  • प्रतिलिपि को विधिवत लेखा परीक्षा के बाद एक प्रति रेल मंत्रालय को भेजी जानी चाहिए जो कि 25 सितंबर तक पहुंच जाए।
DHR-समीक्षा

DHR को मुख्यतः समीक्षा करने का उद्देश्य है यह देखना कि बकाया बैलेंस कितना है पिछले वर्ष के मुकाबले बैलेंस में कमी बेशी का व्याख्या एवं साल के अंत में क्या बैलेंस रहने वाला है उस पर विचार देना है।

विभिन्न शीर्ष निम्नलिखित है-

(i) I- लघु बचत और भविष्य निधि (Small savings &PF balances)
(ii) K- जमा और अग्रिम (Deposits & Advances)
(iii) F- ऋण और अग्रिम ( Loan & Advances)(जो ऋण केंद्र सरकार से लेते हैं और कर्मचारियों को देते हैं)
(iv) M- रेमिटेंस अंतर सरकार समायोजन लेखा (Remittances inter Govt. Adjustment)
(v) सामान्य

         वित्तीय वर्ष के लेखा बंद होने के बाद रिपोर्ट भेजने से पहले उपरोक्त प्रत्येक हेड की समीक्षा DHR टर्म के अनुसार करनी चाहिए। DHR बकाया के साथ विश्लेषण पर आधारित है इस रिपोर्ट के साथ ऑडिट का प्रमाण पत्र भी भेजा जाता है।

Tuesday, 18 August 2020

Wagon Turn Round

WAGON TURN ROUND

वैगन टर्न राउंड

परिभाषा-
एक वैगन के दो लगातार लोडिंग के बीच के अंतराल को वैगन टर्न राउंड कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में वह औसत समय जो एक माल डिब्बे को लदान, गंतव्य तक पहुंचने, माल उतराई एवं अगले लदान के चक्र को पूरा करने में लगता है।

वैगन लोडिंग में निम्नलिखित शामिल है-
  1. होम रेलवे पर लादे जाने वाले औसत दैनिक डिब्बे।
  2. प्रतिदिन अन्य रेलवे से प्राप्त मालडिब्बों की संख्या।
  3. सैनिक यातायात वाहन करने वाले डिब्बों की संख्या।
  4. एक ही गेज के वैगन से माल स्थानांतरित किया जाए उनकी दैनिक औसत संख्या।
  • यह आंकड़ा परिचालन दक्षता का सूचकांक है।
  • मंडल के नियंत्रण कार्यालय में इस पर रोजाना काम किया जाता है।
  • यह यूनिट वैगन संचालन और उसके उपयोगिता की ओर दर्शाता है कम आंकड़ा को बेहतर परिणाम माना जाएगा इसलिए इसे कम करने का प्रयास किए जाने चाहिए।
वैगन टर्न राउंड गणना करने के फॉर्मूला-
T=WB/(L+R)

जहां T=वैगन टर्न राउंड
WB=प्रभावी दैनिक औसत वैगन बैलेंस (उस दिन का वैगन बैलेंस जिसमें Sick,POH Wagon को छोड़कर)
L=वैगनों के लोड की दैनिक औसत संख्या
R=दैनिक औसत लोड किए गए वैगनों की प्राप्ति

उदाहरण के लिए -
एक डिवीजन में 450 वैगन लोड हुआ (जिसमें 50 वैगन ट्रांशिपमेंट के जरिये प्राप्त हुआ ),150 इनवार्ड लोडेड वैगन प्राप्त हुआ अन्य डिवीजन से और उस दिन का कुल होल्डिंग वैगन बैलेंस 2400 है तो 
2400/(450+150)
=2400/600
=4 day Wagon Turn Round


