Tuesday, 30 June 2020

Finance Account

Finance Account

वित्त लेखा

  1. वित्तीय लेखा सरकारी लेखांकन के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। अर्थात सरकारी लेखों की अपेक्षाओं के अनुसार रखे गए लेखों को सामूहिक रूप से "वित्तीय लेखा" कहा जाता है।
  2. रेलवे के वित्तीय लेखा वार्षिक रूप में तैयार किए जाते हैं एवं विभिन्न रेलवे लेखा शीर्षों के अधीन रेलवे के खातों में दर्ज किए गए लेनदेन को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
  3. इसे वित्तीय लेखा नामक गुटका में संकलित कर जिसमें विभिन्न रेलवे शीर्षों के सार लेखे ब्योरेवार अनुसूचियों साथ में परिशिष्ट होता है को निर्धारित समय में रेलवे बोर्ड भेजा जाता है।
  4. वित्त लेखा में दो परिशिष्ट होता है। (क) पूंजी और राजस्व लेखों से संबंधित अप्रत्यक्ष प्रभारों का विवरण।(ख) रक्षा मंत्रालय की ओर से हाथ में लिए गए निर्माण कार्य जिन पर ब्याज और अनुरक्षण प्रभार लिया जाता है।
  5. परिशिष्ट "क" का उद्देश्य ऐसी सूचना उपलब्ध कराना है जो संकलित लेखों में नहीं दी जाती है, लेकिन जिसका होना रेलवे की वित्तीय स्थिति को भली प्रकार से समझना अनिवार्य है। परिशिष्ट "क" का वित्त लेखों के साथ भेजा जाना अनिवार्य है। जबकि परिशिष्ट "ख" का नहीं। लेकिन फिर भी इसे बनाया जाना चाहिए और रक्षा मंत्रालय से आवश्यक वसूलियां करने के प्रयोजन के लिए रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए।
  6. वित्त लेखों की लेखा परीक्षा कराई जानी चाहिए तथा लेखा परीक्षा प्रमाण पत्र की एक हस्ताक्षरित प्रति रेल मंत्रालय को भेजी जानी चाहिए।


(2015W,2015WO Books & Budget)

Sunday, 28 June 2020

Public Sector Bank Suspense


Public Sector Bank Suspense


  1. यह मेजर हेड 8658 के तहत नया उपशीर्ष है जो अक्टूबर 1993 से प्रचलन में है।
  2. ये बैंकों में रेलवे के लेनदेन डेबिट और क्रेडिट दोनों के समायोजन पर निगरानी के लिए होता है।(सिर्फ पेंशन भुगतान को छोड़कर)
  3. यह चेक और बिल्स सस्पेन्स एवं बैंकों में धन प्रेषण RIB (Remittance into Bank) सस्पेन्स को क्लियर करने के लिए संचालित होता है।

चेक और बिल्स एवं पब्लिक सेक्टर बैंक सस्पेन्स-


जब चेक बैंक में कैश हो जाता है तो बैंक (फोकल पॉइंट शाखा) के माध्यम से डेली स्क्रॉल लेखा विभाग में भेजता है।स्क्रॉल को जांच करने के बाद खाता में समायोजन इस प्रकार किया जाता है।

1. चेक और बिल्स ..............(-Cr.)

To PSB A/C.....................(Cr.)

2. जब PSB, RBI को नकद राशि भुगतान में समायोजित कर देता है-

PSB......................(-Cr.)
To RBI..................(Cr.)



बैंकों में धन प्रेषण (RIB) और पब्लिक सेक्टर बैंक सस्पेन्स-


पब्लिक सेक्टर बैंक दैनिक स्क्रॉल TR नोट (Treasury Remittance Note) के साथ लेखा विभाग को भेजता है,वेरिफिकेशन के बाद लेखा में इस तरह समायोजन किया जाएगा।

1.Remittance into Bank ..............(-Dr.)
To PSB...............................................(Dr.)

2.RBI के साथ समायोजन के बाद

PSB...................................(-Dr.)
To Reserve Bank Deposit.(Dr)

Friday, 26 June 2020

Cheques and Bills


Cheques and Bills

चेक और बिल्स

लेखा संहिता प्रथम पैरा 437 (B)

चेक और बिल्स एक सस्पेन्स हेड है। इस हेड का प्रचालन रेलों द्वारा जारी किए गए चेकों के बैंकों द्वारा भुगतान करने के बाद रेलों के खाते से डेबिट की जाने वाली रकमों के सही होने की जांच के उद्देश्य से किया जाता है।

           रेलवे के लेखा अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन जितने भी चेक जारी किए जाते हैं, उनकी रकम को जो चेक मांग पत्र (Cheques Requisition) में दर्ज होती है से "चेक और बिल्स" को क्रेडिट कर दिया जाता है और उपयुक्त लेखा (final Head allocation) को डेबिट कर दी जाती है।

            बैंकों द्वारा अपने दैनिक स्क्रॉल में भुगतान किए गए चेकों को दर्ज कर फोकल बिंदु बैंक ब्रांच को भेजा जाता है, जो उसके आधार पर मुख्य स्क्रोल बना कर और पेड चेकों को संलग्न कर वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी को भेजता है। जहां सभी पेड चेकों को जांच कर 'चेक और बिल्स" को डेबिट एवं "डिपॉजिट विद रिजर्व बैंक" को क्रेडिट कर दिया जाता है।
    
             अतः इस शीर्ष में उसी चेक की राशि क्रेडिट बकाया रहना चाहिए जिसका भुगतान नहीं हुआ है। चूंकि जारी किए गए चेक 3 माह की अवधि के भीतर ही बनाए जा सकते हैं अतः इस शीर्ष में 4 माह के बाद कोई शेष नहीं रहना चाहिए। यदि कोई शेष रह जाए तो बैंकों से पूछताछ कर यह सुनिश्चित करने के बाद कि संबंधित चेकों का भुगतान वास्तव में नहीं हुआ है तो 6 माह से अधिक पुराने चेकों की राशि को अर्ध वार्षिक समीक्षा की जाती है। 


इसकी जनरल प्रविष्टियां इस प्रकार की जाती है-

1.दिनभर में जारी किए गए चेकों की कुल राशि-

उपयुक्त राजस्व,सर्विस हेड etc..................Dr.
To चेक एंड बिल्स...................................Cr.

2.भुगतान के बाद और स्क्रॉल प्राप्त होने पर

चेक एंड बिल्स....................Dr.
To पब्लिक सेक्टर बैंक........Cr.

3.महीने के अंत में जब भुगतान किए गए चेकों के आंकड़ों उपलब्ध हो और मिला लिए जाए-

पब्लिक सेक्टर बैंक .....................Dr.
To डिपॉजिट विद रिज़र्व बैंक ........Cr.




