Tuesday, 7 December 2021

Miscellaneous E-receipt system (MERS)

Miscellaneous E-receipt System (MERS)


परिभाषा- विविध ई-रसीद प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से जोनल रेलवे अपने ग्राहकों से विविध प्राप्तियां डिजिटल माध्यम से प्राप्त कर सकता है।

* क्रिस ने इस पोर्टल को विकसित किया है।

लॉग इन मॉड्यूल

इसमें दो प्रकार के लॉगिन मॉड्यूल है-

(1) रेलवे प्राधिकरण (Railway authority)
(2) रेलवे ग्राहक (Railway customers)

- रेलवे प्राधिकरण- रेलवे प्राधिकरण वो उपयोगकर्ता है जो इस पोर्टल के माध्यम से ई रसीद प्रविष्टि और अनुमोदन के कार्य करेंगे।
- रेलवे प्राधिकारियों के रजिस्ट्रेशन के दो लेवल है (i) सुपरवाइजर लेवल (ii) मंडल/लेखा इकाई में उपयोगकर्ता विभाग के अधिकारी स्तर पर।
-ये उपयोगकर्ता पोर्टल के माध्यम से रजिस्टर्ड नहीं होता है बल्कि ये क्रिस के MERS टीम को जो क्षेत्रीय रेलवे द्वारा पंजीकरण का जो मांग प्राप्त होता है उस आधार पर किया जाता है।

-रेलवे कस्टमर- इनका पोर्टल के माध्यम से भुगतान करने का अनुमोदन रेलवे के अधिकारी द्वारा किया जाता है।

* भारतीय रेलवे और उसका उपयोगकर्ता विभाग के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक के साथ कॉर्डिनेशन के साथ इसका उपयोग किया जाता है।

* पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन और ऑफ़लाइन पेमेंट किया जा सकता है।ऑनलाइन पेमेंट इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से सीधे किया जा सकता है ऑफलाइन भुगतान के लिए पोर्टल के माध्यम से ही चालान जनरेट कर एसबीआई के शाखा में जमा किया जा सकता है।

* सेंट्रल रेलवे को नोडल रेलवे बनाया गया है।

- एम ई आर एस के जरिए निम्नलिखित के लिए भुगतान प्राप्त किए जा सकते हैं।
1. प्रीपेड मीटर प्रभार
2. भूमि लाइसेंस फीस
3. वे लीव चार्ज
4. विज्ञापन के लिए लाइसेंस फीस
5. सिक्योरिटी डिपॉजिट
6. पार्सल प्राप्तियां
7. टेंडर संबंधित लेनदेन ( टेंडर पेपर कॉस्ट और बयाने की रकम)
8. विदेश सेवा अंशदान प्रभार

* संपूर्ण जोनल रेलवे से एमईआरएस के तहत विभिन्न प्राप्तियां पहली बार में पीएफए के खाते में जमा होता है। बाद में इसे हेड क्वार्टर के बुक्स अनुभाग द्वारा मंडलों को टीसी के माध्यम से क्रेडिट हस्तांतरित कर दिया जाता है।

Saturday, 27 November 2021

Purchase Suspense

PURCHASE SUSPENSE 

  • जब आपूर्तिकर्ता द्वारा सामग्री डिपो को आपूर्ति की जाती है तो उसे एक  प्राप्ति नोट की प्रतिलिपि प्राप्त होती है जो भुगतान का दावा करने के लिए आवश्यक है ।
 
  • जो भी सामग्री डिपो में प्राप्त की जाती है उसका भुगतान लेखा कार्यालय द्वारा किया जाता है। अतः लेनदेन जहां सामग्री प्राप्त की जाती है लेकिन उसका भुगतान क्रय सस्पेंस के माध्यम से किया जाता है।

  •  जितने भी मूल्य के सामग्री डिपो में प्राप्त हुआ उस राशि से परचेज सस्पेंस को डेबिट कर दिया जाता है और जब प्राप्ति रसीद की कॉपी लेखा विभाग में प्राप्त होती है तो परचेज सस्पेंस को क्रेडिट कर दिया जाता है।