वैगन टर्न राउंड को प्रभावित करने वाले कारक-

रेलों के बीच वैगन टर्न राउंड के आंकड़े केवल सामान्य जानकारी का विषय है। विभिन्न रेलों के बीच लदान आवर्तनों की तुलना करने से कोई उपयोगी प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा क्योंकि यह संख्या कई कारकों से प्रभावित होती है और यह कारक भिन्न-भिन्न स्टेशनों पर अलग-अलग होते हैं।वैगन टर्न राउंड को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं।
  • औसत गमन दूरी
  • यातायात का घनत्व
  • रफ्तार को प्रभावित करने वाली तेज ढलान और लाइन सुविधाएं यथा दोहरी अथवा इकहरी।
  • जंक्शनों पर मुख्य या शाखा लाइन के कनेक्शन
लेकिन एक ही रेलवे पर विभिन्न अवधियों के बीच ये आंकड़े कुशलता सूचित करने के लिए उपयोगी है।

वैगन टर्न राउंड में सुधार किया जा सकता है-
  • वैगन के त्वरित लोडिंग और अनलोडिंग करके।
  • वैगनों को अधिकतम भार देकर।
  • मार्शलिंग यार्ड, ट्रांसशिप पॉइंट और गुड्स टर्मिनल स्टेशन में देरी को कटौती करके।
  • माल गाड़ियों के गति में सुधार करके।
  • जो वैगन मरम्मत के लिए प्रतीक्षा कर रहा है उसमें कटौती करके।

Saturday, 15 August 2020

Workshop Manufacturing Suspense

Workshop Manufacturing Suspense

कार्यशाला विनिर्माण उचन्त

  1. रेल कारखानों में संपूर्ण व्यय,वसुलियाँ एवं समायोजन (Adjustment) तथा बकाया को एक स्थान पर लाने के लिए कारखाना विनिर्माण उचन्त खाता लेखा कार्यालय में बनाया जाता है।
  2. यह प्लान हेड 7200 के अंतर्गत आता है ।यह लेखा का कैपिटल सस्पेंस हेड है।
  3. वर्कशॉप में किसी भी जॉब या ख़र्च की गणना, विश्लेषण एवं चार्जिज के विरुद्ध ख़र्च के सम्मिलित प्रक्रिया को WMS लेखा कहते हैं।
इसके डेबिट साइड में निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है-
1.लेबर
2.स्टोर
3.नगद
4.ऊपरी लागत
5.सीधी खरीद

इसके क्रेडिट साइड में निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है-
1. रोलिंग स्टॉक का POH अपनी रेलवे और दूसरे रेलवे के लिए।
2.दूसरे विभाग के लिए किया गया कार्य।
3.अन्य विनिर्माण गतिविधियां

इसके शेष व्यय के उस भाग को बताते हैं जो चालू कार्यों पर है एवं वसूली और समायोजन के लिए बकाया है।इसके बकाया शेषों का मिलान आउटटर्न स्टेटमेंट भाग-II से किया जाता है। बकायों की मासिक समीक्षा की जाती है एवम उन्हें यथासंभव कम रखने का प्रयास किया जाता है।समीक्षा के परिणाम वर्ष में कम से कम एकबार प्रमुख वित्त सलाहकार को प्रस्तुत किये जाते हैं।

इसकी क्यों आवश्यकता है-

रेलवे कार्यशालाओं में अपनी रेलवे , सरकारी विभागों और निजी निकायों के कार्य किये जाते हैं।जब कार्य पूरा हो जाता है तो सामग्री और श्रम की लागत साथ में ऑन कॉस्ट प्रभार पार्टी से वसूल किया जाता है इसके लिए बिल जारी किया जाता है और स्वीकृति ली जाती है और उसका भुगतान किया जाता है।ऐसे समय तक जब कार्य पूरा नहीं हो पाता है उसे लेखा में रखना होता है।ऐसा करने के लिए वर्कशॉप में सस्पेन्स खाता संचालित होता है,जो चार्ज किया गया किंतु मंजूरी के लिए लंबित है क्योंकि काम पूरा नहीं हुआ है।