(2000W,2004W,2006WO,2012W,2015W,2017-18 Books & Budget)

Thursday, 25 June 2020

Remittance into Bank


Remittance into Bank


बैंकों में धन प्रेषण 

पैरा 437 लेखा संहिता प्रथम

बैंकों में धन प्रेषण (remittance into bank) एक सस्पेन्स हेड है। रेलों में जितनी भी आमदनी होती है उसे बैंकों में भेजा जाता है।प्रेषित की गई रकम की निगरानी के लिए इस हेड को खोला जाता है।


          बैंकों को भेजी गई समस्त राशि से इस हेड को डेबिट किया जाता है।महीने के अंत में सभी आंकड़े का मिलान करने के बाद जो बैंकों ने स्वीकार कर लिया है उस रकम से डिपॉजिट विद रिज़र्व बैंक (RBD) हेड को डेबिट कर देते हैं और रेमिटेंस इनटू बैंक (RIB) को क्रेडिट कर देते हैं।यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि महीनों में बैंकों द्वारा प्राप्त धन-प्रेषणों की केवल उतनी ही राशि "रिज़र्व बैंक डिपॉजिट" में समायोजित की जाए जितनी कि महालेखापाल की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा समायोजित की गई है।


         प्रत्येक बैंक के साथ रेलवे जो भी लेनदेन करता है, उसका दैनिक स्क्रोल बनाकर बैंक,स्टेटमेंट के साथ रेलवे अधिकारी को भेजता है।लेनदेन अलग-अलग यानी चेक पेड और आय का बनाता है।इन सभी स्टेटमेंट को चेक और नकदी प्रेषण नोटों के काउंटर फाइल्स के साथ शीघ्रता से जाँच करनी चाहिए।

      किसी भी प्रकार का त्रुटि होने पर केंद्रीय लेखा अनुभाग(रिजर्व बैंक)/नागपुर को बताना चाहिए, जिससे की वह उसका निपटारा उसी महीने में करे।यही प्रक्रिया बैंकों और भंडारों के विभिन्न रेलवे खातों के बीच अवर्गीकृत मदों के लिए भी लागू होगा।

इसकी जनरल प्रविष्टियां इस प्रकार की जाएगी-

1. बैंकों में जब विभिन्न शीर्षों (X,Y,Z) से आय प्राप्त होने के बाद-

Remittance into Bank(A/C).................Dr.

To Appropriate Head (X,Y,Z)..............Cr.

2. जब क्रेडिट स्क्रोल बैंक से प्राप्त होता है तो-

Public Sector Bank (A/C)...................Dr.

To Remittance into Bank(A/C)..........Cr.

3. महीने के अंत में केंद्रीय लेखा अनुभाग(अनुभाग) नागपुर (Reserve Bank of India) से पिंक स्लिप आ जाने पर (यानी आंकड़े बैंक के आंकड़ों से मिला लिए जाएं तो)

Deposits with Reserve Bank ............Dr.

To Public sector Bank........................Cr.



(2004W,2012W,2015W,2017-18 Books & Budget,2006 GRP)

Tuesday, 23 June 2020

Store Suspense

Store Suspense (स्टोर सस्पेंस)


परिभाषा:-

भारतीय रेलवे एक बड़ा परिवहन संगठन है इसे अपने नियमित रखरखाव और विभिन्न सेवाओं के रखरखाव के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीद या निर्माण और स्टॉक की आवश्यकता होती है। अतः जो भी स्टोर खरीदा जाता है वह कैपिटल इंटेंसिव है इसे रेलवे के विभिन्न डिपों में स्टॉक किए जाते हैं।

             चूँकि डिपो में सामग्री की प्राप्ति शुरू में स्टॉकिंग के लिए किया जाता है बाद में इसे उपभोग करने वाले विभागों को दिया जाता है। अतः जब तक उपभोग करने वाले विभागों को सामग्री नहीं दिया जाता है, तब तक इसे अंतिम शीर्ष में रखा नहीं जा सकता है। इसलिए सामग्री को अस्थाई रूप से सस्पेंस खाते में रखा जाता है और इसके क्लीयरेंस पर ध्यान रखा जाता है। स्टोर सस्पेंस कैपिटल सस्पेंस है जो प्लान हेड 71 के अंतर्गत संचालित होता है।

स्टोर सस्पेन्स के प्रकार:-

1. क्रय सस्पेन्स (Purchase Suspense)
2. विक्रय सस्पेन्स (Sales Suspense)
3. स्टोर-इन-ट्रांजिट
4. स्टोर-इन-स्टॉक
5.स्टॉक समायोजन लेखा (Stock Adjustment Accounts)

1.क्रय सस्पेंस --

जब आपूर्तिकर्ता द्वारा सामग्री डिपो को आपूर्ति की जाती है तो उसे एक प्राप्ति नोट की प्रतिलिपि प्राप्त होती है जो भुगतान का दावा करने के लिए आवश्यक है । जो भी सामग्री डिपो में प्राप्त की जाती है उसका भुगतान लेखा कार्यालय द्वारा किया जाता है। अतः लेनदेन जहां सामग्री प्राप्त की जाती है लेकिन उसका भुगतान क्रय सस्पेंस के माध्यम से किया जाता है। जितने भी मूल्य के सामग्री डिपो में प्राप्त हुआ उस राशि से परचेज सस्पेंस को डेबिट कर दिया जाता है और जब प्राप्ति रसीद की कॉपी लेखा विभाग में प्राप्त होती है तो परचेस सस्पेंस को क्रेडिट कर दिया जाता है।इस उचन्त शीर्ष का मुख्य उद्देश्य है आपूर्तिकर्ताओं को सही और शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करना।

(1) परचेज सस्पेंस में क्रेडिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि सामग्री प्राप्त हो चुकी है, जबकि भुगतान किया जाना बाकी है।
(2) परचेज सस्पेंस में डेबिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि अग्रिम भुगतान कर दिया गया है किंतु सामग्री अभी प्राप्त नहीं हुई है।

          सामान्यतः परचेज सस्पेंस में क्रेडिट बैलेंस रहता है अपवाद स्वरूप प्रतिष्ठित फार्म को अग्रिम भुगतान के मामले में डेबिट बैलेंस होगा।

जनरल एंट्री इस प्रकार होगी:-

1.जब प्राप्ति रसीद प्राप्त होती है-

स्टोर-इन-ट्रांजिट...................... Dr.
To परचेज सस्पेन्स..................Cr.

2. जब बिल का भुगतान कर दिया जाता है-

परचेज सस्पेन्स...................Dr.
To चेक & बिल्स................Cr.

अब iMMS (Integrated Material Management Information System) के तहत

-खरीद उचन्त के रखरखाव में तीन महत्वपूर्ण गतिविधियां शामिल है।

* क्रेडिट की पोस्टिंग, डेबिट की पोस्टिंग, सस्पेंस का सफाया और आर्थिक समीक्षा मासिक,त्रैमासिक, अर्धवार्षिक ।
* परचेज सस्पेंस के रखरखाव में लेन-देन को ओरेकल डाटा बेस के साथ आई एम एम एस मॉड्यूल के तहत लाया गया है।
* प्राप्ति नोट डेटाबेस से सीधे जुड़े हुए हैं अतः प्राप्ति नोट अपने आप तैयार होता है।
* वर्ष के अंत में सस्पेंस बैलेंस को खत्म करने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।

क्रेडिट की पोस्टिंग

* क्रेडिट की पोस्टिंग जो प्राप्ति नोट से संबंधित है जो प्रत्येक डिपों से प्राप्त होता है इसमें नंबर, तारीख, पीओ नंबर , फार्म का नाम, प्रेषण विवरण,दर,मात्रा और मूल्य की पोस्टिंग किया जाता है यह सब ऑनलाइन किया जाता है।
* आई एम एम एस मॉडल के तहत कंप्यूटरीकरण को ध्यान में रखते हुए एक बार आर नोट, माह,डिपो कंप्यूटर में फीड हो जाने के बाद प्रोग्राम स्वतः ही विवरण को डेबिट के साथ जोड़ देता है।
* सभी बकाया मदें प्रबंधकीय समीक्षा के अंतर्गत है अग्रिम भुगतान के मामले में एक बार आर नोट विवरण डिपो को जोड़ने वाले कंप्यूटर में फीड हो जाता है तो भुगतान का विवरण स्वचालित रूप से लिंक हो जाता है।
*डिपो वार आवंटन रिपोर्ट मासिक आधार पर तैयार की जाती है।
* प्रत्येक डिपो के क्रेडिट का सारांश प्रत्येक डिपो मैनेजर के लिए उपलब्ध रहता है ताकि अंत में कोई शेष नहीं बचे इसकी समीक्षा की जा सके।

डेबिट की पोस्टिंग

* खरीद सस्पेंस डेबिट का विवरण स्वचालित रूप से मासिक आधार पर बिल ,RBC,MAR अनुभागों को स्थानांतरित हो जाता है।
* E-recon में प्राप्त टीसी को AFA/SSO बुक्स सेक्शन के प्राधिकरण के साथ बुक सेक्शन द्वारा दर्ज किया जाता है जिसे डेबिट के रूप में पोस्ट किया जाता है जिससे प्रोग्राम क्रेडिट को लिंक कर सके।

 *स्टॉक/गैर स्टॉक मदों के इकाई वार निपटाया जाता है मदों को जोड़ने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।




2.विक्रय सस्पेन्स (Sales Suspense) 

यह उचन्त शीर्ष प्रचालन में परचेज सस्पेंस के विपरीत है जैसे कि जितने मूल्य के सामग्री प्राप्त होती है उससे परचेज सस्पेन्स को क्रेडिट किया जाता है जबकि जितने मूल्य के स्क्रैप बेचे हैं उससे सेल्स सस्पेंस को क्रेडिट किया जाता है। अन्य पक्षों को बेचे गए सामान की कीमत की वसूली पर निगरानी रखना इस उचन्त शीर्ष के प्रचालन का मुख्य उद्देश्य है।

इसकी जनरल एंट्री इस प्रकार होगी-

1.जब EMD और बैलेंस सेल वैल्यू खरीददार द्वारा भुगतान किया जाता है तो-

Remittance into Bank(RIB)............Dr.

