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Tuesday 23 June 2020

Store Suspense

Store Suspense (स्टोर सस्पेंस)


परिभाषा:-

भारतीय रेलवे एक बड़ा परिवहन संगठन है इसे अपने नियमित रखरखाव और विभिन्न सेवाओं के रखरखाव के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीद या निर्माण और स्टॉक की आवश्यकता होती है। अतः जो भी स्टोर खरीदा जाता है वह कैपिटल इंटेंसिव है इसे रेलवे के विभिन्न डिपों में स्टॉक किए जाते हैं।

             चूँकि डिपो में सामग्री की प्राप्ति शुरू में स्टॉकिंग के लिए किया जाता है बाद में इसे उपभोग करने वाले विभागों को दिया जाता है। अतः जब तक उपभोग करने वाले विभागों को सामग्री नहीं दिया जाता है, तब तक इसे अंतिम शीर्ष में रखा नहीं जा सकता है। इसलिए सामग्री को अस्थाई रूप से सस्पेंस खाते में रखा जाता है और इसके क्लीयरेंस पर ध्यान रखा जाता है। स्टोर सस्पेंस कैपिटल सस्पेंस है जो प्लान हेड 71 के अंतर्गत संचालित होता है।

स्टोर सस्पेन्स के प्रकार:-

1. क्रय सस्पेन्स (Purchase Suspense)
2. विक्रय सस्पेन्स (Sales Suspense)
3. स्टोर-इन-ट्रांजिट
4. स्टोर-इन-स्टॉक
5.स्टॉक समायोजन लेखा (Stock Adjustment Accounts)

1.क्रय सस्पेंस --

जब आपूर्तिकर्ता द्वारा सामग्री डिपो को आपूर्ति की जाती है तो उसे एक प्राप्ति नोट की प्रतिलिपि प्राप्त होती है जो भुगतान का दावा करने के लिए आवश्यक है । जो भी सामग्री डिपो में प्राप्त की जाती है उसका भुगतान लेखा कार्यालय द्वारा किया जाता है। अतः लेनदेन जहां सामग्री प्राप्त की जाती है लेकिन उसका भुगतान क्रय सस्पेंस के माध्यम से किया जाता है। जितने भी मूल्य के सामग्री डिपो में प्राप्त हुआ उस राशि से परचेज सस्पेंस को डेबिट कर दिया जाता है और जब प्राप्ति रसीद की कॉपी लेखा विभाग में प्राप्त होती है तो परचेस सस्पेंस को क्रेडिट कर दिया जाता है।इस उचन्त शीर्ष का मुख्य उद्देश्य है आपूर्तिकर्ताओं को सही और शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करना।

(1) परचेज सस्पेंस में क्रेडिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि सामग्री प्राप्त हो चुकी है, जबकि भुगतान किया जाना बाकी है।
(2) परचेज सस्पेंस में डेबिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि अग्रिम भुगतान कर दिया गया है किंतु सामग्री अभी प्राप्त नहीं हुई है।

          सामान्यतः परचेज सस्पेंस में क्रेडिट बैलेंस रहता है अपवाद स्वरूप प्रतिष्ठित फार्म को अग्रिम भुगतान के मामले में डेबिट बैलेंस होगा।

जनरल एंट्री इस प्रकार होगी:-

1.जब प्राप्ति रसीद प्राप्त होती है-

स्टोर-इन-ट्रांजिट...................... Dr.
To परचेज सस्पेन्स..................Cr.

2. जब बिल का भुगतान कर दिया जाता है-

परचेज सस्पेन्स...................Dr.
To चेक & बिल्स................Cr.

अब iMMS (Integrated Material Management Information System) के तहत

-खरीद उचन्त के रखरखाव में तीन महत्वपूर्ण गतिविधियां शामिल है।

* क्रेडिट की पोस्टिंग, डेबिट की पोस्टिंग, सस्पेंस का सफाया और आर्थिक समीक्षा मासिक,त्रैमासिक, अर्धवार्षिक ।
* परचेज सस्पेंस के रखरखाव में लेन-देन को ओरेकल डाटा बेस के साथ आई एम एम एस मॉड्यूल के तहत लाया गया है।
* प्राप्ति नोट डेटाबेस से सीधे जुड़े हुए हैं अतः प्राप्ति नोट अपने आप तैयार होता है।
* वर्ष के अंत में सस्पेंस बैलेंस को खत्म करने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।