जनरल बुक से मिलान-

WMS के तहत शेष राशि और लेबर सस्पेन्स के तहत शेष राशि जो चालू लेखा और लेबर बुक में दिखता है उसे WGR (Workshop General Register) से तुलना की जाती है और बाद में शेष राशि को जनरल बुक से तुलना की जाती है।आंकड़ो के दो सेटों के बीच के अंतर का विश्लेषण किया जाना चाहिए और विसंगतियां विवरण तैयार कर विसंगतियों को दूर करना चाहिए।ख़ासकर पुरानी विसंगतियों को ज्यादा ध्यान देना चाहिए।विसंगतियां विवरण जो चालू लेखा में और लेबर बुक में है वर्कशॉप लेखा अधिकारी को दिखाना चाहिए।

समीक्षा
  1. इसकी सारी मदें चालू है और प्रत्येक कार्य सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से एक उचित कार्यादेश के द्वारा चालू किया गया है।
  2. इसके ब्यौरे में श्रम, भंडार और उपरिलागत जो चल रहे तथा पूर्ण कार्यों से संबंधित है के अलावा अन्य कोई भी शामिल नहीं किया गया है।
  3. क्रेडिट की कोई मद नहीं है और यदि कोई पाई जाती है तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।
  4. जो कार्य बाहरी विभागों या पार्टियों के लिए किए गए हैं उनके प्राक्कलन संबंधित पार्टियों से स्वीकृत है। क्या समुचित धन जो कार्य के निष्पादन के लिए आवश्यक है जमा करवा लिया गया है और क्या लागत व विभागीय प्रभार लगाए गए हैं।
  5. अनुचित शेष नहीं है समय-समय पर अव प्रभारों और अधि प्रभारों का समंजन कर लिया गया है।

Friday, 14 August 2020

Workshop General Register

 Workshop General Register

कारखाना सामान्य रजिस्टर

परिभाषा: एक कार्यशाला में विभिन्न कार्य आदेशों के तहत बुक किये गए व्यय का संकलन जो एक सारांशित रूप में होता है उसे कार्यशाला सामान्य रजिस्टर के रूप में जाना जाता है।
                  दूसरे शब्दों में एक कारखाने में जारी सभी वर्क आर्डर वार ख़र्च बुक करने वह समायोजन के लिए एक रजिस्टर रखा जाता है जिसे कार्यशाला सामान्य रजिस्टर कहते हैं।
  • यह रजिस्टर कारखाना विनिर्माण उचन्त लेखा (WMS) का सहायक रजिस्टर है जो कारखाना लेखा कार्यालय में रखा जाता है।
  • यह एक मासिक विवरण (Monthly Statement) है जो शॉप वार (Shop wise), कार्यवार (work order wise) तैयार किया जाता है।
  • इसमें प्रत्येक कार्यादेश पर एक महीने के दौरान लेबर,बोनस,स्टोर और ऊपरी व्यय प्रभार (on cost charge) भी सम्मिलित रहता है। 
  • यह मूल रूप से कम्प्यूटर आधारित स्टेटमेंट है जिसे टाइम शीट, स्टोर मासिक सारांश और प्रत्यक्ष व्यय से संकलित किया जाता है जो कार्य आदेश को आवंटित किया गया है।
  • कार्यशाला सामान्य रजिस्टर की मासिक समीक्षा यह देखने के लिए की जाती है कि उसमें दर्शाए गए सभी कार्य चालू (current) है।
क्यों (Why)
भारतीय रेलवे रोलिंग स्टॉक कोड के अनुसार विभिन्न गतिविधियों पर कुल व्यय प्राप्त करने के लिए जो किसी भी कार्यशाला में तैयार किया जाता है कार्यशाला सामान्य रजिस्टर करना आवश्यक है।


Tuesday, 11 August 2020

Scale Check Register

 

Scale Check Register

वेतनमान जांच रजिस्टर

अर्थ:-

किसी भी ग्रेड या श्रेणी में मंजूर किए गए पदों से अधिक नियुक्तियां ना हो इसके लिए स्केल चेक रजिस्टर बनाया जाता है।
          यह प्रत्येक लेखा कार्यालय में उपरोक्त को जांचने के उद्देश्य से बनाया जाता है । इन रजिस्टरों में प्रत्येक ग्रेड या श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग पन्ने नियत किए जाने चाहिए उसे फार्म लेखा 1407 A में रखा जाता है।