  • इस उचन्त शीर्ष का मुख्य उद्देश्य है आपूर्तिकर्ताओं को सही और शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करना।

(1) परचेज सस्पेंस में क्रेडिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि सामग्री प्राप्त हो चुकी है, जबकि भुगतान किया जाना बाकी है।
(2) परचेज सस्पेंस में डेबिट आउटस्टैंडिंग का अर्थ हुआ कि अग्रिम भुगतान कर दिया गया है किंतु सामग्री अभी प्राप्त नहीं हुई है।

सामान्यतः परचेज सस्पेंस में क्रेडिट बैलेंस रहता है अपवाद स्वरूप प्रतिष्ठित फार्म को अग्रिम भुगतान के मामले में डेबिट बैलेंस होगा।

जनरल एंट्री इस प्रकार होगी:-

1.जब प्राप्ति रसीद प्राप्त होती है-

स्टोर-इन-ट्रांजिट...................... Dr.
To परचेज सस्पेन्स..................Cr.

2. जब बिल का भुगतान कर दिया जाता है-

परचेज सस्पेन्स...................Dr.
To चेक & बिल्स................Cr.

अब iMMS (Integrated Material Management Information System) के तहत

-खरीद उचन्त के रखरखाव में तीन महत्वपूर्ण गतिविधियां शामिल है।

* क्रेडिट की पोस्टिंग, डेबिट की पोस्टिंग, सस्पेंस का सफाया और आर्थिक समीक्षा मासिक,त्रैमासिक, अर्धवार्षिक ।
* परचेज सस्पेंस के रखरखाव में लेन-देन को ओरेकल डाटा बेस के साथ आई एम एम एस मॉड्यूल के तहत लाया गया है।
* प्राप्ति नोट डेटाबेस से सीधे जुड़े हुए हैं अतः प्राप्ति नोट अपने आप तैयार होता है।
* वर्ष के अंत में सस्पेंस बैलेंस को खत्म करने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।

क्रेडिट की पोस्टिंग

* क्रेडिट की पोस्टिंग जो प्राप्ति नोट से संबंधित है जो प्रत्येक डिपों से प्राप्त होता है इसमें नंबर, तारीख, पीओ नंबर , फार्म का नाम, प्रेषण विवरण,दर,मात्रा और मूल्य की पोस्टिंग किया जाता है यह सब ऑनलाइन किया जाता है।
* आई एम एम एस मॉडल के तहत कंप्यूटरीकरण को ध्यान में रखते हुए एक बार आर नोट, माह,डिपो कंप्यूटर में फीड हो जाने के बाद प्रोग्राम स्वतः ही विवरण को डेबिट के साथ जोड़ देता है।
* सभी बकाया मदें प्रबंधकीय समीक्षा के अंतर्गत है अग्रिम भुगतान के मामले में एक बार आर नोट विवरण डिपो को जोड़ने वाले कंप्यूटर में फीड हो जाता है तो भुगतान का विवरण स्वचालित रूप से लिंक हो जाता है।
*डिपो वार आवंटन रिपोर्ट मासिक आधार पर तैयार की जाती है।
* प्रत्येक डिपो के क्रेडिट का सारांश प्रत्येक डिपो मैनेजर के लिए उपलब्ध रहता है ताकि अंत में कोई शेष नहीं बचे इसकी समीक्षा की जा सके।

डेबिट की पोस्टिंग

* खरीद सस्पेंस डेबिट का विवरण स्वचालित रूप से मासिक आधार पर बिल ,RBC,MAR अनुभागों को स्थानांतरित हो जाता है।
* E-recon में प्राप्त टीसी को AFA/SSO बुक्स सेक्शन के प्राधिकरण के साथ बुक सेक्शन द्वारा दर्ज किया जाता है जिसे डेबिट के रूप में पोस्ट किया जाता है जिससे प्रोग्राम क्रेडिट को लिंक कर सके।

