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Tuesday 21 April 2020

Advance to Contractor (ठेकेदारों को अग्रिम)


  • भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग कोड अध्याय 12 पैरा 1264 E
  • कार्यालयों का यह कर्तव्य होगा कि जहां तक संभव हो अग्रिम राशि ना दें और वे ऐसी प्रणाली बनाने का प्रयास करें जिसमें जितना काम वस्तुतः हुआ है, उसके लिए भुगतान के अलावा और कोई भुगतान न किया जाए।
  • हालांकि महाप्रबंधक अपनी शक्तियों के प्रत्यायोजन में पूंजीगत गहनता वाले तथा विशिष्ट प्रकृति के निर्माण कार्य जिनके अनुमानित मूल्य 50 करोड़ से अधिक है स्वीकृति दे सकते हैं।
  • यह अग्रिम चार प्रकार के हैं।

I जुटाव अग्रिम (Mobilisation Advance)

यह संविदा के मूल्य के 10 % तक होगा और इसका भुगतान दो चरणों में किया जाएगा। 

चरण-I-- संविदा करार पर हस्ताक्षर करने पर संविदा मूल्य का 5%

चरण-II-- स्थल कर्मचारियों , कार्यालय स्थापित करने, उपस्कर लाने और निर्माण कार्य को वस्तुतः प्रारंभ करने पर 5%

अग्रिम के इन दो चरणों में भुगतान क्रमशः संविदा हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद और प्रबंध करने के समय किया जाएगा।

II मशीन और उपस्कर के लिए अग्रिम (Advances against Machinery and Equipment)

  • यह अग्रिम कार्यस्थल पर लाई गई नई मशीनरी और उपकरण के बदले अनुबंध मूल्य के अधिकतम 10% सीमित होगी साथ ही यह अग्रिम उपकरण के खरीद मूल्य के 75% तक सीमित रहेगी।
  • यह तभी देय होगी जब तक उपर्युक्त बोर्ड के माध्यम से यह राष्ट्रपति को हाइपोथैकेटेड (दृष्टि बंधक) कर दी जाए या विकल्पतः रेलों को स्वीकार्य किसी रूप में भारतीय स्टेट बैंक से या भारत के किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से संयंत्र और उपस्कर की पूरी लागत के लिए एक अप्रतिसंग्रहनिय  बैंक गारंटी दी जाए।
  • यह सिर्फ नई मशीनरी के लिए दी जाएगी जो मशीन साइट पर लाया जाएगा।
  • इस संयत्र और उपस्कर की पूरी मूल्य के लिएअपेक्षित पूरी अवधि के लिए बीमा कराया जाना होगा ।
  • यह अग्रिम पुरानी मशीन और संयंत्र पर नहीं दिया जाएगा।
  • यह संयंत्र और उपस्कर इंजीनियर की लिखित अनुमति के बिना कार्यस्थल पर नहीं हटाया जाएगा।
III संविदा के निष्पादन के दौरान निर्माण कार्यों की प्रगति में तेजी लाने के लिए अग्रिम

  • इस अग्रिम का निर्धारण मूल्य के आधार पर विनिश्चय किया जाता है। यह प्रत्येक निविदा के मेरिट के आधार पर तय होगा।
  • इसे संबद्ध प्रमुख वित्त सलाहकार के परामर्श से PCE की सिफारिशों पर महाप्रबंधक द्वारा मंजूर किया जाएगा ।
  •  यह अग्रिम संविदा मूल्य के अधिकतम 5% तक दिया जाएगा।

IV असाधारण मामलों में अग्रिम (Advances in exceptional cases)

  • 50 करोड़ से कम मूल्य की ऐसी ही संविदाओं के संबंध में महाप्रबंधकों को आपवादिक मामलों में ₹20 लाख तक अग्रिम स्वीकृत करने का अधिकार प्राप्त है।
  • यदि वे प्रभारी मुख्य इंजीनियर (PCE)द्वारा संस्तुत और सम्बद्ध वित्त के परामर्श से (PFA)प्रत्येक स्थिति में गुण दोष की परिस्थितियों पर नजर रखते हुए परम आवश्यक समझते हो।

उपर्युक्त अग्रिम निम्नलिखित शर्तों के अधीन है-
  1. अग्रिम पर ब्याज देय होगा, ब्याज की दर रेलवे बोर्ड द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में सूचित कर दिया जाएगा ।यह उस वित्तीय वर्ष में खोले गए निविदाओं के लिए लागू होगा।
  2. मशीनरी और उपकरण के विरुद्ध स्वीकृत  अग्रिम के लिए जो अपरिवर्तनीय बैंक गारंटी के विरुद्ध स्वीकार्य है स्वीकृत अग्रिम के 110 प्रतिशत बैंक गारंटी के रूप में जमा करना होगा ।बैंक गारंटी भारत के राष्ट्रीयकृत बैंक या भारतीय स्टेट बैंक से रेलवे को स्वीकार्य होगी।
  3. वसूली तब प्रारंभ की जाएगी जब निष्पादित कार्य (executed work) का मूल्य मूल अनुबंध मूल्य का 15% तक पहुंच जाए।
  4. वसूली तब समाप्त होगी जब निष्पादित कार्य का मूल्य मूल अनुबंध मूल्य के 85% तक पहुंच जाएगा।
  5. किस्त की राशि प्रत्येक ऑन अकाउंट बिल से प्रो रेटा के आधार पर काटी जाएगी।
  6. अग्रिम राशि प्रदान करना मुख्यतः रेलवे के अपने हित में हो।
  7. एक ही निर्माण के लिए विभिन्न अधिकारियों से अग्रिम राशि नहीं ली जा सकती है।
  8. इन अग्रिमों के भुगतान और वसूली की जिम्मेदारी का लेखा जोखा लेखा कार्यालय की होगी।
  9. इस बात के लिए संभव पूर्वोपाय (necessary precautions) किए जाएं कि सरकार को किसी प्रकार के हानि की संभावना ना हो और यह प्रणाली बहुत सामान्य ना बन जाए अथवा उससे अधिक जारी ना हो जितनी कार्य की समुचित प्रकृति के लिए नितांत आवश्यक है।

ब्याज की वसूली (Method of Recovery of interest)

  • ब्याज की अदायगी अग्रिम के भुगतान के तारीख से ऑन अकाउंट बिल के तारीख तक की जाएगी।
  • यथा अनुपात मूलधन की वसूली सहित ऑन अकाउंट बिल में पूर्णतया समायोजित की जाएगी।
  • इसमें किसी भी प्रकार से कमी होने के मामले में ब्याज की वसूली की जाएगी तथा अगला ऑन अकाउंट बिल में अग्रेषित किया जाएगा।
  • ऐसे अग्रिमों  के लिए बैंक गारंटी में स्पष्ट तौर से स्वीकृत अग्रिम का 110% कवर होगा (जिसमें मूलधन और ब्याज कवर हो)


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