स्केल चेक रजिस्टर में पोस्टिंग-

  1. अराजपत्रित कर्मचारियों की भर्ती की सभी मंजूरियां,प्राप्त होते ही वेतनमान जांच रजिस्टर में दर्ज कर लेनी चाहिए और इस पोस्टिंग का अनुप्रमाणित (attested) अनुभाग अधिकारी (लेखा) द्वारा किया जाना चाहिए।
  2. प्रत्येक यूनिट के वेतन बिल में यूनिट की वास्तविक और मंजूरशुदा कर्मचारी संख्या का एक सारांश होना चाहिए या बिल के साथ इसका संक्षिप्त विवरण लगा होना चाहिए । बिल पास करते समय सारांश में दिखाई गई वास्तविक संख्या की जांच चार्ज किये गए वास्तविक आंकड़ों से मिलाकर की जानी चाहिए। मंजूराशुदा संख्या से अधिक का मामला हो तो संबंधित कार्यकारी प्राधिकारियों से उनके विषय में लिखा-पढ़ी की जानी चाहिए।
स्केल चेक रजिस्टर के सिद्धांत-

मंजूर किए हुए पद पर साधारणतया एक ही व्यक्ति काम पर रह सकता है और वेतन पा सकता है। यदि एक पद पर एक से अधिक कर्मचारी काम पर दिखाए गए हैं या सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूर न किए गए पद पर किसी व्यक्ति को काम पर दिखाया जाता है तो संबंधित कर्मचारी का वेतन और भत्ते आपत्ति के अधीन किए जाने चाहिए।

        सिर्फ कार्यग्रहण अवधि और कार्यकारी पदों के कार्यभार सौंपने और कार्यभार ग्रहण करने के मामलों को छोड़कर।

        स्थाई कर्मचारियों का शत प्रतिशत जांच की जानी चाहिए तथा अस्थाई कर्मचारियों के मामले में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि नियत अवधि से अधिक काम पर नहीं रखे गए हैं।

Friday, 31 July 2020

WAMS


WAMS

WORKSHOP ACCOUNTING MANAGEMENT SYSTEM.

  1. WAMS एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (AIMS के लिए सॉफ्टवेयर) है जिसे CRIS ने विकसित किया है। यह वेब आधारित तीन स्तरीय केंद्रीय कृत एप्लीकेशन है जिसमें जावा और ओरेकल का उपयोग किया गया है।
  2. इस सॉफ्टवेयर में निम्नलिखित 4 मॉड्यूल निहित है।
  • इंसेंटिव मॉड्यूल
  • वर्कशॉप जनरल रजिस्टर मॉड्यूल
  • वर्कशॉप मैनुफेक्चरिंग सस्पेन्स मॉड्यूल
  • वर्कशॉप कॉस्टिंग सिस्टम मॉड्यूल
3. इसके अतिरिक्त यह एप्लिकेशन IMMS (Integrated Material Management System) से भी जुड़ा है।

उद्देश्य-


  1. यह एप्लिकेशन वर्कशॉप मैन्युफैक्चरिंग सस्पेन्स एकाउंट करंट जनरेट करता है जो वर्कशॉप लेखा कार्यालय में मासिक चालू खाता (Monthly Account Current) को अंतिम रूप दिए जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  2. वर्कशॉप मैन्युफैक्चरिंग सस्पेन्स मासिक चालू खाता के अलावा यह एप्लिकेशन वर्क ऑर्डर वार व्यय का विश्लेषण,WMS बजट का विश्लेषण, प्रति इकाई दर विश्लेषण, वर्कशॉप जनरल रजिस्टर जनरेट करना,आउट टर्न जेवी चालू खाते के लिए जनरेट करना आदि के लिए भी उपयोग है।
  3. यह समान रूप से वर्कशॉप लेखा इकाई के सभी प्रकार के कार्यों को पूरा करने और रेलवे में एक समान प्रबंधकीय रिपोर्ट तैयार करने के लिए विकसित किया गया है।