To Sales Suspense.............................Cr.

2.जब बेचा हुआ स्क्रैप पहुँच जाता है और सेल इश्यू नोट तैयार हो जाता है-

Sales Suspense.....................Dr.
To Store-in-Stock.................Cr.

सेल्स सस्पेंस में हमेशा क्रेडिट बैलेंस होना चाहिए।डेबिट बैलेंस स्टोर-इन-स्टॉक में भुगतान किए बिना प्राप्त सामग्री का प्रतिनिधित्व करता है या नीलामी में बेचे गए मात्रा से अधिक सामग्री का प्रतिनिधित्व करता है।

3.स्टोर-इन-ट्रांजिट-

स्टोर-इन-ट्रांजिट दो प्रकार के हैं-
1.स्टोर-इन-ट्रांजिट -परचेज
2.स्टोर-इन-ट्रांजिट -डिपो ट्रांसफर
स्टोर-इन-ट्रांजिट में हमेशा डेबिट बैलेंस होगा।

स्टोर-इन-ट्रांजिट-परचेज

इस शीर्ष का प्रचालन उस समय होता है जब खरीदे गए सामान की प्राप्ति और निरीक्षण केंद्रीय स्थान पर होता है और बाद में भंडार के लिए अन्य डिपुओं में भेजा जाता है। भंडार डिपो में जब तक सामग्री प्राप्त नहीं हो जाता है तो सामग्री की कीमत से परचेज शीर्ष को क्रेडिट और स्टोर-इन-ट्रांजिट परचेज को डेबिट की जाती है। स्टॉकिंग डिपो द्वारा सामग्री प्राप्त करने और उसका लेखा करने के बाद यह डेबिट क्लियर हो जाएगा।

स्टोर-इन-ट्रांजिट परचेज का जनरल एंट्री-

1.जब प्राप्ति नोट केंद्रीयकृत प्राप्ति और निरीक्षण अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है तो-

Store-in-transit Purchase.............Dr.
To Purchase Suspense...................Cr.

2. स्टॉकिंग डिपो द्वारा सामग्री का लेखा करने के बाद

Store-in-stock.................... Dr.
To Store-in-transit Purchase...Cr.

स्टोर-इन-ट्रांजिट -डिपो ट्रांसफर-

जब स्टोर महीने के दौरान किसी डिपो द्वारा दूसरे डिपो के लिए जारी किया जाता है और उसी महीना वह सामग्री लेखा में प्रदर्शित नहीं होता है। इस स्थिति में जितने वैल्यू के स्टोर है वह स्टोर-इन- ट्रांजिट डिपो ट्रांसफर शीर्ष में डेबिट प्रदर्शित होगा। यह डेबिट तब क्लियर हो जाएगा जब प्राप्ति डिपो मटेरियल की प्राप्ति का लेखा कर लेंगे।

इसका लेखाकरण इस प्रकार किया जाएगा
1.जब सामग्री जारी करने वाले डिपो द्वारा इश्यू नोट महीने के दौरान जारी किया गया किंतु रिसीविंग डिपो उसका लेखाकरण उसी महीने नहीं किया तो-

Store-in-transit Depot transfer.......Dr.
To Store-in-stock of issuing depot...(-)Dr.

2.जब सामग्री प्राप्त हो जाएगा और लेखाकरण कर लिया जाएगा रिसीविंग डिपो द्वारा तो-

Store-in-stock of receiving Depot....Dr.
To Store-in-transit Depot transfer....Cr.

4.स्टोर-इन-स्टॉक

यह बहुत ही महत्वपूर्ण उचन्त शीर्ष है। यह सस्पेंस खाता डिपो वार रखा जाता है और यह डिपो में प्राप्त सामग्री का निरीक्षण और लेखा करता है। सामग्री की प्राप्ति पर और लेखा करने के बाद एक रसीद नोट तैयार किया जाता है जो इस खाते के डेबिट पक्ष को पोस्ट करने का आधार है। इसका लेनदेन इस प्रकार होगा-

1. स्टोर-इन-स्टॉक AC......... Dr.
To परचेज सस्पेंस AC..........Cr.

2. जब डिपो द्वारा उपभोग करने वाले विभाग को सामग्री जारी कर दिया जाता है और इश्यू नोट तैयार किया जाता है तो-

राजस्व मांग/संबंधित कार्य...............Dr.
To स्टोर-इन-स्टॉक AC..................Cr.

यह उचन्त शीर्ष हमेशा डेबिट बैलेंस प्रदर्शित करेगा इस हेड के तहत आउटस्टैंडिंग डेबिट बैलेंस इन्वेंटरी ऑन हैंड बताता है।

5.स्टॉक समायोजन लेखा(Stock adjustment Account)


इस सस्पेंस हेड का प्रचालन स्टोर में विभिन्न अंतरों के लिए किया जाता है इसके तीन भाग है-

1.स्टॉक में अंतर-

(i) आवधिक लेखा स्टॉक सत्यापन के दौरान।
(ii) विभागीय स्टॉक सत्यापन के दौरान।

2.स्टॉक के कीमत में अंतर-

(i)बाजार से खरीदे गए उत्पादों की कीमत में परिवर्तन।
(ii) वर्कशॉप में निर्मित उत्पादों की कीमत में परिवर्तन।

3.विविध

(i) स्क्रैप बिक्री के समय बुक वैल्यू और वास्तविक मूल्य में अंतर।
(ii) हानि,चोरी,अप्रचलन आदि के कारण अंतर।
(iii) सेकंड हैंड/स्क्रैप के कारण नई सामग्री का वर्गीकरण।
(iv) राउंडिंग ऑफ के कारण।
(v) डिपो स्टॉक शीट, बुक ट्रांसफर के द्वारा विविध मदों का समायोजन।

        इस खाते में डेबिट और क्रेडिट अलग-अलग पोस्ट किया जाता है। इस हेड के तहत सभी मदों को 6 महीने के भीतर क्लियर कर देना चाहिए। छोटे मूल्य के सभी मदें जो उपयोग पूर्ण नहीं है अंतिम शीर्ष को डेबिट कर क्लियर कर देना चाहिए। बचे हुए मदों को प्रत्येक तिमाही में महाप्रबंधक को रिपोर्ट करना चाहिए महाप्रबंधक के आदेशानुसार मदों को डेबिट या क्रेडिट करना चाहिए।


Monday, 22 June 2020

Differences between Voted & Charged Exp.



Differences between Voted & Charged Exp.

