Friday, 8 May 2020

Negotiation


Negotiation (समझौता वार्ता)

  1. किसी समझौते पर पहुंचने के उद्देश्य से किए गए विचार-विमर्श को "निगोशिएशन" कहा जाता है।
  2. भारतीय रेलवे के वर्क्स टेंडर में बातचीत के द्वारा ठेकेदार का चयन नियम के बजाय एक अपवाद स्वरूप है, और इसका उपयोग तब किया जा सकता है जब सभी निविदाओं का मूल्य यथोचित रूप से उच्च माना जाता है और यह माना जाता है कि पुनः निविदा बुलाना रेलवे को बेहतर लाभ नहीं पहुंचा सकता है।
  3. सामान्य तौर पर एल-1 जो सबसे कम, वैद्य, योग्य और तकनीकी रूप से स्वीकार्य ठेकेदार हैं ,उसके साथ अनुबंध किया जाएगा यदि दरें अनुचित रूप से अधिक नहीं हो।
  4. यदि दरें अनुचित रूप से उच्च थी तो यह निर्णय लिया जाएगा कि पुनः निविदा आमंत्रित करना है या एल-1 के साथ बातचीत करना चाहिए ,इसका निर्धारण निविदा समिति की सिफारिश के आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाना चाहिए।
  5. सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित ठेकेदार के साथ वार्ता के लिए निर्णय लेने के बाद निम्नलिखित प्रक्रियाओं को अपनाया जाना चाहिए।
(I) L-1 के अलावा अन्य निविदाकारों के साथ बातचीत की अनुमति नहीं है।
(II) आगे L-1 द्वारा मूल रूप से उद्धृत दरें, बातचीत की विफलता की स्थिति में, स्वीकृति के लिए खुली रहेगी।
(III) निविदाकारों के साथ बातचीत करने और संशोधित दर प्राप्त करने और स्वीकृति के उसी की सिफारिश करते हुए, निविदा समिति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेलवे के वित्तीय हितों की सुरक्षा की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरी तरह देखा गया है।


नोट:- उपरोक्त निर्देशों को विशेष कार्यों या उपकरणों के लिए निविदा पर सख्ती से लागू नहीं किया जा सकता है, जहां ठेकेदार अपनी विशिष्टताओं औऱ डिजाइनों  के अनुसार विभिन्न कारणों जैसे कि प्रौद्योगिकी में सुधार आदि के लिए बोली लगा सकते हैं और उनके साथ तकनीकी और अन्य विवरणों पर चर्चा किया जा सकता है ।वार्ता की प्रक्रिया FA&CAO  के परामर्श से प्रत्येक मामलों के गुणों पर तय की जानी चाहिए।



(2012W,2015W Exp.)

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