क्रेडिट की पोस्टिंग

* क्रेडिट की पोस्टिंग जो प्राप्ति नोट से संबंधित है जो प्रत्येक डिपों से प्राप्त होता है इसमें नंबर, तारीख, पीओ नंबर , फार्म का नाम, प्रेषण विवरण,दर,मात्रा और मूल्य की पोस्टिंग किया जाता है यह सब ऑनलाइन किया जाता है।
* आई एम एम एस मॉडल के तहत कंप्यूटरीकरण को ध्यान में रखते हुए एक बार आर नोट, माह,डिपो कंप्यूटर में फीड हो जाने के बाद प्रोग्राम स्वतः ही विवरण को डेबिट के साथ जोड़ देता है।
* सभी बकाया मदें प्रबंधकीय समीक्षा के अंतर्गत है अग्रिम भुगतान के मामले में एक बार आर नोट विवरण डिपो को जोड़ने वाले कंप्यूटर में फीड हो जाता है तो भुगतान का विवरण स्वचालित रूप से लिंक हो जाता है।
*डिपो वार आवंटन रिपोर्ट मासिक आधार पर तैयार की जाती है।
* प्रत्येक डिपो के क्रेडिट का सारांश प्रत्येक डिपो मैनेजर के लिए उपलब्ध रहता है ताकि अंत में कोई शेष नहीं बचे इसकी समीक्षा की जा सके।

डेबिट की पोस्टिंग

* खरीद सस्पेंस डेबिट का विवरण स्वचालित रूप से मासिक आधार पर बिल ,RBC,MAR अनुभागों को स्थानांतरित हो जाता है।
* E-recon में प्राप्त टीसी को AFA/SSO बुक्स सेक्शन के प्राधिकरण के साथ बुक सेक्शन द्वारा दर्ज किया जाता है जिसे डेबिट के रूप में पोस्ट किया जाता है जिससे प्रोग्राम क्रेडिट को लिंक कर सके।

 *स्टॉक/गैर स्टॉक मदों के इकाई वार निपटाया जाता है मदों को जोड़ने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।




2.विक्रय सस्पेन्स (Sales Suspense) 

यह उचन्त शीर्ष प्रचालन में परचेज सस्पेंस के विपरीत है जैसे कि जितने मूल्य के सामग्री प्राप्त होती है उससे परचेज सस्पेन्स को क्रेडिट किया जाता है जबकि जितने मूल्य के स्क्रैप बेचे हैं उससे सेल्स सस्पेंस को क्रेडिट किया जाता है। अन्य पक्षों को बेचे गए सामान की कीमत की वसूली पर निगरानी रखना इस उचन्त शीर्ष के प्रचालन का मुख्य उद्देश्य है।

इसकी जनरल एंट्री इस प्रकार होगी-

1.जब EMD और बैलेंस सेल वैल्यू खरीददार द्वारा भुगतान किया जाता है तो-

Remittance into Bank(RIB)............Dr.

To Sales Suspense.............................Cr.

2.जब बेचा हुआ स्क्रैप पहुँच जाता है और सेल इश्यू नोट तैयार हो जाता है-

Sales Suspense.....................Dr.
To Store-in-Stock.................Cr.

सेल्स सस्पेंस में हमेशा क्रेडिट बैलेंस होना चाहिए।डेबिट बैलेंस स्टोर-इन-स्टॉक में भुगतान किए बिना प्राप्त सामग्री का प्रतिनिधित्व करता है या नीलामी में बेचे गए मात्रा से अधिक सामग्री का प्रतिनिधित्व करता है।

3.स्टोर-इन-ट्रांजिट-

स्टोर-इन-ट्रांजिट दो प्रकार के हैं-
1.स्टोर-इन-ट्रांजिट -परचेज
2.स्टोर-इन-ट्रांजिट -डिपो ट्रांसफर
स्टोर-इन-ट्रांजिट में हमेशा डेबिट बैलेंस होगा।

स्टोर-इन-ट्रांजिट-परचेज

इस शीर्ष का प्रचालन उस समय होता है जब खरीदे गए सामान की प्राप्ति और निरीक्षण केंद्रीय स्थान पर होता है और बाद में भंडार के लिए अन्य डिपुओं में भेजा जाता है। भंडार डिपो में जब तक सामग्री प्राप्त नहीं हो जाता है तो सामग्री की कीमत से परचेज शीर्ष को क्रेडिट और स्टोर-इन-ट्रांजिट परचेज को डेबिट की जाती है। स्टॉकिंग डिपो द्वारा सामग्री प्राप्त करने और उसका लेखा करने के बाद यह डेबिट क्लियर हो जाएगा।

स्टोर-इन-ट्रांजिट परचेज का जनरल एंट्री-

1.जब प्राप्ति नोट केंद्रीयकृत प्राप्ति और निरीक्षण अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है तो-

Store-in-transit Purchase.............Dr.
To Purchase Suspense...................Cr.