 *स्टॉक/गैर स्टॉक मदों के इकाई वार निपटाया जाता है मदों को जोड़ने के लिए रिपोर्ट तैयार की जाती है।



Tuesday, 24 August 2021

Letter of Credit

 

Letter of Credit 

  1. भारतीय रेल ने 01.04.2018 से सप्लायरों/ठेकेदारों के भुगतान के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है जिसे लेटर ऑफ क्रेडिट कहते हैं।
  2. यह सप्लाई/कार्य के सभी अनुबंधों के भुगतान के लिए लागू  है।
  3. सप्लाई/कार्य के अनुबंध के भुगतान में पारदर्शिता एवं व्यापार करने में आसानी हो इसके लिए भारतीय रेल द्वारा लेटर ऑफ क्रेडिट को अपनाया गया है।
  4. लेटर ऑफ क्रेडिट 10 लाख मूल्य से ऊपर के सभी टेंडर पर लागू है।
  5. टेंडर की शर्तों में ही लेटर ऑफ क्रेडिट के माध्यम से भुगतान की शर्त दिया जाएगा, जो ठेकेदार को विकल्प के तौर पर उपलब्ध होगा।
  6. लेटर ऑफ क्रेडिट के संचालन एवं जारी करने में आकस्मिक व्यय ठेकेदार द्वारा वहन किया जाएगा।
  7. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लेटर ऑफ क्रेडिट के मूल्य एवं एल सी के नियम और शर्तों के आकलन के लिए अधिकृत किया गया है।
  8. जब ठेकेदार द्वारा बिल सबमिट किया जाएगा तो बिल को निर्धारित नियम के अनुसार जांच कर उस बिल के विरुद्ध डी ए (Document of Authorisation) जारी किया जाएगा।
  9. लेखा अधिकारी DA जारी करने के लिए उत्तरदायित्व हैं,वो ये भी सुनिश्चित करेंगे कि जो बिल ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत किया गया है वो डुप्लीकेट नहीं है एवं बिल IPAS (Integrated Pay Roll & Accounting System) एवं IREPS (Indian Railway E-Procurement System) के माध्यम से प्रस्तुत हुआ है।
  10. लेटर ऑफ क्रेडिट के लिए विक्रेता 0.15% व्यय वहन करेगा।

लेटर ऑफ क्रेडिट इस तरह कार्य करेगा।

  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया विक्रेता को LC जारी करेगा।
  • रेलवे कार्य/सप्लाई की समाप्ति पर DA ठेकेदार को जारी करेगा।
  • विक्रेता/ठेकेदार DA को अपने बैंकर के सामने भुगतान के लिए उपस्थित करेगा ।
  • बैंकर विक्रेता/ठेकेदार को भुगतान जारी करने के बाद DA को रेलवे के बैंकर SBI को भेजेगा।
  • रेलवे के बैंकर(SBI) हस्ताक्षर को सत्यापन करने के बाद, आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी किए गए मूल DA और आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी विनिमय बिल के विरुद्ध आपूर्तिकर्ता/ठेकेदार बैंक को प्रतिपूर्ति करेगा।

Wednesday, 18 August 2021

General Terms of Financial

 

General Terms of Financial


1. Gross earning (सकल आमदनी)

एक लेखा अवधि के दौरान हुए कुल कमाई को सकल आय (Gross earning) कहते हैं चाहे वह कमाई प्राप्त हुआ हो या नहीं।

               इस आय में कोचिंग आय,गुड्स आय और विविध आय शामिल हैं।कोचिंग आय को 'X' से सूचित किया जाता है, गुड्स आय को 'Y' से एवं विविध आय को 'Z' से सूचित किया जाता है।

2.Gross Receipts (सकल प्राप्तियां)

आमदनी जो वास्तव में एक लेखा अवधि के दौरान प्राप्त किया गया हो उसे सकल प्राप्तियां के रूप में जानी जाती है। इस प्राप्ति में भी कोचिंग आय, गुड्स आय और विविध आय शामिल है।