Sunday, 26 July 2020

Special limited tender


Special Limited Tender

विशेष सीमित निविदा


स्पेशल लिमिटेड टेंडर निम्नलिखित परिस्थितियों में FA&CAO के सहमति से अपनाया जा सकता है-

  • स्पेशल प्रकृति के कार्य (PHOD के सहमति से)
  • तत्काल प्रकृति के कार्य ( महाप्रबंधक के व्यक्तिगत अनुमोदन से)
  • कंसल्टेंसी कार्य (महाप्रबंधक के व्यक्तिगत अनुमोदन से)

स्पेशल लिमिटेड टेंडर के लिए विशिष्ट एवं ख्याति प्राप्त ठेकेदार/संस्था/एजेंसी को कार्य करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

स्पेशल लिमिटेड टेंडर के लिए परिस्थितियों और आवश्यकता के बारे में विस्तार से एक प्रस्ताव तैयार करना चाहिए एवं PHOD की व्यक्तिगत स्वीकृति प्राप्त होने से पहले FA&CAO (ओपन लाईन) FA&CAO/C (निर्माण संगठन) से स्वीकृति प्राप्त करना चाहिए।


निविदाएं जिसके लिए स्पेशल लिमिटेड टेंडर आमंत्रित की जानी है उसमें 6 से अधिक ठेकेदार होनी चाहिए किंतु 4 से कम नहीं होनी चाहिए। ठेकेदार अनुमोदित सूची का ही हो यह आवश्यक नहीं है।

Wednesday, 22 July 2020

AFA 30% SYLLABUS

            

AFA 30% SYLLABUS

RAILWAY BOARD LETTER N. E (GP) 2022/2/4 DATED 22/07/2022

1.

General Principles of Govt. Accounting and Audit with Special Reference to Railways

15

2.

Books and Budget including Traffic Book

15

3.

Traffic Accounts and Statistics

15

4.

Establishment

15

5.

General Expenditure

15

6.

Workshop Accounts

15

7.

Store Accounts

15

 

Total

105

 

 

 

 

General knowledge including optional questions of 15 marks on official Language Policy and Rules

40

 

Management Accounting and Financial Justification for expenditure

30

 

Total

175

 

Qualifying marks

90

 

Duration 3 Hours

 

 

 

Note:

i. Question paper will have 175 question out of which 150 questions are to be attempted.

ii.                  1 mark will be allotted for every correct answer. There shall be negative marking for incorrect answers and 1/3rd marks allotted for each question will be deducted for every wrong answer.                          

Monday, 20 July 2020

Difference Between Demand Recoverable and Bills Recoverable


Difference Between Demand Recoverable and Bills Recoverable.



वसूली योग्य मांग (Demand Recoverable)
बिल्स वसूली (Bills Recoverable)
1. वसूली योग्य मांग की शुरुआत रेलवे में 01.04.1988 से हुआ है।
1. बिल्स वसूली रेलवे में शुरू से ही है।
2. वसूली योग्य मांग यातायात उचन्त का एक भाग है अतः इसकी वसूली से यातायात उचन्त में कमी आती है जिससे परिचालन अनुपात बेहतर होता है।
2. बिल्स वसूली से राजस्व मांग में कमी आती है जिससे भी परिचालन अनुपात बेहतर होता है।
3. इसके प्रचालन का प्रमुख उद्देश्य है रेंट, लीज प्रभार बिल्डिंग का, ब्याज एवं अनुरक्षण प्रभार साइडिंगों का प्राइवेट पार्टियों से वसूल कर रेलवे के खाते में लाना।
3. इसके प्रचालन का प्रमुख उद्देश्य है जल, बिजली,कर्मचारी प्रभार प्राइवेट पार्टियों से वसूल कर रेलवे के खाते में लाना।
4. यह सरकारी और वाणिज्यिक लेखा को जोड़ने के लिए एक लिंक हेड है।
4. यह लिंक हेड नहीं है।
5.जब रेलवे बिल्स तैयार करती है तो-