स्वीकृत और प्रभृत व्यय में अंतर 



स्वीकृत व्यय
प्रभृत व्यय
01.स्वीकृत व्यय में शामिल मदों के लिए निधियों की व्यवस्था के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक है । उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होता है ।  
01.प्रभृत व्यय के लिए संसद की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है , किन्तु संसद व्यय के वारे में बहस कर सकते हैं । अत: प्रभृत व्यय में शामिल मदों के लिए निधियों की व्यवस्था के लिए केवल राष्ट्रपति की मंजूरी होती है ।
02.संसद इस प्रकार के खर्च को अस्वीकृत कर सकती है या इसमें कटौती या संशोधन करके स्वीकृत कर सकती है ।
02.संसद इस प्रकार के खर्च पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है ।
03.समान्यत: सभी प्रकार के खर्च (प्रभृत व्यय के अलावा) स्वीकृत में शामिल होते हैं ।     
03.इसमें तीन प्रकार के खर्च शामिल है .
   (i)CAG के वेतन, भत्ता एवं पेंशन।
   (ii) किसी न्यायालय के निर्णय डिक्री या अवार्ड
   (iii) संविधान या संसद के द्वारा प्रभृत घोषित किया     
      गया खर्च ।
04. भारत की समेकित निधि से किए जाने वाले प्रस्तावित अन्य व्यय को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि।
04. भारत के समेकित निधि पर प्रभारित व्यय को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि 
05.वित्त संहिता प्रथम पैरा 302
05.वित्त संहिता प्रथम पैरा 303

Thursday, 18 June 2020

Difference between Vetting and concurrence


Difference between Vetting and Concurrence.


वेटिंग:-

किसी भी स्टेटमेंट के आंकड़े (figures) की तथ्यात्मक शुद्धता की जांच को "वेटिंग" कहा जाता है।वेटिंग को दूसरे शब्दों में पुनरीक्षण या स्क्रूटिनी भी कहा जाता है। किसी भी प्रस्ताव की सावधानीपूर्वक और महत्वपूर्ण परीक्षण किया जाता है।उदाहरण के लिए वेटिंग ब्रीफिंग नोट्स,प्राक्कलन,खरीद आदेश आदि का किया जाता है।

Concurrence (कंकरेन्स)

कंकरेन्स अर्थात सहमति कार्यकारी अधिकारी द्वारा दिये गए प्रस्ताव जिसमें आँकड़े भी संदर्भित रहता है से वित्त विभाग की सहमति।
     यानी कोई भी प्रस्ताव पर सहमत होना ही कंकरेन्स है।उदाहरण के लिए नए पुलों का निर्माण,मशीनरी के प्रतिस्थापन आदि 

Wednesday, 17 June 2020

Reserve Bank Deposits


Reserve Bank Deposits

  1. इसका मूल नाम डिपॉजिट विद रिजर्व बैंक है,एवं उसका मेजर हेड 8675 है।
  2. यह रेलवे का सेंट्रल फण्ड है,जिसका मुख्यालय नागपुर में है।
  3. यह शीर्ष (Head) केवल इसलिए खोला गया है कि:- (क) ज्ञापन (mema) जो रिज़र्व बैंक से वित्तीय सलाहकार और मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा बैंक को सूचित लेन-देन के लिए प्राप्त किया जाता है या अन्य लेखा अधिकारियों (सिविल, डिफेंस,पोस्ट और टेलीग्राफ) सूचित लेनदेन की मंजूरी में प्राप्त होता है।(ख)चेक एवम बिल (cheques and bills) तथा धन प्रेषणों (remittances) के समाशोधन (clearance) का रिकॉर्ड रखने के लिए।
  4. बैंक से प्राप्त होने वाली प्रत्येक सूचना की शुद्ध राशि उपर्युक्त किसी एक या एक से अधिक शीर्षों (जिनमें की लेन-देन पहले पहल दर्ज़ किये गए हों के विलोमतः क्रेडिट/डेबिट खाते डालकर "रिजर्व बैंक निक्षेप" शीर्ष के डेबिट/क्रेडिट खाते लिखी जाएगी।
  5. इस शीर्ष के तहत शेष को 31 मार्च के अंत में "सरकारी खाते" (Government) में रखकर बंद कर दिया जाता है।

Differences between RBS & RBD



Differences between RBS & RBD 


रिजर्व बैंक सस्पेंस (RBS)
रिजर्व बैंक डिपोजिट (RBD)
1.यह केवल आवक (Inward) लेन-देन के लिए संचालित किया जाता है ।
1.यह आवक और जावक (Inward & Outward) दोनो लेन-देन के लिए संचालित किया जाता है ।
2.यह अन्य लेखाधिकारी (पी & टी, रक्षा,सिविल) आदि के लिए संचालित होता है।
2.यह सभी प्रकार के लेन-देन अर्थात चेक और बिल्स,RIB,दुसरे विभाग के लेन-देन के समायोजन के लिए संचालित होता है।
3.यह एक सस्पेंस प्रकृति के खाते हैं ।
3.यह फाइनल हेड प्रकृति के खाते हैं ।
4.इस हेड के तहत लेन-देन को रिजर्व बैंक डिपोजिट में समायोजित करके सफाया किया जाता है ।
4. इस हेड के संचालन के बाद लेन-देन समाप्त हो जाता है
5. 31 मार्च के बाद इस हेड का बकाया विविध जमा राजस्व (MAR)एवम जमा विविध(Deposit Misc.)जैसा भी लेन-देन को जमा कर समाप्त किया जाता है।
5.इस हेड का बकाया 31 मार्च के बाद “सरकारी खाते” को भेज दिया जाता है।

Monday, 15 June 2020

Reserve Bank Suspense

Reserve Bank Suspense (रिजर्व बैंक उचन्त)

  • लेखा संहिता I पैरा 436।
  • यह एक उचन्त शीर्ष है, जो रेलवे के अलावा अन्य लेखाधिकारी जैसे (पीएनटी, रक्षा )से आवक (inward) लेनदेन को समायोजित करने के लिए संचालित किया जाता है।
  • इस उचन्त शीर्ष में धन प्रेषण (Remittance into Bank) एवं चेक और बिल के लेनदेन के अलावा विभिन्न मदों सत्यापन और स्वीकृति के बाद लेखे के उपयुक्त शीर्ष "रिजर्व बैंक उचन्त" में डेबिट (प्राप्तियों के मामले में) क्रेडिट (भुगतान के मामले में) किया जाता है।
  • अन्य लेखाअधिकारियों द्वारा रिजर्व बैंक को सूचित किए गए लेन-देनों के समाशोधन (clearance) के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से समाशोधन ज्ञापन (clearance memo) मिल जाने पर इस उचन्त शीर्ष  को "रिजर्व बैंक डिपॉजिट" से contra डेबिट/ क्रेडिट करके सफाया (clear) कर दिया जाता।
  • इस उचन्त शीर्ष के तहत बकाया को वित्त वर्ष अर्थात 31 मार्च के अंत में शून्य कर देना चाहिए अगर किसी कारणवश फिर भी शेष बच जाता है तो अगर डेबिट शेष है तो MAR को तथा क्रेडिट शेष है तो डिपॉजिट मिसलेनियस में रखना चाहिए।


जनरल एंट्री इस प्रकार की जाएगी

(i) अन्य लेखाधिकारी से वाउचर और लेखा प्राप्त होने पर-


संबंधित राजस्व शीर्ष/सर्विस हेड आदि.....Dr./Cr.
 
To रिजर्व बैंक सस्पेन्स..................Cr./Dr.

(ii) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (नागपुर) से क्लियरेंस मेमो प्राप्त होने पर -

रिज़र्व बैंक सस्पेन्स ..................Dr./Cr.
To रिज़र्व बैंक डिपॉजिट (रेलवे)..Cr./Dr.

Sunday, 14 June 2020

Friday, 12 June 2020

General Books and Subsidiary Books


General Books and Subsidiary Books.