3.Net earning (शुद्ध आमदनी)

सकल आमदनी (Gross earning) एवं कार्य व्यय (working expenses) के बीच के अंतर को शुद्ध आमदनी कहते हैं। 
         इसमें सस्पेंस को जोड़ा नहीं जाता है, लेकिन कार्य व्यय (working expenses) में डीआरएफ एवं पेंशन फंड में हुए विनियोजन को जोड़ा जाता है।

4.Working Expenses (कार्य व्यय)

एक वित्तीय वर्ष में रेलवे के राजस्व में से रेलवे के कार्य के लिए किए गए कुल खर्च को कार्य व्यय कहते हैं । जोनल रेलवे द्वारा सामान्य कार्य के खर्चो (ordinary working expenses) में प्रशासन, संचालन और रखरखाव पर किए गए राजस्व व्यय शामिल रहता है। इसमें डिमांड नंबर 3 से 13 तक के सभी खर्चे शामिल रहते हैं । 
      कुल कार्य व्यय (total working expenses) में सामान्य कार्य व्यय (ordinary working expenses) के साथ डीआरएफ एवं पेंशन निधि में भी विनियोजित व्यय भी शामिल होता है।अर्थात मांग संख्या 3 से 14 तक शामिल होगा।

5.Capital outlay (पूंजीगत परिव्यय)

ठोस संपत्तियों को बढ़ाने के उद्देश्य से एक अवधि के दौरान किए गए पूंजीगत प्रकृति का व्यय जैसे संयंत्र और उपकरण, नई लाइनों का निर्माण, आवासीय भवन, कार्यशालाएं, शेड, बिजलीघर  को कैपिटल आउट ले कहते हैं ।

        दूसरे शब्दों में चालू वर्ष के दौरान सामान्य राजस्व से पूंजी खाते के तहत लिया गया अतिरिक्त भार पूंजीगत परिव्यय के रूप में जाना जाता है। वित्तीय वर्ष के अंत में यह राशि कैपिटल एट चार्ज में जोड़ दी जाती है।



Sunday, 8 August 2021

Miscellaneous Advance Revenue

 

MISCELLANEOUS ADVANCE REVENUE.

  1. विविध अग्रिम राजस्व (MAR) एक सस्पेंस हेड है जो मेजर हेड 3002 भारतीय रेल वाणिज्यिक लाइनों में संचालित होता है।
  2. इस हेड में अस्थाई रूप से उन लेन देन का लेखा-बद्ध (Accounting)  किया जाता है, जिसका फाइनल लेखा शीर्ष में तत्काल समायोजन (Adjustment) नहीं किया जा सके।
  3. यह लेखा संहिता प्रथम पैरा 223 के अंतर्गत वर्णित है।
  4. इस शीर्ष के अंतर्गत निम्नलिखित लेनदेन का ब्यौरा रहता है।(I) ऐसा प्रभाव जिसका आवंटन ज्ञात ना हो या जिन्हें किसी अंतिम शीर्ष में तत्काल समायोजन ना किया जा सके।(ii) अंतर विभागीय ऐसे लेनदेन जिसकी स्वीकृति की प्रतीक्षा हो।(iii) सरकारी निर्माण कार्यों से भिन्न ऐसे कार्य जिसमें डिपॉजिट की प्राप्ति की प्रत्याशा है या खर्च की गई राशि की वसूली होनी है।(iv) सप्लाई किए जाने वाले भंडार के लिए अग्रिम भुगतान।(v) सामान की स्थानीय खरीद और अन्य प्रयोजनों के लिए हिसाब दिए जाने तक रेल पदाधिकारियों को किए गए अग्रिम भुगतान।
  5. यह शीर्ष में हमेशा डेबिट बैलेंस रहता है।
  6. इस शीर्ष में कोई क्रेडिट बैलेंस ना हो इसकी समीक्षा करते रहना चाहिए।
  7. सीधे तौर पर क्रेडिट बैलेंस इस हेड में जमा नहीं करनी चाहिए।