वसूली योग्य मांग………..Dr.
To "Z" आय…………...Cr. 
5.जब रेलवे बिल्स तैयार करती है तो-

संबंधित राजस्व मांग……….Dr.
To चेक एंड बिल्स………...Cr.
6.जब पार्टी से भुगतान प्राप्त हो जाती है तो-
Remittance into Bank……….Dr.
To Demand Recovarable…...Cr.
6.जब पार्टी से वसुली हो जाती है तो-

Remittance into Bank………….Dr.
To Concerned Revenue Demand..Cr.
7. यह विविध आय का भाग है।
7. यह विविध आय भाग नहीं है, क्योंकि यह पार्टी से वसूली के पहले ही राजस्व व्यय के मांग में कम कर के लेखा में दिखाया गया है (सिर्फ पानी एवं बिजली प्रभार को छोड़कर)


(2000W,2016W,2017-18 Books & Budget)

Sunday, 19 July 2020

Schedule of Power

Schedule of Power


परिभाषा-

रेल प्रशासन सुचारू रूप से चले इसके लिए रेलवे बोर्ड महाप्रबंधक को शक्ति प्रदान करते हैं,इसे ही "शिड्यूल ऑफ पावर" कहते हैं।
          इन शक्तियों को महाप्रबंधक प्रमुख वित्त सलाहकार के परामर्श से अपने अधीनस्थ अधिकारियों में वितरित कर देते हैं।

उद्देश्य-

शिड्यूल ऑफ पावर का प्रमुख उद्देश्य है कि किसी भी कार्य पर अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा त्वरित निर्णय लेना एवं शक्तियों का विकेंद्रीकरण।

        शिड्यूल ऑफ पावर का प्रयोग प्राधिकार द्वारा निर्धारित अधिकार एवं निर्धारित सीमा तक ही किया जाता है। यह अधिकार मौजूदा कोडल प्रक्रियाओं,नियमों एवं रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी किए गए पत्रों पर आधारित होता है। साथ ही यह शक्तियां फण्ड की उपलब्धता पर भी निर्भर है।बिना महाप्रबंधक के अनुमोदन से कोई शक्तियों का पुनः प्रत्यायोजन नहीं किया जा सकता है।

महाप्रबंधक शक्तियों का वितरण तीन शीर्षकों के तहत वर्गीकृत करते हैं।
I-PHODs/HODs
II-Field units DRM/ADRM/SAG
III-Divisional/Extra Divisional Officers and Officers in Headquarter.


शिड्यूल ऑफ पावर को कई भागों में बंटा गया है-

(i) कार्यों से संबंधित मामलों
(ii) वाणिज्यिक मामलों
(iii)स्टोर के मामले
(iv)स्थापन मामले
(v) मेडिकल मामले
(vi) विविध मामले


कुछ शक्तियां ऐसी है कि महाप्रबंधक अपने अधीनस्थ अधिकारियों को वितरित नहीं करते हैं, उसे महाप्रबंधक के नकारात्मक शक्ति के रूप में जाना जाता है।जिसके लिए उच्च अधिकारी या रेलवे बोर्ड से परामर्श लिया जाता है।

Saturday, 18 July 2020

Bills Recoverable


Bills Recoverable (बिल्स वसूली)