लेखा संहिता I अध्याय 3


सामान्य खाते और सहायक खाते


सामान्य खाते परिभाषा

रेलवे में लेखा अधिकारियों को अपने लेखा क्षेत्र के सभी लेनदेन को इकट्ठा करने और उसे हिसाब में लाने के प्रयोजन के लिए मासिक एवं वार्षिक लेखों का संकलन करने के लिए कुछ आवश्यक रिकॉर्ड रखते हैं, जिन्हें "रेलवे के सामान्य खाते" कहते हैं।

इसके अंतर्गत निम्नलिखित शामिल है।
1.नकद लेन-देन का दैनिक सार अथवा सामान्य कैश बुक।(F304)
2.नकद लेन-देन का मासिक सार अथवा सामान्य कैश सार बही (F306)
3.जनरल (F307)
4.लेजर (F310)

सामान्य कैश बुक (General Cash Book)

इस अभिलेख का उद्देश्य उन सभी नगद लेनदेन को लेखों में लाना है जिनका संबंध लेखा विभाग की वास्तविक प्राप्ति और भुगतान से है।

(i) इसे फार्म संख्या 304 में खोला जाता है ।
(ii) इसमें की गई प्रविष्टि के समर्थन में लेखा अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित वाउचर (co7/MCR) होना चाहिए।
(iii) उसका हर रोज कैश शेष निकाला जाना चाहिए और उसका मिलान कैशियर के कैशबुक(A-1917) से किया जाना चाहिए।
(iv) अनुभाग के इंचार्ज अधिकारी को इसकी जांच करके इसमें अपने हस्ताक्षर करने चाहिए।

सामान्य कैश बुक के डेबिट साइड में जितने भी कैश की प्राप्ति हुई है उसको दर्शाता है एवम इंट्री निम्नलिखित कागजातों से किया जाता है।

(i)स्टेशन से धन प्रेषण (station remittance) की नकदी जांच पत्रक द्वारा सभी प्राप्तियां।
(ii) बैंकों के चेकों के संबंध में-चेकों के मांग पत्र,प्रत्येक दिन, प्रत्येक बैंक के चेकों की संपूर्ण राशि के लिए एक इन्ट्री की जाएगी।
(iii) विविध नगद प्राप्तिओं के संबंध में -कैश रसीदों के प्रतिपत्रों से विविध नगद प्राप्ति के प्रत्येक मद के लिए अलग-अलग इंट्री की जाएगी।
(iv) भुगतान के लिए पास किए गए बिलों से की गई वसूली के संबंध में -जमा खाते के विभिन्न शीर्षों से।
(v) कैशियर द्वारा प्रेषित बिन भुगतान की गई रकमों के संबंध में अनपेड वेज के लिस्टों से।

क्रेडिट साइड में एंट्री निम्नलिखित कागजातों से की जाती है।
(i) बैंकों को की गई धन-प्रेषणों (Remittance into bank) के संबंध में- बैंक धन प्रेषण रसीदों से और।
(ii) भुगतानों के संबंध में डेबिट हेड के विभिन्न शीर्षों से।

सामान्य कैश सार बही (Monthly Cash Book)

(i) इसमें रिकॉर्ड प्रतिदिन नगद लेन देन के दैनिक सार में से किया जाता है।
(ii) यह दो भागों में रखी जाती है एक भाग प्राप्तियों के लिए और दूसरा भाग संवितरणो (Disbursement) के लिए।
(iii) माह के अंतिम लेन-देन का इंट्री करने के बाद इसका योग कर दिया जाता है।
(iv) बैंकों को धन प्रेषण तथा चेक और बिल के अंतर्गत किए गए जोड़ का मिलान बैंकों से प्राप्त विवरणों से किया जाता है।

जर्नल (Journal)


(i)वास्तविक नगद प्राप्ति और संवितरण के अलावा अन्य लेन देन की इंट्री जर्नल में किया जाता है ।
(ii)इसमें की गई प्रत्येक इंट्री के समर्थन में लेखा अधिकारी के द्वारा हस्ताक्षरित जर्नल स्लिप या वाउचर होना चाहिए ।
(iii)यह पूंजी और राजस्व के लिए अलग-अलग होता है ।
(iv) प्रत्येक माह का रिकॉर्ड भी अलग अलग रखा जाता है
(v) जनरल में किए गए एंट्री की शुद्धता की जांच नगद लेनदेनों की राशियों को जोड़ने के बाद जनरल में प्रत्येक लेखा शीर्ष के अंतर्गत डेबिट खाते और क्रेडिट खाते के जोड़ों से "ट्रायल बैलेंस" बना कर की जानी चाहिए और कोई अंतर पाया जाता है तो उसे ठीक किया जाना चाहिए।

लेजर (Ledger)

यह F-310 में बनाया जाता है इसका उद्देश्य विभिन्न शीर्षों में रेल प्रशासन पर समस्त प्राप्तियों एवं प्रभार तथा प्रत्येक लेखा अवधि में उनके क्रमिक शेष (progressive) का प्रदर्शन करना है इसमें अंकन जनरल से किया जाता है।

सहायक लेखा रिकॉर्ड (Subsidiary Accounts Records).

 सामान्य खातों के अतिरिक्त लेखा विभाग में निम्नलिखित सहायक लेखा रिकॉर्ड भी रखा जाता है।

(i) आमदनी का रजिस्टर
(ii) राजस्व आवंटन रजिस्टर
(iii) निर्माण कार्य रजिस्टर
(iv) उचन्त रजिस्टर ( देय मांग,विविध अग्रिम,एफ लोन और एडवांस,जमा अनपेड रजिस्टर, जमा विविध रजिस्टर आदि)

Thursday, 11 June 2020

iMMS


iMMS

फूल फॉर्म

Integrated Material Management System

  • शुरुआत में MMIS (Material Managment Information Systems) सबसे पहले 1998 में सेंट्रल रेलवे में शुरू किया गया था।
  • वर्तमान में iMMS को क्रिस द्वारा विकसित किया गया है जो एक केंद्रीयकृत प्रणाली है। 
  • इसके कार्यान्वयन से सामग्री की खरीद और आपूर्ति में पारदर्शिता आएगी ।
  • इसका उद्देश्य है रेलवे के सभी विभागों के यूजर डिपो को कंप्यूटरीकृत करना।
  • भारतीय रेलवे में iMMS परियोजना को दिसंबर 2019 से लागू करने की योजना है।

डिपो कंप्यूटरीकृत प्रणाली में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:-

1. संबंधित Consignee एवम अधिकारी द्वारा उनके रोल के आधार पर केंद्रीकृत होस्टिंग किया जा सकता है।
2. इसके द्वारा ऑनलाइन लेनदेन जिसमें डेली ट्रांसजेक्शन रजिस्टर,लेजर का रखरखाव, इशू नोट, गेट पास आदि कार्य किया जाता है।
3. इस सिस्टम के माध्यम से स्टॉक इंडेन और नन-स्टॉक इंडेन जनरेट होगा।
4.डीपो के प्रोटोकॉल को मौजूदा रूप में डिजिटल सिस्टम के माध्यम से रखरखाव होगा।
5.iMMS/IREPS का एकीकरण।
6.डैशबोर्ड में प्रबंधन सूचना प्रणाली।

Wednesday, 10 June 2020

Eligibility criteria for Appendix 3 Examination in hindi

परिशिष्ट 3 परीक्षा के लिए पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न


प्रश्न:-परिशिष्ट3(appendix 3) परीक्षा किसे कहा जाता है?
उत्तर:- वरिष्ठ अनुभाग अधिकारीयों, यातायात लेखा निरीक्षकों एवं स्टोर लेखा निरीक्षकों के पद पर पदोन्नति के लिए जो योग्यता परीक्षा लेखा विभाग द्वारा लिया जाता है उसे अपेंडिक्स 3 IREM परीक्षा का जाता है।

प्रश्न :-परीक्षा में उपस्थित होने के लिए क्या योग्यता है?
उत्तर:- ऐसे कर्मचारी जो परिशिष्ट 2(appendix 2) की परीक्षा उत्तीर्ण की है और रेलवे लेखा कार्यालय में 5 साल की निरंतर सेवा पूरी की है या यदि वह स्नातक है तो रेलवे लेखा कार्यालय में 3 साल की निरंतर सेवा पूरी की है और परिशिष्ट 2 की परीक्षा उत्तीर्ण की है तो इस परीक्षा में उपस्थित होने के लिए योग्य होता है।