Saturday, 7 August 2021

DEBT HEAD REPORT

 

DEBT HEAD REPORT (DHR)

ऋण शीर्ष रिपोर्ट


  1. लेखा संहिता प्रथम पैरा 748-752
  2. ऋण शीर्षों (Debt Head) जैसे लोन एवं एडवांस,पी.एफ.,जमा(Deposite), अंतर सरकार समायोजन (Inter Government Adjustment) के अंतर्गत बकाया का रिपोर्ट है,जिसे ऋण शीर्ष रिपोर्ट कहते हैं।
  3. यह रिपोर्ट प्रत्येक वित्त सलाहकार एवम मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा रेलवे बोर्ड को 10 सितंबर तक भेजना होता है या रेलवे बोर्ड ने जो तिथि निश्चित की हो उस तिथि को।
  4. इस रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि उसी समय सांविधिक लेखा परीक्षक (Statutory Auditor) को भी दिया जाता है।
  5. प्रतिलिपि को विधिवत लेखा परीक्षा कर बाद एक प्रति रेल मंत्रालय को भेजी जानी चाहिए जो कि 25 सितंबर तक पहुंच जाए।
DHR- समीक्षा

DHR को मुख्यतः समीक्षा करने का उद्देश्य है यह देखना की बकाया बैलेंस कितना है।पिछले वर्ष के मुकाबले बैलेंस में कमी-बेशी का व्याख्या एवं साल के अंत में क्या बैलेंस रहने वाला है उस पर विचार देना।


विभिन्न शीर्ष निम्नलिखित है-

(I) I-लघु बचत और भविष्य निधि(small saving & PF balance)

(II) K- जमा और अग्रिम (Deposits & Advance)

(III) F- ऋण और अग्रिम (Loans & Advance) (जो ऋण केंद्र सरकार से लेते हैं और कर्मचारियों को देते हैं)

(IV) M - रेमिटेंस अंतर सरकार समायोजन लेखा (Remittance Inter Government Adjustment)

(V) सामान्य 


वित्तीय वर्ष के लेखा बंद होने के बाद रिपोर्ट भेजने से पहले उपरोक्त प्रत्येक हेड की समीक्षा DHR टर्म के अनुसार करनी चाहिए DHR बकाया के विश्लेषण पर आधारित है।इस रिपोर्ट के साथ ऑडिट का प्रमाण-पत्र भी भेजा जाता है।

Plan Head

 

Plan Head


1. प्लान हेड रेलवे के कैपिटल माइनर हेड के तहत मेजर हेड है।

5002-कैपिटल आउटले भारतीय रेलवे/वाणिज्यिक लाइन।

5003-कैपिटल आउटले भारतीय रेलवे/सामरिक लाइन।

2. प्लान हेड डिमांड नंबर 16 के अंतर्गत कैपिटल व्यय है।अर्थात वर्क्स के जितने भी कार्य होता है, वो प्लान हेड के तहत होता है, जो कि कैपिटल प्रकृति के है।

3. प्लान हेड में आठ डिजिट का एलोकेशन रहता है जिसमें शुरू के दो अंक वित्तिय स्रोत (Financial Source), उसके बाद के दो अंक प्लान हेड, उसके बाद के दो अंक सब हेड और डिटेल हेड,उसके बाद के दो अंक प्राथमिक यूनिट (PU) रहता है।



01

02

03

04

05

06

07

08

Source of fund

Plan Head (Minor Head)

Detailed Head

Primary Unit


Sources Of Finance



Numerical Code

Source of finance

20

Capital

21

DRF-Depreciation Reserve Fund

23,33,43,53

DF-I,II,III & IV 

25

Capital Fund

26

RSF-Railway Safety Fund

28

Capital Nirbhaya Fund

29

RRSK-Rashtriya Rail Sanrakshak Kosh

84

EBR-IF (Extra Budgetary Resources-institutional Finance)



माँग संख्या 16 के तहत विभिन्न प्लान हेड होता है जो केंद्र सरकार के लेखा से लिंक के प्रयोजन के लिए है जो कैपिटल के मेजर हेड 5002-Capital outlay Indian Railways-Commercial lines और 5003-Capital outlay Indian Railways-Strategic lines के तहत माइनर हेड है।


प्लान हेड 


11

New lines

14

Gauge Conversion

15

Doubling

16

Traffic Facilities

17

Computerisation

18

Railway Research

21

Rolling stock

22

Leased Assets-Payment of capital component of lease charges to IRFC etc.