2. स्टॉकिंग डिपो द्वारा सामग्री का लेखा करने के बाद

Store-in-stock.................... Dr.
To Store-in-transit Purchase...Cr.

स्टोर-इन-ट्रांजिट -डिपो ट्रांसफर-

जब स्टोर महीने के दौरान किसी डिपो द्वारा दूसरे डिपो के लिए जारी किया जाता है और उसी महीना वह सामग्री लेखा में प्रदर्शित नहीं होता है। इस स्थिति में जितने वैल्यू के स्टोर है वह स्टोर-इन- ट्रांजिट डिपो ट्रांसफर शीर्ष में डेबिट प्रदर्शित होगा। यह डेबिट तब क्लियर हो जाएगा जब प्राप्ति डिपो मटेरियल की प्राप्ति का लेखा कर लेंगे।

इसका लेखाकरण इस प्रकार किया जाएगा
1.जब सामग्री जारी करने वाले डिपो द्वारा इश्यू नोट महीने के दौरान जारी किया गया किंतु रिसीविंग डिपो उसका लेखाकरण उसी महीने नहीं किया तो-

Store-in-transit Depot transfer.......Dr.
To Store-in-stock of issuing depot...(-)Dr.

2.जब सामग्री प्राप्त हो जाएगा और लेखाकरण कर लिया जाएगा रिसीविंग डिपो द्वारा तो-

Store-in-stock of receiving Depot....Dr.
To Store-in-transit Depot transfer....Cr.

4.स्टोर-इन-स्टॉक

यह बहुत ही महत्वपूर्ण उचन्त शीर्ष है। यह सस्पेंस खाता डिपो वार रखा जाता है और यह डिपो में प्राप्त सामग्री का निरीक्षण और लेखा करता है। सामग्री की प्राप्ति पर और लेखा करने के बाद एक रसीद नोट तैयार किया जाता है जो इस खाते के डेबिट पक्ष को पोस्ट करने का आधार है। इसका लेनदेन इस प्रकार होगा-

1. स्टोर-इन-स्टॉक AC......... Dr.
To परचेज सस्पेंस AC..........Cr.

2. जब डिपो द्वारा उपभोग करने वाले विभाग को सामग्री जारी कर दिया जाता है और इश्यू नोट तैयार किया जाता है तो-

राजस्व मांग/संबंधित कार्य...............Dr.
To स्टोर-इन-स्टॉक AC..................Cr.

यह उचन्त शीर्ष हमेशा डेबिट बैलेंस प्रदर्शित करेगा इस हेड के तहत आउटस्टैंडिंग डेबिट बैलेंस इन्वेंटरी ऑन हैंड बताता है।

5.स्टॉक समायोजन लेखा(Stock adjustment Account)


इस सस्पेंस हेड का प्रचालन स्टोर में विभिन्न अंतरों के लिए किया जाता है इसके तीन भाग है-

1.स्टॉक में अंतर-

(i) आवधिक लेखा स्टॉक सत्यापन के दौरान।
(ii) विभागीय स्टॉक सत्यापन के दौरान।

2.स्टॉक के कीमत में अंतर-

(i)बाजार से खरीदे गए उत्पादों की कीमत में परिवर्तन।
(ii) वर्कशॉप में निर्मित उत्पादों की कीमत में परिवर्तन।

3.विविध

(i) स्क्रैप बिक्री के समय बुक वैल्यू और वास्तविक मूल्य में अंतर।
(ii) हानि,चोरी,अप्रचलन आदि के कारण अंतर।
(iii) सेकंड हैंड/स्क्रैप के कारण नई सामग्री का वर्गीकरण।
(iv) राउंडिंग ऑफ के कारण।
(v) डिपो स्टॉक शीट, बुक ट्रांसफर के द्वारा विविध मदों का समायोजन।

        इस खाते में डेबिट और क्रेडिट अलग-अलग पोस्ट किया जाता है। इस हेड के तहत सभी मदों को 6 महीने के भीतर क्लियर कर देना चाहिए। छोटे मूल्य के सभी मदें जो उपयोग पूर्ण नहीं है अंतिम शीर्ष को डेबिट कर क्लियर कर देना चाहिए। बचे हुए मदों को प्रत्येक तिमाही में महाप्रबंधक को रिपोर्ट करना चाहिए महाप्रबंधक के आदेशानुसार मदों को डेबिट या क्रेडिट करना चाहिए।


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