प्रश्न:- एक उम्मीदवार को कितने अवसर का लाभ दिए जाने की संभावनाएं है?
उत्तर:- आमतौर पर तीन अवसर एक उम्मीदवार को दिया जाता है। हालांकि 10 अवसर निम्नलिखित अधिकारियों द्वारा दी गई अनुमति के अधीन हो सकते हैं।

1 से 3 :- साधारण
4 से 5 :- PFA
6       :- महाप्रबंधक
7 से 10 :- रेलवे बोर्ड़

प्रश्न:- क्या परीक्षा से अनुपस्थिति को एक अवसर के रूप में गिना जाता है?
उत्तर:- हां, परीक्षा से अनुपस्थिति को इस उद्देश्य के लिए एक मौका/प्रयास के रूप में गिना जाएगा।

प्रश्न:- परीक्षा के लिए उत्तीर्ण अंक क्या है ?
उत्तर:- एडवांस बुक कीपिंग और सामान्य नियम और  प्रक्रियाएं (GRP) में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए 40% और एससी एसटी के उम्मीदवार के लिए 30% अनिवार्य है। वैकल्पिक पेपर में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए 40% और एससी एसटी उम्मीदवार के लिए 30% अनिवार्य है ।

नोट :-वैकल्पिक विषय के दोनों पेपरों में कुल मिलाकर सामान्य वर्ग के लिए 45% एससी एसटी उम्मीदवार के लिए 35% अनिवार्य है।

प्रश्न:- किसी विषय में परीक्षा से छूट का दावा करने के लिए पात्रता मानदंड क्या है ?
उत्तर:- 60%, एक उम्मीदवार जो परीक्षा में असफल हो जाता है लेकिन किसी विषय में 60% या उससे ज्यादा अंक प्राप्त करता है तो आगे की परीक्षाओं में उस विषय में परीक्षा से छूट दी जाती है ।

उदाहरण के लिए
एक वैकल्पिक विषय के दो पेपर होते हैं यदि परीक्षार्थी पेपर I  में 65 अंक और पेपर II में 60 अंक लाया तो अगले परीक्षा में उस पेपर को देने की आवश्यकता नहीं होगी।

यदि वैकल्पिक विषय के पेपर I में 60 अंक और पेपर II में 58 अंक लाया है तो अगले परीक्षा में उसे उस पेपर को पुनः देना होगा यानी छूट का फायदा नहीं मिलेगा।


IPAS/AIMS

IPAS/AIMS


Full Form
IPAS-Integrated Payroll & Accounting System.
AIMS-Accounting Information Management System.

  • IPAS एक ऑनलाइन पोर्टल है जिसे CRIS द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह सभी रेलवे के लिए एक कॉमन एप्लीकेशन है जो सभी रेलवे के लेखांकन कार्य के लिए केंद्रीय कृत मंच प्रदान करता है।
  • प्रबंधन और एकीकरण के कार्यों में इस तरह के केंद्रीयकरण से काफी लाभ है।
  • IPAS पे रोल प्रोसेसिंग और वित्तीय कार्यों को स्वचालित (automatic) करने की एक प्रणाली है।
  • IPAS मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा है।
     (i) पर्सनल मॉड्यूल    (ii) वित्तीय मॉड्यूल
  • पर्सनल मॉड्यूल में शामिल है जैसे पेरोल प्रोसेसिंग,लीव, लोन ,टीए, इनकम टैक्स, क्वार्टर एवं बिजली आदि।
  • वित्तीय मॉड्यूल में शामिल है जैसे आंतरिक जांच, बुक्स, पीएफ, पेंशन, बजट ,सस्पेंस आदि।


लाभ

  1. केंद्रीय पे रोल और लेखा प्रणाली।
  2. वेब आधारित।
  3. तीन स्तरीय स्थापना।
  4. वास्तविक समय में जानकारी।
  5. वेब का केंद्रीय कृत रखरखाव और प्रबंधन में परिवर्तन।
  6. एकरूप प्रक्रियाएं/रिपोर्टस।
  7. बोर्ड द्वारा जारी नियमों/परिपत्रों का त्वरित अनुपालन।
  8. अन्य सभी केंद्रीय कृत एप्लीकेशन/वेब जैसे PRS,FOIS,MMIS,CMS,TMS आदि से लिंक
  9. आपदा रिकवरी का प्रावधान।



Tuesday, 9 June 2020

E-Recon


E-Recon

  • पूर्ण रूप-Electronic Reconciliation
  • यह एक ऑनलाइन स्थानांतरण लेनदेन(Transfer Transaction) वेब आधारित पोर्टल है जिसका शुरुआत 01.04 2011 को रेलवे में हुआ।
  • शुरुआत में यह स्वतंत्र पोर्टल के रूप में कार्य करता था अप्रैल 2019 से इसे IPAS मॉड्यूल पर लाया गया है।

उपयोगिता


  • इस पोर्टल के माध्यम से एक रेलवे के एक लेखा यूनिट से दूसरे लेखा यूनिट या एक रेलवे से दूसरे रेलवे के बीच लेखा का समायोजन एवं मिलान ऑनलाइन किया जाता है।
  • यह पोर्टल ऑनलाइन टीसी (Transfer Certificate) एक लेखा यूनिट से दूसरे लेखा यूनिट भेजना, उसे प्राप्त करना जेवी (जनरल वाउचर) बनाना और अपने लेखा को व्यवस्थित करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • अंतरण लेनदेन की दो कैटेगरी है कैश और समायोजन ।
  • कैश लेनदेन co7 के माध्यम से तैयार किया जाता है जबकि समायोजन लेनदेन जनरल वाउचर के माध्यम से तैयार किया जाता है।
  • जो भी नन कैश के आइटम होता है उसे इस पोर्टल पर टीसी बनाने के लिए सूचनाएं दर्ज करना होता है।
  • इसके लिए संबंधित डॉक्यूमेंट अपलोड किया जाता है टीसी बनाते समय समायोजन से संबंधित कॉलम को भरा जाता है जैसे कि कितने रकम की टीसी है कौन से यूनिट या रेलवे का है टीसी डेबिट है या क्रेडिट ।
  • उसके बाद टीसी जनरेट किया जाता है और स्वीकृति के लिए यूनिट को या दूसरे रेलवे का है तो मुख्यालय बुक्स के माध्यम से रेलवे को भेजा जाता है।
  • यूनिट/रेलवे टीसी को अवलोकन करने के पश्चात स्वीकृति प्रदान कर देता है यदि टीसी उस यूनिट से संबंधित नहीं है या उचित वाउचर संलग्न नहीं है तो टीसी को वापस कर दिया जाता है।
  • उदाहरण के लिए फ्यूल,पीएफ,पीओएच, जीएसटी,कॉस्ट ऑफ मटेरियल आदि का समायोजन इस माध्यम से किया जाता है।
 लाभ
1. इरकॉन के माध्यम से अंतरण लेनदेन तय समय पर संपन्न हो जाता है ।

2. इरकॉन से पहले लेखा का मिलान करने के लिए प्रत्येक तिमाही में कर्मचारियों/अधिकारियों के बीच मीटिंग होता था उसमें काफी समय व्यतीत होता था।

3. वाउचर तय समय पर संबंधित यूनिट को प्राप्त हो जाता है।

4. वाउचर लाने ले जाने लेखा का मिलान करने में कर्मचारियों पर जो टीए/डीए का व्यय होता था उसकी बचत।