29

Road Safety Works-Level Crossing

30

Road Safety Works-(ROB/RUB)

31

Track Renewals

32

Bridge Works Tunnel works and Approaches

33

Signalling and Telecommunication works

35

Electrification Projects

36

Other Electrical works including TRD works

41

Machinery and Plant

42

Workshops including production units

51

Staff welfare

53

Passenger & other Railway users Amenities

61

Investment in PSU/JV/SPV etc.


64

Others specified works (Government and Non-Government)

65

Training/HRD

71

Stores suspense

72

Manufacturing suspense

73

Miscellaneous advances

81

Metropolitan Transport Projects

82

Transfer to special Railway Safety fund



विस्तृत जानकारी के लिए ACS 143 को देखें।

Thursday, 5 August 2021

Difference between Zero Base Budget & Performance Budget

 

Zero Base Budget & Performance Budget.


जीरो आधारित बजट (Zero Base Budget)

प्रदर्शनोमुखी बजट (Performance Budget)

जीरो आधारित बजट, बजट की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बीता हुआ कार्य एवं कल्पना आधारित गतिविधियों के आधार पर बजट का निर्माण नहीं करती है।

परफारमेंस बजट बजट की ऐसी प्रक्रिया है जो बीता हुआ कार्य एवं कल्पना पर आधारित होता है।

शून्य आधारित बजट में भौतिक आउटपुट (Physical Output) का पहले मूल्यांकन किया जाता है और इसके बाद वित्तीय इनपुट की मांग की जाती है।

परफारमेंस बजट में वित्तीय इनपुट का अनुमान पहले लगाया जाता है एवं बाद में वास्तविक भौतिक आउटपुट के साथ संबंध स्थापित किया जाता है।

राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) के लिए शून्य आधारित बजट लागू करने से पहले दो पूर्व आवश्यकताएं होती है (I)गतिविधियों (Activities) के लिए परफॉर्मेंस यूनिट की पहचान (ii) और गतिविधि आवधिक प्रकृति का होना चाहिए ताकि काम की मात्रा का आकलन किया जा सके।

परफारमेंस बजट सभी गतिविधियों पर लागू होता है जो प्रदर्शन इकाई (Performance unit) के लिए चिन्हित है।