पैरा 1138-लेखा संहिता I

  1. रेलवे द्वारा किसी पार्टी या व्यक्तियों को (जो रेलवे से संबंधित नहीं है) की गई सेवा, दी गई सामग्री या कोई अन्य प्रयोजन के लिए जो रकम वसूली की जाती है उसे बिल्स वसूली कहते हैं।
  2. रेलवे द्वारा अन्य पार्टियों को विभिन्न प्रकार की सेवा दी जाती है जैसे जमीन का किराया, बिल्डिंग किराया किंतु बिल्स वसूली के अंतर्गत दो सेवाएं में मुख्य रूप से आती है (i)वाणिज्य कर्मचारी/अन्य रेल कर्मचारी जो प्राइवेट साइडिंग पर कार्य कर रहा है।(ii) अन्य पार्टियों के बैगन का अनुरक्षण प्रभार।
  3. चूंकि रेलवे अपने कर्मचारियों को वेतन पहले ही दे दी होती है, अतः इसकी वसूली सुचारू रूप से हो इसके लिए एक रजिस्टर रखना चाहिए (1139-A-I) एवं प्रत्येक पार्टी के लिए अलग-अलग पृष्ठ खोलना चाहिए।
  4. रजिस्टर को मासिक रूप से समीक्षा करनी चाहिए जिसमें यह देखना चाहिए कि सभी पार्टियों से ठीक से वसूली हो रही है कि नहीं।
  5. लेखा अधिकारी का कर्तव्य होगा कि बिल की वसूली समुचित तरीके से वह यह सुनिश्चित करें इसके लिए संबंधित कार्यकारी अधिकारी को समय-समय पर ध्यान आकर्षित करें।

जनरल इंट्री

1.जब पार्टी से वसूली के लिए बिल्स तैयार किया जाता है तो-

संबंधित राजस्व शीर्ष..........................Dr.
To चेक एंड बिल्स............................Cr.

2.जब पार्टी से धन की वसूली हो जाती है तो-
Remittance into Bank(RIB).........Dr.
To Concerned Revenue Demand..Cr.

*उपरोक्त जनरल इंट्री वेतन के मामले में है।

Wednesday, 15 July 2020

Differences Between Demand Payable and Demand Recoverable


Differences Between Demand Payable and Demand Recoverable  


देय मांगे (Demand Payable)
वसूली योग्य  मांगे (Demand Recoverable)
01. देय मांगे एक सस्पेन्स हेड है जो खर्च के लिए संचालित किया जाता है ।       
01.वसूली योग्य मांगे एक सस्पेन्स हेड है हो आमदनी के लिए संचालित किया जाता है ।
02.इसमें हमेशा क्रेडिट शेष बतलाता है,इसका अर्थ यह हुआ की अभी भुगतान होना बाकी है ।
02.इसमें हमेशा डेबिट शेष बतलाता है, इसका अर्थ यह हुआ की अभी पार्टी से वसूली होना बाकी है ।      
03.देय मांगे का संचालन किसी महीने की उपचित (accrued) समस्त राजस्व देयतायों को उसी महीने के लेखे में लाने के लिए किया जाता है । चाहे उसका निपटारा उस महीने में हुआ हो या नहीं ।
03.वसूली योग्य मांगे समस्त राजस्व आय को जो उपचित हो गया है को लेखे में लाने के लिए किया जाता है ।
04.यह शीर्ष कार्य संचालन व्यय (working exp.) के दायित्व को पूरा करने के लिए संचालित किया जाता है।
04. यह क्रेडिट बिलों रेलवे के भूमि के किराए,ब्याज,अनुरक्ष्ण प्रभार साइडिंगो के, ROB,FOB एवं लेवल क्रोसिंगों के अनुरक्ष्ण प्रभार को लेखे में लाने के लिए संचालित किया जाता है ।
05. यह प्रत्येक महीने के लिए अलग-अलग खोला जाता है ।
05.यह एक निरंतर खाता है जो वसूलियों के निपटान तक चलता रहता है ।
06.जब मार्च का सैलरी बिल पास होता है तो जनरल इंट्री मार्च के लेखे बंद होने से पहले

Revenue Head.....................Dr.
To Demand Payable...........CR.
06. रेलवे द्वारा पार्टी के लिए बिल्स तैयार करने पर

Demand Recoverable.............Dr.
To Abstract “Z”……………………………..Cr.
07.समायोजन के पश्चात
Demand Payable...........DR.
To Cheques & Bills ......Cr.


07. पार्टी से भुगतान प्राप्त होने पर
Remmittance into Bank (RIB)….Dr.
To Demand Recovarable……………Cr.  


2012,2015 Books & Budget