Monday, 8 June 2020

CIPS


CIPS 

  • पूर्ण रूप -CIPS-Centralized Integrated Payment System (केंद्रीकृत एकीकृत भुगतान प्रणाली)
  • CIPS एक एकीकृत भुगतान प्रणाली है जिसके माध्यम से IPAS के जरिये ठेकेदार/कर्मचारी के बिल/वेतन आदि का भुगतान किया जाता है।
  • इसे CRIS (Centre for Railway Information Systems) ने विकसित किया है ।पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे COFMOW (Central Organization of Modernization of Works) में लागू किया गया जो सफल रहा पुनः इसे पूरे भारतीय रेलवे में लागू कर दिया गया है।
  • इसके लिए रेलवे का बैंकिंग पार्टनर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है।
  • इसके संयोजक उत्तर रेलवे है।
  • CIPS को IPAS से जोड़ा गया है।
  • इसके लिए प्रत्येक जोनल रेलवे चेक हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों को IPAS पर पंजीकृत कर सकता है , प्रत्येक अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं को एक डिजिटल KEY  मिलेगा जिसे IPAS पर पंजीकृत करना होगा एवं उस चाबी को हस्ताक्षकर्ता  बैंक को एडवांस में शेयर कर सकता है।

CIPS के लाभ

  • चेक का डाटा IPAS से बैंक सर्वर में सीधे भेज दिया जाता है।
  • इससे फ्रॉड को रोका जा सकता है क्योंकि पहले के सिस्टम में चेक का डाटा IPAS से डाउनलोड कर बैंक सर्वर में अपलोड किया जाता था तो डाटा के साथ चालाकी किया जा सकता था किंतु CIPS में डाटा सीधे IPAS के सर्वर से ही बैंक के सर्वर में भेजा जाता है एवं डाटा को मॉडिफाइड नहीं जा सकता है सिर्फ देखा जा सकता है।

Sunday, 7 June 2020

IRPSM


IRPSM 


(i) IRPSM :-Indian Railways Projects Sanctions & Management.
(ii) यह एक वेब आधारित प्रोग्राम है जिसे CRIS (Center for Railway Information Systems) द्वारा विकसित किया गया है।
(iii) इस प्रोग्राम के दो व्यापक क्षेत्र है (i) नई परियोजनाओं की मंजूरी अर्थात वर्क्स प्रोग्राम (ii) ऐसे स्वीकृत परियोजनाओं का प्रबंधन और निगरानी।

IRPSM के उद्देश्य

  • जोनल रेलवे और उत्पादन यूनिटों द्वारा जो भी "नए वर्क्स प्रस्ताव" (New Works Proposal) है उसे ऑनलाइन तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेजने की सुविधा प्रदान करता है।
  • "वर्क्स इन प्रोग्रेस" को संशोधन कर रेलवे बोर्ड भेजने की सुविधा प्रदान करता है।
  • जब कार्य रेलवे बोर्ड में स्वीकृत हो जाता है तो वर्क्स प्रोग्राम, पिंक बुक और अन्य स्वीकृत बुक को प्रिंटिंग की सुविधा प्रदान करता है।
  • इसके अतिरिक्त ऐसे सभी परियोजनाओं के प्रभावी प्रबंधन और निगरानी से जुड़ी सभी गतिविधियों को कार्यकारी अधिकारियों जैसे Sr.DOM,Sr.DEN के लिए मासिक अपडेशन की भी सुविधा प्रदान करता है।

IRPSM मंडल स्तर पर

  1. नए वर्क्स प्रस्तावों का निर्माण साथ ही कार्य का जस्टिफिकेशन (औचित्य) एवं सार लागत।
  2. वेटिंग के लिए वित्त विभाग  (Sr.DFM) को भेजना।
  3. डीआरएम द्वारा प्रस्ताव की मंजूरी (यदि DRM के पावर के तहत है तो)
  4. प्रस्ताव यदि डीआरएम के (शक्ति) पावर से ज्यादा है तो जोनल रेलवे को प्रस्ताव भेजना।
  5. डीआरएम के पावर के तहत स्वीकृत कार्यों को IRPSM  में इन प्रोग्रेस कार्य में जोड़ना।
  6. यूनिक प्रोजेक्ट आईडी असाइन करना।
  7. कार्यकारी एजेंसी द्वारा प्रत्येक कार्य के लिए स्थिति की रिपोर्टिंग करना।
  8. निर्माण कार्यक्रमों रिपोर्ट को जनरेट एवं प्रिंट करना।

IRPSM क्षेत्रीय स्तर पर 

  1. मंडलों से प्राप्त "नए कार्यों" प्रस्तावों का परीक्षण एवं प्रसंस्करण CPDE (Chief Planning & Designs Engineer) द्वारा किया जाएगा पुनः संबंधित जोनल प्लान हेड कोऑर्डिनेटर को अग्रेषित करना।
  2. नए कार्यों प्रस्तावों का निर्माण।
  3. वेटिंग के लिए वित्त (FA&CAO) को अग्रेषित करना।
  4. वेट किए गए प्रस्तावों को प्लान हेड कॉर्डिनेटर द्वारा जांच की जाएगी और फिर PCE (Principal Chief Engineer) के माध्यम से महाप्रबंधक को भेजी जाएगी।
  5. प्रस्ताव की स्वीकृति महाप्रबंधक द्वारा दी जाएगी यदि उनके शक्ति के तहत है तो।
  6. यदि प्रस्ताव महाप्रबंधक के शक्ति के तहत नहीं है तो प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड मंजूरी के लिए भेजी जाएगी।
  7. महाप्रबंधक के शक्तियों के तहत स्वीकृत सभी कार्यों को आईआरपीएसएम में इन प्रोग्रेस वर्क्स सूची में जोड़ना।
  8. एक आईडी असाइन करना।
  9. जोनल रेलवे मुख्यालय एवं मंडलों के लिए फंड की उपलब्धता एवं स्वीकृति की सीमा निर्धारित करना।
  10. संबंधित कार्यकारी एजेंसी द्वारा प्रत्येक कार्य के लिए हर महीने स्थिति की रिपोर्टिंग करना।
  11. वर्क्स। प्रोग्राम को जनरेट एवं प्रिंट करना (यदि आवश्यक है तो)।

IRPSM रेलवे बोर्ड स्तर पर


  1. क्षेत्रीय रेलवे से प्राप्त कार्य प्रस्ताव को EDCE(G) द्वारा संबंधित योजना प्रमुखों के नोडल निदेशालय को अग्रेषित करना।
  2. कार्यों का ऑनलाइन शॉर्टलिस्टेड सिफारिश और अग्रेषित करना  EDCE(G) को।
  3. 5 करोड़ से ज्यादा के कार्य प्रस्ताव को नोडल निदेशालय द्वारा वित्तीय सहमति के लिए EDF(X)-I & II को अग्रेषित करना।
  4. 5 करोड़ से नीचे वाले कार्यों को ऑनलाइन शॉर्टलिस्टिंग, सिफारिश एवं नोडल निदेशालय द्वारा संबंधित प्लान हेड्स  के AM (Additional Members) के मार्फत EDCE(G) को अग्रेषित करना।
  5. सभी चुने गए प्रस्तावों का संकलन (5 करोड़ से नीचे वाले कार्य) AM समिति की बैठक में EDCE(G) द्वारा।
  6. किसी भी समय ऑनलाइन येलो स्लीप अटैच किया जा सकता है एवं फाइल को परामर्श के लिए चलाया जा सकता है । सभी येलो स्लीप संचार को सामान्य रिकॉर्ड के लिए रखा जाएगा ऑफ द रिकॉर्ड प्रस्ताव पर परामर्श के प्रावधान के लिए।
  7. सभी शॉर्टलिस्टेड और अनुशंसित प्रस्तावों को ऑनलाइन सहमति और वित्त की टिप्पणी के साथ प्रत्येक प्लान हेडस के लिए नोडल निदेशालय द्वारा EDCE(G) के माध्यम से बोर्ड एवं माननीय रेल मंत्री के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
  8. यूनिक परियोजना आईडी असाइन किया जाएगा।