शून्य आधारित बजट गतिविधि (Activities)का आवश्यकता अनुसार क्रमबद्ध किया जाता है।

परफारमेंस बजट में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।

शून्य आधारित बजट में ग्रास रूट लेवल पर उद्देश्य  को संकलन किया जाता है।

परफॉर्मेंस बजट में मंडल स्तर पर संकलन किया जाता है।



Friday, 4 June 2021

DRAFT PARA

DRAFT PARA

  • लेखा परीक्षा की गतिविधियों के दौरान नोटिस में आने वाली जिस गंभीर अनियमितता को रेलवे लेखा-परीक्षा रिपोर्ट में शामिल करने के लिए मुख्य लेखा परीक्षक एक पैरा का प्रस्ताव करता है उसे "ड्राफ्ट पैरा" कहते हैं।
  • मुख्य लेखा परीक्षक यह निश्चय करता है कि स्पेशल पत्र, ऑडिट नोट, निरीक्षण रिपोर्ट या प्राथमिक तथ्यात्मक विवरण आदि को लेखा परीक्षा रिपोर्ट में शामिल किए जाने के लिए एक ड्राफ्ट पैरा में बदलने की आवश्यकता है तो वह ड्राफ्ट पैरा तैयार करते हैं।
  • ड्राफ्ट पैरा महाप्रबंधक के व्यक्तिगत पते पर साथ ही उसकी अग्रिम प्रतियां संबंधित पत्र व्यवहार के साथ रेलवे के प्रमुख वित्त सलाहकार, संबंधित विभागाध्यक्ष, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (रेलवे )और कार्यकारी निदेशक लेखा- रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है।
  • ड्राफ्ट पैरा की प्राप्ति से 8 सप्ताह की अवधि के भीतर रेलवे बोर्ड के साथ विचार-विमर्श के बाद रेलवे प्रशासन को अंतिम उत्तर मुख्य लेखा परीक्षक को भिजवा देना चाहिए।
  • रेल प्रशासन द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट उत्तर का रेलवे बोर्ड से अनुमोदन कराने के लिए महाप्रबंधक को ड्राफ्ट पैरा के प्रस्तावित उत्तर के साथ निम्नलिखित अतिरिक्त सूचना भी रेलवे बोर्ड को भेजनी चाहिए।  (i) मामले का इतिहास एवं पत्राचार की प्रतियां। (ii) ड्राफ्ट पैरा पर वाक्य वार टिप्पणी।।(iii) जहां विषय-वस्तु पर कार्यवाही करने में विलंब हुआ उसका सारांश।(iv) ऐसे मामलों की भविष्य में पुनरावृति रोकने के लिए की गई कार्यवाही।। (v) अनुशासनिक पहलू जहां आवश्यक हो।
  • रेल प्रशासन यदि कोई संशोधन करने का सुझाव देना चाहता है या वह कोई टिप्पणी अंतिम उत्तर देने के पूर्व मुख्य लेखा परीक्षक के विचार प्रस्तुत करना चाहता है तो उसे यह सब तय कर लेना चाहिए जिससे कि अंतिम उत्तर भेजने में 8 सप्ताह से अधिक विलंब ना हो।
  • ड्राफ्ट पैरा को रेल प्रशासन द्वारा वित्त सलाहकार और मुख्य लेखाधिकारी से विधिवत विधिक्षा (duly vetted) कराकर मुख्य लेखा परीक्षक को देना चाहिए।
  • ड्राफ्ट पैरा के उत्तर की प्राप्ति के बाद, उसको जांच कर भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (रेलवे) संपादित पैराग्राफ को रेलवे बोर्ड के पास एक निश्चित अवधि के भीतर, तथ्यों के सत्यापन और ऐसे मुद्दों पर यदि आवश्यक हो तो आगे स्पष्टीकरण के लिए भेजेगा। इसके बाद ही पैरा को रेलवे की वार्षिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट में शामिल किया जाता है।
  • रेलवे बोर्ड की संविदाओं, योजनाओं और मंजूरी से संबंध ड्राफ्ट पैरा सीधे रेलवे बोर्ड द्वारा प्राप्त किए जाएंगे और उनका निपटारा भी रेलवे बोर्ड करेगा।

Monday, 31 May 2021

DRAFT PARA AND AUDIT PARA

DRAFT PARA AND AUDIT PARA.



DRAFT PARA

AUDIT PARA

  1. लेखा परीक्षा की गतिविधियों के दौरान नोटिस में आने वाली जिस गंभीर अनियमितता को रेल लेखा-परीक्षा रिपोर्ट में शामिल करने के लिए मुख्य लेखा-परीक्षक एक पैरा का प्रस्ताव करता है, उसे "ड्राफ्ट पैरा" कहते हैं।

1भारतीय रेल में ड्राफ्ट पैरा पर समाधान नहीं होने के कारण CAG की वार्षिक रिपोर्ट में शामिल करने के लिए जिस पैरा का प्रस्ताव किया जाता है उसे "ऑडिट पैरा" कहा जाता है ।