यूनिक परियोजना आईडी 14 डिजिट का होता है।

1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
जोनल रेलवे

मंडल

प्लान हेड्स

स्वीकृति वर्ष

स्वीकृति अधिकारी जैसे DRM, GM
कार्यकारी एजेंसी जैसे Sr. DEN आदि
क्रमांक संख्या


IRPSM के लाभ

  • सभी फाइल ऑनलाइन होने से पेपरलेस कार्य।
  • एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में फाइल जाने में समय की बचत, प्रस्ताव कुछ ही समय में ही बोर्ड कार्यालय पहुंच जाता है।
  • सभी जस्टिफिकेशन, प्लान, ड्रॉइंग, स्वीकृति प्रस्ताव के साथ अटैच।
  • सभी work-in-progress कार्य का ऑनलाइन मॉनिटरिंग।

Saturday, 6 June 2020

IR-WCMS

IR-WCMS (Indian Railways Works Contract Management System) भारतीय रेलवे अनुबंध प्रबंधन प्रणाली


  • यह वेब आधारित प्रोग्राम है जिसे CRIS द्वारा विकसित किया गया है जिसे IRCEP (Indian Railways Civil Engineering Portal) पर होस्ट किया गया है।
  • पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे भारतीय रेलवे के 17 मंडलों में शुरू किया गया था वर्तमान में इंजीनियरिंग विभाग के सभी कार्यों के लिए जो 01.05.2020 से शुरू होगा भारतीय रेलवे के सभी मंडलों पर लागू किया गया है।
  • ठेकेदारों को भुगतान करने के लिए IPAS के साथ एवं डेटा को लाने के लिए IREPS (Indian Railways Electronic Procurement System) के साथ IR-WCMS जुड़ा हुआ है।


कवर 

अनुबंध से जुड़ी सभी गतिविधियों जो परस्पर शामिल है निम्नलिखित है।
(i) परफॉर्मेंस गारंटी प्रस्तुत करना।
(ii) कांट्रैक्ट एग्रीमेंट को तैयार करना एवं हस्ताक्षर करना।
(iii) भुगतान के लिए आई पास के साथ बिलिंग और उसका एकीकरण।
(iv) नन-स्टॉक आइटम को तैयार करना एवं स्वीकृति देना।
(v) वेरिएशन स्टेटमेंट की तैयारी एवं मंजूरी।
(vi) DOC (Date of Completion) का विस्तार
(vii) PG/SD रिलीज करना
(viii) रेलवे और ठेकेदारों के बीच पत्राचार


           यह ई मॉड्यूल जोनल कॉन्ट्रैक्ट (क्षेत्रीय ठेकों) के लिए भी विकसित किया गया है।

IR-WCMS निम्नलिखित के लिए लागू नहीं है।

1.ठेकेदार के माप (contractor's measurements) के प्रावधान वाले अनुबंध।
2. कंपोजिट अनुबंध जिसमें इलेक्ट्रिक एवं एस & टी कार्य शामिल है।
3. ऐसे अनुबंध जिसमें ठेकेदारों को अग्रिम जारी करने का प्रावधान हो।

हालांकि उपरोक्त दिए गए मॉड्यूल भी डेवलप के तहत है और जल्द ही लॉन्च किए जाएंगे।

● IR-WCMS सिर्फ नए कार्य पर लागू है जो कार्य पहले से चल रहा है उसे मैनुअल रूप से ही चलाया जाएगा।


छूट :- डीआरएम के व्यक्तिगत अनुमोदन होने पर कारणों को दर्शाते हुए IR-WCMS से छूट दी जा सकती है।

● किसी भी परिस्थिति में कार्य अनुबंध IR-WCMS और मैन्युल दोनों पर हैंडल नहीं किया जा सकता है।

●निविदा समिति की कार्यवाही और LOA केवल IREPS के माध्यम से किया जाएगा बाद में इसे IR-WCMS पर इम्पोर्ट किया जा सकता है।


IRSDC

IRSDC 

पूर्ण रूप:-भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (Indian Railways Station Development Corporation Ltd.)

  • एक SPV (Special  Purpose Vehicle),RLDA (Rail land Development Authority)रेल भूमि विकास प्राधिकरण और IRCON (Indian Railway Construction Company) का एक सयुंक्त उद्यम(Joint Venture) है।
  • यह कंपनी एक्ट 1956 के तहत 12 अप्रैल 2012 को स्थापित किया गया था।
  • IRSDC में RLDA और IRCON की इक्विटी हिस्सेदारी 50:50 के अनुपात में है।
  • वर्तमान में IRSDC की अधिकृत शेयर पूंजी 250 करोड़ रुपये है और भुगतान की गई शेयर पूंजी 51.60 करोड़ है।

कंपनी के मुख्य उद्देश्य 


  • वर्तमान/नए रेलवे स्टेशन को विकसित करना जिसमें स्टेशन निर्माण प्लेटफॉर्म की सतहों को बनाना, आदि के पुनःविकास  सहित नए निर्माण/नवीनीकरण द्वारा यात्री सुविधाओं के स्तर को अंतरराष्ट्रीय स्तर की तरह विकसित करना शामिल है।
  • रेलवे सरकारी भूमि पर अचल संपत्ति के विकास के लिए परियोजनाएं शुरू करना और इसे वाणिज्यिक उपयोग में लाना यह स्टेशन के विकास में उपयोगी हो सकता है।
  • रेलवे संरचना के सभी कार्य जो रेलवे स्टेशन के विकास से जुड़े हैं उसे आगे बढ़ाना जिसमें BOT (Build-operate Transfer), BOOT (Build-Own-Operate Transfer), BLT (Build-lease Transfer) इत्यादि शामिल है।

Friday, 5 June 2020

Differences between PAC and RCC


Differences between PAC and RCC  


लोक लेखा समिति (PAC)
रेलवे अभिसमय समिति (RCC)
1.लोक लेखा समिति एक स्थाई संसदीय समिति है ।
1. यह एक अस्थायी संसदीय समिति है जो समय-समय पर लोकसभा द्वारा गठित कि जाती है।
2.लोक लेखा समिति में 22 सद्स्य होते हैं। (15 लोकसभा तथा 07 राज्यसभा)
2. रेलवे अभिसमय समिति में 18 सद्स्य होते हैं (12 लोकसभा तथा 6 राज्यसभा )
3. यह समिति केंद्र सरकार के सभी विभागों या मंत्रालयों के वित्त लेखों/ विनियोग लेखों की जाँच करती है ।
3.यह समिति सिर्फ रेलवे मंत्रालयों या भारतीय रेलों के भीतर वित्तीय मामलों में आवश्यक सुधार का सुझाव देती है ।
4. इस समिति के कार्य का दायरा बहुत व्यापक है ।
4. इस समिति के कार्य का दायरा रेलवे तक सीमित है।
5. यह समिति निम्न पर सिफारिश देती है ।
  (i) वित्त लेखा/विनियोग लेखों पर CAG कि वार्षिक रिपोर्ट की समी़क्षा कर इस पर सिफारिश देती है ।
(ii) भारत सरकार के वार्षिक लेखों की जाँच एवं समी़क्षा कर इस पर सिफारिश देती है ।
5. यह समिति निम्न पर सिफारिश देती है ।
(i) भारतीय रेलवे द्वारा भारत सरकार को दिये जाने वाले लाभांश की दर के संबंध में सिफारिश देना ।
(ii) सामान्य राज़स्व से DRF,DF, etc. में विनियोग के संबंध में सिफारिश देना।
(iii) रेलवे वित्तीय प्रशासन में लचीलापन तथा रेलवे लेखा एवम्‌ प्रबंधन में सुधार संबंधि सिफारिशें करती है।
6. लोक लेखा समिति की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा क्रियान्वित की जाती है जो स्थाई  प्रकृति की होती है ।
6. रेलवे अभिसमय समिति की सिफारिशें सामान्यत: 5 वर्षों के लिए लागू की जाती है।