  1. यह गंभीर मामलों के लिए तैयार किया जाता है एवं यह अस्थायी है।

2. यह भी गंभीर मामलों के लिए तैयार किया जाता है एवं यह स्थाई व अंतिम है।

  1. लेखा परीक्षा नोटों, विशेष पत्रों एवं निरीक्षण रिपोर्टों के निपटारा न होने पर इन्हें ड्राफ्ट पैरा में बदल दिया जाता है।

3. ड्राफ्ट पैरा की आपत्तियों का निपटारा न होने पर या किसी और कारण की वजह से ड्राफ्ट पैरा को ऑडिट पैरा में बदल दिया जाता है।

  1. ड्राफ्ट पैरा की जांच कैग करता है और तदनुसार कैग या तो इसे समाप्त कर सकता है या रेलवे की वार्षिक लेखा रिपोर्ट में शामिल कर सकता है।

4. ऑडिट पैरा की जांच लोक लेखा समिति करती है पीएसी इस पर रेलवे प्रशासन से वार्तालाप करती है और रेल मंत्रालय द्वारा अनुमोदित कराया जाता है।

  1. ड्राफ्ट पैरा एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक से अधिक संख्या में अलग-अलग रेलों के लिए बनाया जाता है।

5. ऑडिट पैरा एक वित्तीय वर्ष के दौरान पूरे भारतीय रेलवे के लिए सम्मिलित रूप से एक ही बनाया जाता है।


Saturday, 13 March 2021

CAPITAL EXPENDITURE ALLOCATION

CAPITAL EXPENDITURE ALLOCATION.

कैपिटल के तहत जो भी व्यय होते हैं जैसे कैपिटल फण्ड,डीआरएफ,आरआरएसके,आरएसएफ इन सभी फण्ड का एकल डिमांड है-मांग संख्या 16 अर्थात संपत्ति अधिग्रहण, निर्माण और प्रतिस्थापन।

इस तरह के कार्य व्यय के लिए 8 अंको का एलोकेशन होता है जिसमें शुरू के दो डिजिट फण्ड के स्त्रोत को दर्शाता है , फिर दो डिजिट प्लान हेड के माइनर हेड को एवं उसके बाद का दो डिजिट प्लान हेड के डिटेल हेड को एवं अंतिम दो डिजिट प्राइमरी यूनिट को दर्शाता है।


01

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Source of fund

Plan Head (Minor Head)

Detailed Head

Primary Unit


Sources Of Finance



Numerical Code

Source of finance

20

Capital

21

DRF-Depriciation Reserve Fund

23,33,43,53

DF-I,II,III & IV 

25

Capital Fund

26

RSF-Railway Safety Fund

28

Capital Nirbhaya Fund

29

RRSK-Rashtriya Rail Sanrakshak Kosh

84

EBR-IF (Extra Budgetary Resources-institutional Finance)



माँग संख्या 16 के तहत विभिन्न प्लान हेड होता है जो केंद्र सरकार के लेखा से लिंक के प्रयोजन के लिए है जो कैपिटल के मेजर हेड 5002-Capital outlay Indian Railways-Commercial lines और 5003-Capital outlay Indian Railways-Strategic lines के तहत माइनर हेड है।


प्लान हेड 


11

New lines

14

Gauge Conversion

15

Doubling

16

Traffic Facilities

17

Computerisation

18

Railway Research

21

Rolling stock

22

Leased Assets-Payment of capital component of lease charges to IRFC etc.

29

Road Safety Works-Level Crossing

30

Road Safety Works-(ROB/RUB)

31

Track Renewals

32

Bridge Works Tunnel works and Approaches

33

Signalling and Telecommunication works

35

Electrification Projects

36

Other Electrical works including TRD works

41

Machinery and Plant

42

Workshops including production units

51

Staff welfare

53

Passenger & other Railway users Amenities

61

Investment in PSU/JV/SPV etc.


64

Others specified works (Government and Non-Government)

65

Training/HRD

71

Stores suspense

72

Manufacturing suspense

73

Miscellaneous advances

81

Metropolitan Transport Projects

82

Transfer to special Railway Safety fund



विस्तृत जानकारी के लिए ACS 143 को देखें।